महात्मा गांधी का जीवन परिचय।Biography of Mahatma Gandhi
मोहनदास करमचंद गांधी (जन्म 2 अक्टूबर 1869, मृत्यु 30 जनवरी 1948) इन्हें महात्मा गांधी के नाम के साथ साथ राष्ट्रपिता के नाम से भी जाना जाता है भारतीय भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनीतिक आध्यात्मिक नेता भी थे। उन्होंने सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर भारत को अंग्रेजी शासन से आजाद किया था। उनका नाम इतिहास में अमर है। अहिंसा के सिद्धांत पर रखी गई नीव जिसने भारत को आजादी दिला कर एक महान कार्य किया। इन्हीं कारणों की वजह से आम जनता पूरी दुनिया में उन्हें महात्मा गांधी के नाम से जानती है। 12 अप्रैल 1919 को उन्हें बापू के नाम से भी जाना जाता है। लेख के अनुसार गांधी जी को बापू नाम से संबोधित करने वाले प्रथम व्यक्ति साबरमती के आश्रम के शिष्य सुभाष चंद्र बोस ने 6 जुलाई 1944 को रेडियो से गांधीजी के नाम चारी प्रसारण में उन्हें राष्ट्रपिता का कर संबोधित करते हुए आजाद हिंद फौज के सैनिकों के लिए शुभकामनाएं और आशीर्वाद मांगा था। स्वामी श्रद्धानंद और गुरु रविंद्र नाथ टैगोर ने महात्मा गांधी की उपाधि प्रदान की थी।हर साल 2 अक्टूबर को पूरे भारतवर्ष में गांधी जयंती के रूप में व पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है। क्योंकि गांधीजी अहिंसा वादी विचारधारा के महान व्यक्ति वह इस राष्ट्र का निर्माण करने वाले राष्ट्रपिता थे।
शुरुआती दिनों में गांधी जी ने बवासीर वकील के रूप में दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के नागरिकों के अधिकार के लिए सत्याग्रह शुरू किया था। उसके पश्चात भारत वापसी के बाद उन्होंने किसानों मजदूरों और शहरी समूह को को अत्यधिक भूमि कर और भेदभाव के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए सहयोग प्रदान किया। देश में व्याप्त गरीबी से ऊपर उठने के लिए महिलाओं के अधिकारों को विस्तार करने के लिए धार्मिक एवं जातीय एकजुटता का निर्माण आत्मनिर्भरता के लिए अछूतों के विरोध में उन्होंने अनेक कार्यक्रम चलाएं और समाज को इस जिंदगी से बाहर निकालने का कार्य किया अंग्रेजों द्वारा नमक कर के विरोध में गांधी जी ने नमक सत्याग्रह और बाद में भारत छोड़ो आंदोलन से उन्हें काफी प्रसिद्धि प्राप्त हुई और इन कार्यक्रमों में इन्होंने देश के लोगों का साथ दिया उन्हें इसके साथ साथ कई बार जेल यात्राएं भी करनी पड़ी।
जन्म 2 अक्टूबर 1869 पोरबंदर
मृत्यु 30 जनवरी 1948
नागरिकता ब्रिटिश राज, भारतीय
राजनीतिक पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
व्यवसाय राजनीतिज्ञ, बैरिस्टर, पत्रकार, दार्शनिक, निबंधकार, संस्मरण लेखक ,भारतीय क्रांतिकारी
शिक्षा यूनिवर्सिटी कॉलेज, लंदन विश्वविद्यालय
धर्म हिंदू धर्म
पिता करमचंद गांधी
जीवनसाथी कस्तूरबा गांधी
बच्चे हीरालाल ,मोहनदास गांधी, मणिलाल गांधी, देवदास गांधी
गांधीजी सभी परिस्थितियों में सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलते रहे और उनका पालन किया । उन्होंने वकालत की पढ़ाई भी की थी । उन्होंने अपना जीवन साबरमती आश्रम में भी गुजारा और सदा सादा जीवन और पारंपरिक पोशाक जैसे धोती वह सूती वस्त्र से बनी साल पहनी । वे चरके से सूत कात कर हाथ से वस्त्र बनाते थे। उन्होंने सदा ही शाकाहारी भोजन का सेवन किया और आत्मा की शुद्धि हेतु वे उपवास रखते थे।
