रविवार, 27 सितंबर 2020

महात्मा गांधी का जीवन परिचय।Biography of Mahatma Gandhi

Biography-Mahatma-Gandhi

मोहनदास करमचंद गांधी (जन्म 2 अक्टूबर 1869, मृत्यु 30 जनवरी 1948) इन्हें महात्मा गांधी के नाम के साथ साथ राष्ट्रपिता के नाम से भी जाना जाता है भारतीय भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनीतिक आध्यात्मिक नेता भी थे। उन्होंने सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर भारत को अंग्रेजी शासन से आजाद किया था। उनका नाम इतिहास में अमर है। अहिंसा के सिद्धांत पर रखी गई नीव जिसने भारत को आजादी दिला कर एक महान कार्य किया। इन्हीं कारणों की वजह से आम जनता पूरी दुनिया में उन्हें महात्मा गांधी के नाम से जानती है। 12 अप्रैल 1919 को उन्हें बापू के नाम से भी जाना जाता है। लेख के अनुसार गांधी जी को बापू नाम से संबोधित करने वाले प्रथम व्यक्ति साबरमती के आश्रम के शिष्य सुभाष चंद्र बोस ने 6 जुलाई 1944 को रेडियो से गांधीजी के नाम चारी प्रसारण में उन्हें राष्ट्रपिता का कर संबोधित करते हुए आजाद हिंद फौज के सैनिकों के लिए शुभकामनाएं और आशीर्वाद मांगा था। स्वामी श्रद्धानंद और गुरु रविंद्र नाथ टैगोर ने महात्मा गांधी की उपाधि प्रदान की थी।हर साल 2 अक्टूबर को पूरे भारतवर्ष में गांधी जयंती के रूप में व पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है। क्योंकि गांधीजी अहिंसा वादी विचारधारा के महान व्यक्ति वह इस राष्ट्र का निर्माण करने वाले राष्ट्रपिता थे।

शुरुआती दिनों में गांधी जी ने बवासीर वकील के रूप में दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के नागरिकों के अधिकार के लिए सत्याग्रह शुरू किया था। उसके पश्चात भारत वापसी के बाद उन्होंने किसानों मजदूरों और शहरी समूह को को अत्यधिक भूमि कर और भेदभाव के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए सहयोग प्रदान किया। देश में व्याप्त गरीबी से ऊपर उठने के लिए महिलाओं के अधिकारों को विस्तार करने के लिए धार्मिक एवं जातीय एकजुटता का निर्माण आत्मनिर्भरता के लिए अछूतों के विरोध में उन्होंने अनेक कार्यक्रम चलाएं और समाज को इस जिंदगी से बाहर निकालने का कार्य किया अंग्रेजों द्वारा नमक कर के विरोध में गांधी जी ने नमक सत्याग्रह और बाद में भारत छोड़ो आंदोलन से उन्हें काफी प्रसिद्धि प्राप्त हुई और इन कार्यक्रमों में इन्होंने देश के लोगों का साथ दिया उन्हें इसके साथ साथ कई बार जेल यात्राएं भी करनी पड़ी।

जन्म                          2 अक्टूबर 1869 पोरबंदर

मृत्यु                         30 जनवरी 1948

नागरिकता               ब्रिटिश राज, भारतीय

राजनीतिक पार्टी      भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

व्यवसाय                राजनीतिज्ञ, बैरिस्टर, पत्रकार, दार्शनिक,  निबंधकार, संस्मरण लेखक ,भारतीय क्रांतिकारी

शिक्षा                    यूनिवर्सिटी कॉलेज,  लंदन विश्वविद्यालय

धर्म                       हिंदू धर्म

पिता                    करमचंद गांधी

जीवनसाथी          कस्तूरबा गांधी

बच्चे                   हीरालाल ,मोहनदास गांधी, मणिलाल गांधी,    देवदास गांधी

गांधीजी सभी परिस्थितियों में सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलते रहे और उनका पालन किया । उन्होंने वकालत की पढ़ाई भी की थी । उन्होंने अपना जीवन साबरमती आश्रम में भी गुजारा और सदा सादा जीवन और पारंपरिक पोशाक जैसे धोती वह सूती वस्त्र से बनी साल पहनी । वे चरके से सूत कात कर हाथ से वस्त्र बनाते थे। उन्होंने सदा ही शाकाहारी भोजन का सेवन किया और आत्मा की शुद्धि हेतु वे उपवास रखते थे।

प्रारंभिक जीवन (Early life)

मोहनदास करमचंद गांधी जी का जन्म गुजरात के एक तटीय शहर पोरबंदर नाम के स्थान पर 2 अक्टूबर सन 1867 को हुआ था। उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था उनका संबंध सनातन धर्म की पसारी जाती से था। उनकी माता का नाम पुतलीबाई था। उनकी माता जैन परंपराओं को मानती थी इसी कारण मोहनदास पर प्रारंभ में ही प्रभाव पड़ने लगी जिसके कारण आगे चलकर महात्मा गांधी के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। महात्मा गांधी आत्म शुद्धि के लिए उपवास भी किया करते वे शाकाहारी जीवन जिया करते थे।

वैवाहिक जीवन(Married life )

महात्मा गांधी का विवाह मात्र 13 वर्ष की आयु में 14 वर्ष की कस्तूरबा बाई मकनजी से कर लिया गया था। उन्होंने पत्नी का नाम छोटा करके कस्तूरबा रख दिया था। उनका हुआ उनके पिता द्वारा किया था विवाह बाल विवाह हुआ था उस समय बाल विवाह काफी प्रचलित था। 15 वर्ष की उम्र में पहली संतान ने जन्म लिया उसके कुछ साल बाद उनके पिता की मृत्यु हो गई । गांधी जी को चार संताने थी और चारों भी पुत्र थे। गांधीजी दोनों परीक्षाओं में शैक्षणिक स्तर के छात्र रहे हैं। मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई भावनगर के श्यामलदास कॉलेज से उत्तीर्ण की। उनके परिवार की इच्छा उन्हें बैरिस्टर बनाना चाहते थे।

उन्होंने यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में कानून की पढ़ाई करने और बैरिस्टर बनने के लिए इंग्लैंड गए। विदेश में पढ़ाई के लिए जाते समय जैन भिक्षु बेचारे के समक्ष हिंदुओं को मास शराब तथा संकीर्ण विचारधारा को त्यागने के लिए अपने माता को दिए गए वचन दिए। उन्होंने शाकाहारी भोजनालय का ही खाना खाया उन्होंने अंग्रेजी रीति-रिवाजों का भी अनुभव किया लेकिन, उन्हें वह पसंद नहीं आया

प्रमुख आंदोलन (Major movement)

चंपारण और खेड़ा ( Champaran and Kheda )-सन् 1918
खिलाफत आंदोलन (Khilafat Movement)-सन् 1919
असहयोग आंदोलन (Non-cooperation movement)-सन् 1920
स्वराज और नमक सत्याग्रह (Swaraj and Salt Satyagraha) -सन् 1930
द्वितीय विश्वयुद्ध और भारत छोड़ो आन्दोलन (Second World War and Quit India Movement) - सन् 1942

गांधीजी का स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा (Gandhi's participation in freedom struggle)

गांधीजी सन् 1916 में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे और फिर देश के लिए कार्य करने के लिए कदम उठाना शुरू किया। सन 1920 में कांग्रेस लीडर बाल गंगाधर तिलक के मृत्यु के उपरांत गांधीजी कांग्रेस के मार्गदर्शक थे।

गांधीजी की हत्या (Death of gandhi)

गांधीजी की हत्या नाथूराम गोडसे ने 3 गोली मारकर 30 जनवरी 1948 की थी। उनके मुख से अंतिम शब्द 'हे राम' ही निकले थे। उनकी मृत्यु के पश्चात दिल्ली में राजघाट नाम का समाधि स्थल बना दिया गया।गोडसे और उनके साथी नारायण आप्टे को बाद में केस चला कर फांसी की सजा दे दी।

गांधीजी के अस्थि एवं राख को पूरे भारत में ले जाएंगे और अधिकांश भाग इलाहाबाद में संगम पर 12 फरवरी 1948 को जल में विसर्जित कर दिया क्या और कुछ पवित्र रूप में अस्ति को एक कलश में रख दिया गया।

गांधीजी के सिद्धांत (Principles of Gandhi)

उन्होंने अपना पूरा जीवन सत्य और अहिंसा के मार्ग पर ही जिया और सदा भारत के हित में निष्पक्ष भाव से आखरी सांस तक कार्य करते रहें। भारत की आजादी में गांधी जी का महत्वपूर्ण स्थान है। गांधी जी ने अपना पूरा जीवन सत्य एवं सच्चाई के लिए समर्पित कर दिया उन्होंने अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए स्वयं की गलतियों को खुद पर प्रयोग करते हुए जीने की कोशिश की और कार्य करते रहें ।

प्रश्नोत्तरी (Quiz)

1. महात्मा गांधी की हत्या किसने की?
उत्तर  नाथूराम गोडसे

2. महात्मा गांधी के माता पिता का नाम?
उत्तर पिता का नाम करमचंद गांधी माता का नाम पुतलीबाई

3.महात्मा गांधी के बच्चे
उत्तर कुल 4 पुत्र

4.महात्मा गांधी के जन्म?
उत्तर 2 अक्टूबर 1869

5. गांधी किस धर्म के थे?
उत्तर हिंदू धर्म

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शुक्रवार, 18 सितंबर 2020

Gmail अकाउंट कैसे बनाये। How to Create Gmail Account

हेलो फ्रेंड्स आज हम बात करेंगे कि new gmail account कैसे बनाते है, और हम आप को स्टेप बाय स्टेप(Gmail account Create steps) के साथ बताएंगे की आप किस प्रकार आप आपना  to gmail account create  कर सकते है, तो चलिए शुरू करते है....

1. सर्वप्रथम आपको Chrome browser ओपन करना है।

2. फिर google में to Create Gmail account या gmail account new  करना है,और सर्च  button पर टाइप क्लिक करना है।

3. सर्च करने के बाद पेज कुछ इस प्रकार दिखेगा।

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4. फिर इसमें Create your Google account - Google Account पर क्लिक करना है।

5. उसके बाद पेज कुछ इस प्रकार दिखेगा ।

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6. इसमें  आपको अपना नाम लास्ट नमे यानी सरनेम लिखना होता है email address में आप अपना नाम सटीक लिखें और आप ईमेल एड्रेस में 3A के अलावा 07, 08 नंबर भी लिख सकते हैं या google आपको इसमें ईमेल एड्रेस सजेस्ट करेगा वह भी आप अपना ईमेल रख सकते हो। कुछ इस प्रकार से..