प्रारंभिक जीवन (Early life)
मोहनदास करमचंद गांधी जी का जन्म गुजरात के एक तटीय शहर पोरबंदर नाम के स्थान पर 2 अक्टूबर सन 1867 को हुआ था। उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था उनका संबंध सनातन धर्म की पसारी जाती से था। उनकी माता का नाम पुतलीबाई था। उनकी माता जैन परंपराओं को मानती थी इसी कारण मोहनदास पर प्रारंभ में ही प्रभाव पड़ने लगी जिसके कारण आगे चलकर महात्मा गांधी के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। महात्मा गांधी आत्म शुद्धि के लिए उपवास भी किया करते वे शाकाहारी जीवन जिया करते थे।
वैवाहिक जीवन(Married life )
महात्मा गांधी का विवाह मात्र 13 वर्ष की आयु में 14 वर्ष की कस्तूरबा बाई मकनजी से कर लिया गया था। उन्होंने पत्नी का नाम छोटा करके कस्तूरबा रख दिया था। उनका हुआ उनके पिता द्वारा किया था विवाह बाल विवाह हुआ था उस समय बाल विवाह काफी प्रचलित था। 15 वर्ष की उम्र में पहली संतान ने जन्म लिया उसके कुछ साल बाद उनके पिता की मृत्यु हो गई । गांधी जी को चार संताने थी और चारों भी पुत्र थे। गांधीजी दोनों परीक्षाओं में शैक्षणिक स्तर के छात्र रहे हैं। मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई भावनगर के श्यामलदास कॉलेज से उत्तीर्ण की। उनके परिवार की इच्छा उन्हें बैरिस्टर बनाना चाहते थे।
उन्होंने यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में कानून की पढ़ाई करने और बैरिस्टर बनने के लिए इंग्लैंड गए। विदेश में पढ़ाई के लिए जाते समय जैन भिक्षु बेचारे के समक्ष हिंदुओं को मास शराब तथा संकीर्ण विचारधारा को त्यागने के लिए अपने माता को दिए गए वचन दिए। उन्होंने शाकाहारी भोजनालय का ही खाना खाया उन्होंने अंग्रेजी रीति-रिवाजों का भी अनुभव किया लेकिन, उन्हें वह पसंद नहीं आया
प्रमुख आंदोलन (Major movement)
गांधीजी का स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा (Gandhi's participation in freedom struggle)
गांधीजी सन् 1916 में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे और फिर देश के लिए कार्य करने के लिए कदम उठाना शुरू किया। सन 1920 में कांग्रेस लीडर बाल गंगाधर तिलक के मृत्यु के उपरांत गांधीजी कांग्रेस के मार्गदर्शक थे।
गांधीजी की हत्या (Death of gandhi)
गांधीजी की हत्या नाथूराम गोडसे ने 3 गोली मारकर 30 जनवरी 1948 की थी। उनके मुख से अंतिम शब्द 'हे राम' ही निकले थे। उनकी मृत्यु के पश्चात दिल्ली में राजघाट नाम का समाधि स्थल बना दिया गया।गोडसे और उनके साथी नारायण आप्टे को बाद में केस चला कर फांसी की सजा दे दी।
गांधीजी के अस्थि एवं राख को पूरे भारत में ले जाएंगे और अधिकांश भाग इलाहाबाद में संगम पर 12 फरवरी 1948 को जल में विसर्जित कर दिया क्या और कुछ पवित्र रूप में अस्ति को एक कलश में रख दिया गया।
गांधीजी के सिद्धांत (Principles of Gandhi)
उन्होंने अपना पूरा जीवन सत्य और अहिंसा के मार्ग पर ही जिया और सदा भारत के हित में निष्पक्ष भाव से आखरी सांस तक कार्य करते रहें। भारत की आजादी में गांधी जी का महत्वपूर्ण स्थान है। गांधी जी ने अपना पूरा जीवन सत्य एवं सच्चाई के लिए समर्पित कर दिया उन्होंने अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए स्वयं की गलतियों को खुद पर प्रयोग करते हुए जीने की कोशिश की और कार्य करते रहें ।
प्रश्नोत्तरी (Quiz)
लेबल: Biography