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7. और सबसे महत्वपूर्ण बात पासवर्ड की होती हैं तो आप अपनी सिक्योरिटी के हिसाब से पासवर्ड को कुछ इस प्रकार नीचे दिए गए के अनुसार रख सकते हैं यह एग्जांपल है लेकिन आप सिंपल पासवर्ड रखते हैं तो आपका पासवर्ड हैक हो सकता है इसलिए इस तरह के पासवर्ड रख सकते हैं। दोनों बॉक्स में एक जैसा पासवर्ड लिखा होना चाहिए।

8. सारी डिटेल फील करने के पश्चात आप नेक्स्ट बटन पर क्लिक करें।

9. नेक्स्ट बटन पर  करने के पश्चात कुछ इस प्रकार का पेज ओपन होगा।

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10. इसमें आप अपना मोबाइल नंबर डालें अगर आप अपना पासवर्ड भूलते हैं तो रिकवरी के लिए अपने घर के किसी भी सदस्य का भी ईमेल एड्रेस डाल सकते है या नहीं भी डाला तो कोई बात नहीं।

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11. इसमें डेट ऑफ बर्थ और जेंडर को सिलेक्ट करें और नेक्स्ट पर क्लिक करें।

12. फिर कुछ इस प्रकार से पेज ओपन होंगे इसमें आपका मोबाइल नंबर दिया होगा और भारत का या आप जिस भी देश में रहते हो आपके नंबर के सामने वाहा के झंडे का निशान दिखाई देगा । इसके बाद सेंड बटन पर क्लिक करें।

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13. जैसे सेंड बटन पर आप क्लिक करते हैं वैसे ही आपके रजिस्टर मोबाइल नंबर पर एक टेक्स्ट मैसेज आएगा इसमें एक वेरिफिकेशन कोड आएगा उसको आप उस बॉक्स में फील कर दीजिए । इसके अलावा इसमें कॉल का भी ऑप्शन होता है,जैसे ही आप कॉल वाले ऑप्शन को क्लिक करते है तो कुछ समय बाद आपके रजिस्टर्ड मोबाइल पर  वेरिफिकेशन कोड के लिए कॉल आता है आप उस कॉल को रिसीव करके इस कोड डाल सकते हैं। अगर कोड आपके मोबाइल पर नहीं आता है तो आप रीसेंड पर क्लिक कर सकते हैं।

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14. वेरीफिकेशन कोड डालने के पश्चात नेक्स्ट पर क्लिक करें।

15. इसमें जो भी ऑप्शन ब्लू कलर में राइट साइड में नीचे की ओर आते उसे क्लिक करते हुए आगे बढ़े इस प्रकार आपका gmail account create हो चुका होगा।

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मंगलवार, 8 सितंबर 2020

FAU-G क्या है ।What is FAU-G।2020

What-FAU-G-2020


भारत चीन सीमा विवाद के बीच भारत में pubg ban हो गया। Pubg game को तो आप जानते ही होंगे। एक लोकप्रिय गेम है छोटे-बड़े आदि के मुंह पर pubg का नाम हमेशा आता है लेकिन भारत सरकार ने इस गेम को बैन कर दिया ईसी के बीच आत्मनिर्भर भारत में FAUG नाम का एक गेम आने वाला है , लेकिन कुछ लोग fauji mobile से पहचान रहे है खोज रहे है।  तो आइए हम इसके बारे में आपको बताते हैं..

FAU-G क्या है ? (What is FAU-G)

FAU-G -  Fearless And United-Guards
इस गेम का उद्देश्य pubg game के स्थान पर भारतीय विकल्प प्रदान करना है । यह गेम एक मल्टीप्लेयर गेम है इस गेम में मनोरंजन के अलावा खिलाड़ी हमारे देश के सैनिकों (जवानों ) के बलिदान के बारे में जानेंगे और साथ ही इस गेमर का आनंद ले पाएंगे। यह नया गेम भारत के युवाओं गेमिंग मनोरंजन का एक गेम है। FAU-G के साथ हम आशा कर रहे है ,की खिलाड़ी खेल जैसा खलेगे व सैनिकों के बलिदान के बारे में भी जानेंगे। यह गेम हमारे सैनिकों एवं  शहीद के परवारजनों के लिए योगदान करते है। यहां गेम 'भारत के वीर' ट्रस्ट की ओर राजस्व का 20 प्रतिशत दान करेगा। इसके साथ यह गेम आत्मनिर्भर भारत  के  बात को भी पूर्ण करता है। यह गेम भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा घरेलू और विदेशी दोनों ताकत,खतरों से निपटने के लिए वास्तविक परिदृश्यों पर आधारित है।

क्यों हुआ Pubg  बैन?(Why Pubg ban?)

आप के मन में यह जानने के काफी उत्सुकता होगी की pubg किस कारण भारत में बैन हुआ था।आज हम आप को बताने जा रहा इसके पीछे के क्या वजह थी । Pubg पर आरोप था के वह भारतीय खिलडियों के डेटा को बाहर के सर्वरों पर बेच रहे है और इस प्रकार वह इस डेटा  का दुरूपयोग के रही है । यहां जानकारी आईटी विभाग द्वारा साझा की गई थी। इस के बाद pubg ने इस गेम में कुछ सुधार भी किए थे । परन्तु इस बार यह हुआ की भारत चीन सीमा विवादों के बीच pubg को भारत ने बैन के दिया ।pubg गेम के पब्लिशर Tecent Game (chaina) और VNG Game Publishing हैं। अब तो आप समझ ही गए होंगे कि के Pubg game चाइना का है इसमें भारतीय खिलाड़ियों के डाटा को चुरा कर इसका गलत इस्तेमाल ना करें इसलिए भारत में सावधानीपूर्वक इस गेम को भारत में बैन कर दिया इस बीच भारत में एक और नया भारतीय गेम FAUG की लहर छाई हुई है। जी हां FAU-G, या fauji new game ही है।

कब लॉन्च होगा? FAUG game(When will the FAUG game launch?)

भारत में FAU-G (fauji game launch date लोगो के प्रश्न) गेम के अक्टूबर के अंत में लॉन्च हो सकता है क्योंकि इसके पहले स्तर के सेट के साथ गालवान घाटी की पृष्ठभूमि में बाद के रिलीज में तीसरे व्यक्ति की शूटिंग गेमप्ले थी। गेम Google Play Store और Apple App Store पर उपलब्ध होगा

What-FAU-G-2020

Bollywood superstar Akshay Kumar

अक्षय कुमार ने अपने टि्वटर (Twitter)अकाउंट के माध्यम से ट्वीट (twit) कर इस गेम की जानकारी दी है उन्होंने इस गेम की फोटो भी ट्विटर अकाउंट पर शेयर कि है अक्षय कुमार ने कहा है कि हम पूर्ण रूप से भारतीय है या PUBG के स्थान पर भारतीय खिलाड़ियों के लिए बनाया गया है।


कौन है इसके संस्थापक , प्रकाशक?(Who is its founder , publisher?)

दोस्त आपको इस गेम के बारे में न्यूज,ट्विटर Facebook  से पता तो चल  ही गया होगा पर आपको इस गेम के बारे में पूरी जानकरी नहीं होगी तो चलिए आज हम आपको इसके बारे पूरे जानकारी से अवगत करते है।
इस गेम कंपनी का नाम ncore compny है , यह कंपनी बेंगलुरु में स्थित है  इस गेम के प्रकाशक और अध्यक्ष बेंगलुरु के विशाल गोडल है। और इस गेम के साथ संस्थापक दयानिधि एमजी है।इस गेम विभिन्न शैलियों विशेष रूप से कोर गेम्स में गहराई से अनुभव है इन्होंने दुनिया भर के सुपरएविल मेगाकॉर्प के वैंग्लोरी जैसे शैली-परिभाषित MOBA खेलों का प्रबंधन किया है।इन्होंने रोवियो जैसे वैश्विक स्टूडियो का भी अनुभव है। और उनके पास अनुभवी टीम भी है और यहां गेम को बनाने के लिए एक से एक कॉन्पिटिशन को पीछे छोड़ने के लिए कार्य कर रही है।

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शुक्रवार, 4 सितंबर 2020

डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन परिचय। Biography of Dr.Sarvepalli Radhakrishnan

Biography of Dr.Sarvepalli Radhakrishnan

डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन (5 सितंबर 1888-17 अप्रैल 1975 ) स्वतंत्र भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति (Vice President) एवं दूसरे राष्ट्रपति(President) के रूप में डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है। भारतीय संस्कृति के प्रख्यात शिक्षाविद , महान दार्शनिक एवं आस्थावान विचारक थे। उनके इन विशिष्ट गुणों के कारण भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से उन्हें सम्मानित किया गया था। उनकी याद में प्रतिवर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। बीसवीं सदी के विद्वानों में डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का नाम फिर से स्थान पर है वह हिंदुत्व को पूरे देश में फैलाना चाहते थे उनके अनुसार शिक्षकों का दिमाग कुशाग्र बुद्धि का होना चाहिए क्योंकि एक शिक्षक ही उन्नत राष्ट्र को बनाने में सहयोग प्रदान करता है।

नाम             डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन

जन्म           5 सितंबर 1888

जन्म स्थान   तिरूमनी गांव मद्रास

मृत्यु           17 अप्रैल 1975 (86)

धर्म            हिंदू

माता          सिताम्मा

पिता          सर्वपल्ली वीरास्वामी

विवाह        सिवाकमु (1904)

बच्चे          5 पुत्री, 1 बेटा

व्यवसाय    राजनीतिज्ञ , दार्शनिक , शिक्षाविद , विचारक

जीवन परिचय (Life introduction)

डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ( Dr.Sarvepalli Radhakrishnan )का जन्म तमिलनाडु के तिरुत्तनी नामक ग्राम में हुआ था जो वर्तमान में मद्रास है । इनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में 5 सितंबर 1988 को हुआ था इनकी जन्मभूमि पवित्र तीर्थ स्थल के रूप में प्रसिद्ध रही है। इनके पूर्वज सर्वपल्ली नाम के ग्राम में निवास करते थे इसलिए उनके परिजनों ने अपने नाम की पुरवा सर्वपल्ली धारण करने लगे थे।

डॉ राधाकृष्णन एक गरीब ब्राह्मण की विद्वान संतान थे।
इनके पिता का नाम 'सर्वपल्ली वीरास्वामी 'और माता का नाम 'सिताम्मा 'था। उनके पिता राजस्व विभाग में कार्य करते और उनकी माता ग्रहणी थी। सर्वपल्ली जी 5 भाई एवं 1बहन थी इनमें सर्वपल्ली जी का स्थान दूसरे नंबर का था। परिवार बड़ा होने के कारण परिवार के पालन-पोषण की जिम्मेदारी इन पर आ चुकी थीं। इसी कारण बालक राधाकृष्णन को कोई सुख-सुविधा प्राप्त ना हो सकी। उनका जीवन बचपन से ही संघर्षमय था।

विद्यार्थी जीवन (Student life)

राधाकृष्णन (Radhakrishnan)जी का बाल जीवन तिरुत्तनी एवं तिरुपति जैसे धार्मिक स्थलों पर व्यतीत किया। बचपन के प्रथम 8 वर्ष उन्होंने तिरुत्तनी में ही रहे। क्योंकि उनके पिता पुराने विचारों के थे और उनमें धार्मिक भावनाएँ भी थीं, इसके बावजूद उन्होंने राधाकृष्णन को क्रिश्चियन मिशनरी संस्था लुथर्न मिशन स्कूल, तिरूपति में 1896-1900के मध्य शिक्षण के लिये भेजा। फिर अगले 4 वर्ष की उनकी शिक्षा वेल्लूर में हुई। इसके बाद उन्होंने मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज, मद्रास में शिक्षा प्राप्त की। वह बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के एवं मेधावी थे।

12 वर्षों के अध्ययन काल में राधाकृष्णन ने बाइबिल के महत्त्वपूर्ण अंश भी याद कर लिये। इसके लिये उन्हें विशिष्ट योग्यता का सम्मान प्रदान किया गया। इस उम्र में उन्होंने स्वामी विवेकानन्द और अन्य महान विचारकों का अध्ययन किया। उन्होंने 1902 में मैट्रिक स्तर की परीक्षा उत्तीर्ण की और उन्हें छात्रवृत्ति भी प्राप्त हुई। इसके बाद उन्होंने 1904 में कला संकाय परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। उन्हें मनोविज्ञान, गणित और इतिहास विषय में विशेष योग्यता की टिप्पणी भी अधिक प्राप्तांकों के कारण मिली। इसके अलावा क्रिश्चियन कॉलेज, मद्रास ने उन्हें छात्रवृत्ति भी दी। दर्शनशास्त्र में एम. ए. के पश्चात् 1918 में वे मैसुर महाविद्यालय में दर्शनशास्त्र के सहायक प्राध्यापक के रूप में नियुक्त हुए। फिर उसी कॉलेज में वे प्राध्यापक भी रहे। डॉ. राधाकृष्णन ने अपने भाषणों और लेखों के माध्यम से विश्व को भारतीय दर्शन शास्त्र से परिचित कराया। सारे विश्व में उनके लेखों की अधिक प्रशंसा की गयी।


वैवाहिक जीवन (Married life)

राधाकृष्ण जी का विवाह 16 वर्ष की आयु में दूर की बहन  'सिवाकामू' के साथ संपन्न किया था। उस समय मद्रास में ब्राह्मण परिवारों में कम उम्र में शादी होती थी इसी बीच राधाकृष्ण जी का विवाह हुआ था। उस समय उनकी पत्नी की आयु मात्र 10 वर्ष की थी। 3 वर्ष पश्चात उन्होंने अपनी पत्नी के साथ जीवन व्यतीत करना प्रारंभ किया। उनकी पत्नी ने प्रारंभिक शिक्षा नहीं की थी लेकिन तेलुगु भाषा में अच्छी पकड़ थी। उन्हें अंग्रेजी भाषा पढ़ना आती थी। उनको पहली पुत्री 1908 में प्राप्त हुई।

सन्1908 में  उन्होंने कला स्नातक की उपाधि प्रथम श्रेणी में अर्जित की एवं दर्शन शास्त्र में विशिष्ट योग्यता प्राप्त की। उनकी शादी के 6 वर्ष बाद ही 1909 में उन्होंने कला में स्नातकोत्तर परीक्षा भी उत्तीर्ण कर ली। इनका विषय दर्शन शास्त्र ही रहा। उच्च अध्ययन के लिए वह अपनी निजी खर्चे के लिये बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने का कार्य किया करते थे। 1908 में उन्होंने एम .ए . की उपाधि प्राप्त करने के लिये एक शोध लेख भी लिखा,उस समय उनकी  मात्र आयु 20 वर्ष की थी। उन्हें शास्त्रों के प्रति उनकी जिज्ञासा बढ़ी। जल्दी ही उन्होंने वेदों और उपनिषदों का भी गहन अध्ययन कर लिया। इसके  उन्होंने हिन्दी और संस्कृत भाषा का भी अभिरुचि पूर्ण अध्ययन किया।

भारत रत्न सम्मान (Bharat Ratna Award)

डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन को ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा 1930 में सर की उपाधि प्रदान की गई थी लेकिन स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद उनके लिए केवल सर्वपल्ली ही रह गई। जब सर्वपल्ली स्वतंत्र भारत के उपराष्ट्रपति बने उस समय डॉ राजेंद्र प्रसाद जी ने सन् 1954 में उन्हें उनकी महानतम दार्शनिक व शैक्षिक उपलब्धियों के लिये देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया था ।

शिक्षक दिवस (Teacher's day)

स्वतंत्र भारत की अद्वितीय राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन पूरे भारतवर्ष में प्रतिवर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस (teachers day)के रूप में मनाया जाता है । एक बार की बात है कुछ विद्यार्थी डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन मनाना चाहते थे लेकिन सर्वपल्ली राधाकृष्णन कहां की मेरा जन्म शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाएगा तो मैं गर्व महसूस करूंगा l सन 1962 से डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म दिन शिक्षक दिवस (Teacher's day)के रूप में मनाया जाने लगा। इस दिन शिक्षक पढा़ने का कार्य नहीं करते बल्कि स्कूल कॉलेज के छात्र-छात्राएं अपने जूनियर छात्रों को पढ़ाने का कार्य करते हैं और वह एक शिक्षक होने की भूमिका निभाने का कार्य करते हैं इस दिन छात्र छात्राएं शिक्षकों के सम्मान में बुके, फूल , पेन शिक्षकों को भेंट स्वरूप प्रदान करते हैं इस दिन डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की फोटो की पूजा की जाती है एवं उनका जन्मदिन सेलिब्रेट किया जाता है यह विद्यार्थी जीवन का महत्वपूर्ण दिन होता है। शिक्षक दिवस के दिन डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन पर भाषण (teacher day speech ) , गायन ,कविता पाठ का स्कूल में कार्यक्रम व कॉलेजों में  कार्यक्रम किए जाते हैं और इसमें छात्र-छात्राएं भाग लेने का कार्य करते हैं । यहं छात्र जीवन का एक इंटरेस्टिंग मूवमेंट होता है।

डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की मृत्यु(Dr. Sarvepalli Radhakrishnan death)

डॉ. सर्वपल्ली राधा कृष्ण राधाकृष्णन का निधन लंबी बीमारी के चलते सन् 17 अप्रैल 1975 को हुआ था। शिक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान महत्वपूर्ण होने से यह हमारे लिए सदा स्मरणीय रहेंगे। इसलिए इनका जन्म प्रतिवर्ष 5 सितंबर को पूरे भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। शिक्षक दिवस पर शिक्षक के विशिष्ट कार्य के लिए राष्ट्रीय स्तर पर भारत के प्रधानमंत्री द्वारा शिक्षक दिवस पर पुरस्कार दिया जाता है। सन 1975 में राधा कृष्ण जी के मरणोपरांत अमेरिकी सरकार नेटेम्पलटन पुरस्कार से नवाजा गया था जो कि हां पुरस्कार धर्म के उत्थान के क्षेत्र में दिया जाता है वे इस सम्मान को प्राप्त करने वाले गैर ईसाई हिंदू व्यक्ति थे।

प्रश्नोत्तरी

1. शिक्षक दिवस कब मनाया जाता है?
उत्तर 5 सितंबर

2. कब से शिक्षक दिवस मनाया जाता है?
उत्तर सन 1962

3. सर्वपल्ली राधाकृष्णन कौन थे?
उत्तर भारत के पूर्व एवं प्रथम उपराष्ट्रपति व द्वितीय राष्ट्रपति

4. डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की मृत्यु कब हुई?
उत्तर 17 अप्रैल 1975

5.डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म कब हुआ था?
उत्तर 5 सितंबर 1888

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गुरुवार, 3 सितंबर 2020

आखिर क्यो भारत में Pubg हुआ प्रतिबंध।Pubg ban in India



भारत चीन सीमा विवाद के बीच 118 मोबाइल ऐप समेत पब्जी सरकार द्वारा प्रतिबंधित किया गया। PUBG पब्जी मोबाइल गेम ,
pubg mobile lite प्रचलित गेम है यह दुनिया भर में खेला जाने वाला गेम है भारत में भी इसके कई दीवाने हैं।

PUBG क्या है?

Pubg क्या है इसका मतलब PlayerUnknown's Battlegrounds होता है, दुनिया भर में मोबाइल पर खेला जाने वाला एक पॉपुलर गेम है अन्य देशों सहित भारत में भी इसके दीवाने हैं। गेम्स को लेकर युवाओं में अलग ही तरह की दीवानगी दिखाई पड़ती है।Pubgमोबाइल गेम मार्च 2017 में लॉन्च हुआ था। Pubg मोबाइल गेम एक जापानी थ्रिलर फ़िल्म 'बैटल रोयाल' से आकर्षित होकर बनाया गया। इसमें सरकार छात्रों को जबरन मौत से लड़ने के लिए भेजती है।

Pubg में कम से कम 100 खिलाड़ी किसी भी टापू पर पैराशूट से छलांग लगाते हैं। यहां पर पहुंचने पर उन्हें वहां पर मौजूद अलग-अलग घरों , स्थानों पर जाकर दवाइयां कॉम्बेट के लिए जरूरी चीजों को एकत्रित करना होता है।और फिर हथियारो खोजते हैं,और एक दूसरे को जब तक मारते हैं , जब तक वह खुद बचा ना रह जाए। इसमें प्लेयर को बाइक , कार और बोट भी मिलती है, ताकि वह आगे जाकर दूसरे बंदे को मार सके । इसमें 100 लोगो में से आखरी तक रहने वाला बंदा गेम का विनर होता है।

Pubg का दुष्प्रभाव

पब जी मोबाइल गेम को लेकर युवाओं में काफी दीवानगी छाई हुई है। यह गेम युवाओं के लिए लात बन गया,जो उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रहा था।युवाओं पर गेमिंग की नशा हावी होने पर। उनकी फिजिकल हेल्थ और मेंटल हेल्थ पर बुरा असर डाल रही थी।पब जी मोबाइल गेम युवाओं की माता पिता के लिए मुसीबत बन गया था। जानकारी के अनुसार इस गेम के कारण हेल्थ कंडीशन पर बुरा असर पड़ रहा था। इस गेम की युवाओं पर बुरा प्रभाव दिखाई दे रहा था जैसे नींद ना आना, कॉलेज और स्कूलों से लगातार छुट्टी लेना, गेमिंग के समय फोन आने पर गुस्सा आना आदि जैसी समस्या बढ़ रही थी।


आखिर कौन है? कालीन भैया

Pubg मोबाइल प्रतिबंध की कहानी


मोदी सरकार ने पब्जी को बैन कर दिया है और इसके साथ ही 118 चीनी को ऐप्स को बैन कर दिए हैं। सरकार की तरफ से कहा गया है कि यह चीनी एप्स भारत के लिए खतरा हो सकते हैं।Pubg सहित 118 चीनी पॉपुलर ऐप भी शामिल है। Pubg, pubg mobile lite पर इससे पहले डेटा लोकलाइजेशन को लेकर सवाल उठे थे कंपनी ने अपनी पॉलिसी में हाल ही में बदलाव भी किए थे।pubg mobile lite को भी सरकार ने बैन किया है,यह pubg mobile ka लाइट वर्जन था।इन सभी ऐप्स को प्ले स्टोर एवं आईएसओ से भी बैंन किया है। यानी यह एप्स एंड्राइड और आईफोन दोनों पर भी काम नहीं करेंगे। ये ऐप्स प्ले स्टोर और ऐप स्टोर पर देखे जा सकते है।


कब मोबाइल में बंद करेगा पबजी मोबाइल ?


ये सवाल बहुत मुश्किल है, क्योंकि सिर्फ ऐप स्टोर या प्ले स्टोर से ऐप हटाने पर ऐप कार्य करता रहता है ।अब सरकार पर निर्भर करता है, कि वो ऐप्स का फंक्शन पूर्ण बंद करेगी या नहीं। इस स्थिति में भारत सरकार टेलीकॉम कंपनियों और इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स के जरिए ऐप्स का फंक्शन ब्लॉक करा  सकती है।डेटा लोकलाइजेशन का जहां तक प्रश्न है,Pubg की तरफ़ से ये साफ़ कर दिया गया था कि भारत का डेटा भारत में ही स्टोर किया जाता है।


कई अलग- अलग प्रकार के ऐप्स बैन किए गए हैं..

1.एंटी वायरस

2.कैमरा ऐप,

3.क्लीनर ऐप,

4.मेमोरी बूस्टर,

5.ऐप लॉक और

6.वीपीएन शामिल हैं।


प्रश्नोत्तरी

1. पब्जी गेम के मालिक का नाम

उत्तर Chang han Kim

2. पब्जी गेम किस देश का है

उत्तर साउथ कोरिया



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मंगलवार, 1 सितंबर 2020

रामानुजन का जीवन परिचय। Biography of Ramanujan


रामानुजन गणित के दीवाने थे। वे गणित के एक प्रश्न को 100 से हल कर सकते थे। इसी दक्षता के कारण उन्हे गणित का गुरु दर्जा प्राप्त हुआ था। गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन का जन्म राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में मनाया जाता है । रामानुजन गरीब परिवार से थे. उनके पास अपने शौक पूरा करने के पैसे नहीं थे।

जन्म                  22 दिसम्बर, 1887 इरोड, तमिलनाडु

मृत्यु                26 अप्रैल,1920चेटपट, (चेन्नई), तमिलनाडु

आवास              भारत,   यूनाइटेड किंगडम

राष्ट्रीयता            भारतीय

क्षेत्र                   गणित

शिक्षा                कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय

प्रसिद्धि             लैंडॉ-रामानुजन् स्थिरांक ,रामानुजन् योग
                       रामानुजन्-सोल्डनर स्थिरांक , कृत्रिम थीटा फलन
                       रामानुजन् थीटा फलन , रामानुजन् अभाज्य
                   
                 
रामानुजन आधुनिक काल के महानतम गणित विचारकों में गिना जाता है। श्रीनिवास विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। श्रीनिवास जी ने खुद से गणित सीखा और अपने जीवनभर में गणित के 3,884 प्रमेयों का संकलन किया भी किया। वे एक मशहूर गणितज्ञ थे।

               
जीवन परिचय

श्रीनिवास रामानुजन का जन्म 22 दिसम्बर1887 को भारत के दक्षिणी भूभाग में स्थित कोयंबटूर के ईरोड नामक गांव में हुआ था। वह पारंपरिक ब्राह्मण परिवार में जन्मे थे। इनकी की माता का नाम कोमलताम्मल और इनके पिता का नाम श्रीनिवास अय्यंगर था।  रामानुजन का बचपन अन्य बच्चों जैसा सामान्य नही था की वे बेहद गरीब परिवार से थे । रामानुजन 3 साल की उम्र तक वो बोल नहीं पाए थे, जिसकी वजह से माता-पिता को चिन्तित होने लगे थी कि रामानुजन गूंगे तो नहीं  होगे। श्रीनिवास विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। रामानुजन का जीवन सिर्फ 33 वर्ष ही तक रहा।

रामानुजन की प्रंभिक शिक्षा

रामानुजन की प्रंभिक शिक्षा तमिल भाषा से हुई। शुरू में रामानुजन का मन पढाई में नहीं लगता था। पर आगे जाकर 10 वर्ष के उम्र में प्राइमरी परीक्षा में पूरे जिले में पहला स्थान प्राप्त किया.और आगे की पढ़ाई के टाउन हाईस्कूल पहुंचे यहीं से गणित की पढ़ाई की शुरुआत हुई।

प्रश्न पूछने का शौक

रामानुजन को बचपन से ही प्रश्न पूछने का काफ़ी शौक था। वे कभी कभी ऐसा प्रश्न पूछते थे कि शिक्षकों के दिमाग घूम जाते थे। इन्होंने स्कूल के समय में ही कालेज के स्तर के गणित को पढ़ लिया था। उनमें बहुत जिज्ञासा थी। वे किसी भी प्रश्न का उत्तर जानने की उनमें बहुत जिज्ञासा थी । अध्यापकों इस तरह के  सवाल भी पूछते थे कि 'संसार का पहला इंसान कौन था? आकाश और पृथ्वी के बीच की दूरी कितनी है? समुद्र कितना गहरा और कितना बड़ा है? 


बीए के छात्र को देते थे शिक्षा

मात्र तेरह साल की आयु में  यह भी मशहूर है कि सातवीं कक्षा में पढ़ाई करने के दौरान ही बीए के छात्र को गणित भी पढ़ाया करते थे.  उन्होंने मात्र 16 वर्ष की उम्र में ही G.S.Carr. द्वारा कृत “A Synopsis of Elementary Results in Pure and Applied Mathematics” की 5000 से अधिक प्रमेय को बहुत आसानी से प्रमाणित और सिद्ध करके दिखाया था।

बाकी विषयों में हुए फेल,गणित में किया टॉप

रामानुजन बाकी विषयों पर कम ध्यान दे पाते थे और गणित में इतना अधिक पढ़ाई करते थे कि  इसका नतीजा यह हुआ की एक बार वे 11वीं की परीक्षा में गणित में तो टॉप कर लिया था , लेकिन अन्य सभी विषयों में फेल हो गए। रामानुजन का पढ़ाई से नाता टूटने के बाद रामानुजन के जीवन के कुछ साल बहुत हीं कठीन परिस्थितियों में गुजारे। हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद इन्हें गणित और अंग्रेजी मे अच्छे अंक लाने के कारण सुब्रमण्यम छात्रवृत्ति मिली और आगे कालेज की शिक्षा के लिए प्रवेश भी मिला था।

1908 में उनके माता पिता ने इनका विवाह जानकी नामक कन्या से कर दिया। विवाह हो जाने के बाद अब इनके लिए सब कुछ भूल कर गणित में डूबना संभव नहीं था। अंग्रेजी शासन में उनके के पास न तो कोई नौकरी थी और न इसे पाने के लिए कोई बड़ी डिग्री. नौकरी की तलाश में उनकी भेंट डिप्टी कलेक्टर श्री वी. रामास्वामी अय्यर से हुई  । अय्यर जी गणित के जाने- माने बहुत बड़े विद्वान् थे. वो रामानुजन की प्रतिभा, कौशल,को पहचान गए और फिर उन्होंने रामानुजन के लिए 25 ₹ की मासिक छात्रवृत्ति की व्यवस्था की, बाद में रामानुजन का प्रथम शोधपत्र बरनौली संख्याओं के कुछ गुण शोध पत्र जर्नल ऑफ इंडियन मैथेमेटिकल सोसाइटी में भीें प्रकाशित हुआ था।

रामानुजन को अपने प्रिय विषय गणित के लिए समय मिलने लगा। कुछ महीनों बाद रामानुजन को मद्रास पोर्ट ट्रस्ट में लेखाबही का हिसाब रखने के लिए क्लर्क की नौकरी भी मिल गई, इसी तरह रामानुजन ने कई नये-नये गणितीय सूत्रों को लिखना प्रारम्भ किया । सबसे अच्छी बात यह थी  कि श्रीनिवासन ने गणित सीखने के लिए कभी कोई विशेष प्रशिक्षण नहीं लिया । 33 वर्ष की आयु में 26 अप्रैल 1920 को उनका निधन हो गया था।

प्रश्नोत्तरी

1. रामानुजन का जन्म कब और कहां हुआ था?
उत्तर 22 दिसम्बर1887 को भारत के दक्षिणी भूभाग में    स्थित कोयंबटूर के ईरोड नामक गांव में हुआ था।

2. रामानुजन की मृत्यु कब हुई थी?
उत्तर 33 वर्ष की आयु में 26 अप्रैल 1920 को उनका निधन हो गया था।

3. रामानुजन की पत्नी का नाम क्या था?
उत्तर जानकी

4.रामानुजन का जन्म किस दिवस के रूप में मनाया जाता है?
उत्तर राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में

5. रामानुजन की माता और पिता का नाम क्या था?
उत्तर रामानुजन की माता का नाम कोमलताम्मल और पिता का नाम श्रीनिवास अय्यंगर था।

6. रामानुजन कौन थे?

उत्तर गणितज्ञ 

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क्या आप एक नया स्मार्टफोन खरीदने की सोच रहे हैं और आपका बजट 5000 रुपये से भी कम है, तो कोई बात नहीं। तो यह हमारी आज की यह खबर सिर्फ आपके लिए इंपॉर्टेंट है। क्योंकि आज हम आपके लिए लेकर आए है। देश के 5 सबसे सस्ते स्मार्टफोन्स । इन स्मार्टफोन्स में आपको दमदार बैटरी के साथ डीसेंट प्रोसेसर मिलता है। इसके अलावा इनमें आपको बेहतर कैमरा क्वालिटी भी मिलती है। इन 5 स्मार्टफोन्स में  Micromax Bharat 2 Plus, Redmi Go, iKall K110,  से लेकर Coolpad Mega 5M  और Micromax Canvas Spark भी शामिल हैं। आज हम आपको इन स्मार्टफोन्स के सभी स्पेसिफिकेशन्स और कीमत के बारे में बताने जा रहे हैं। तो डालते हैं एक नजर इन पर -

Micromax Bharat 2 Plus

Micromax के Bharat 2 Plus इसमें 4-इंच का WVGA डिस्प्ले दिया गया है। इसका स्क्रीन रिजोल्यूशन 480 x 800 पिक्सल्स है। इसमें 1.3GHz क्वाड-कोर प्रोसेसर दिया गया है। इसमें 1GB की रैम और 8GB की स्टोरेज दी गई है। इसमें 1,600 mAh की बैटरी दी गई है। इसके रियर में 5 मेगापिक्सल का कैमरा दिया गया है। वहीं, सेल्फी के लिए इसमें 2 मेगापिक्सल का फ्रंट कैमरा दिया गया है। इस फोन की कीमत 2,950 रुपये है।

Redmi Go

Xiaomi ने अपने Redmi Go को पिछले साल भारत में  Redmi Go में 5-इंच का 720 पिक्सल वाला डिस्प्ले दिया गया है। इसमें क्वालकॉम स्नैपड्रैगन 425 क्वाड-कोर प्रोसेसर दिया गया है। इसमें 1GB की रैम और 32GB की स्टोरेज दी गई है। यूजर्स इसकी इंटरनल स्टोरेज को माइक्रो एसडी कार्ड के जरिए 128GB तक बढ़ा सकते हैं। यह स्मार्टफोन Android Oreo Go एडिशन पर काम करता है। इसमें आपको सात भारतीय भाषा चुनने का विकल्प मिलता है। इसके रियर में 8 मेगापिक्सल और फ्रंट में 5 मेगापिक्सल का कैमरा दिया गया है। इसमें 3,000 mAh की बैटरी दी गई है। यह फोन सिंगल चार्ज पर 10 दिनों तक चल सकता है।इस फोन की कीमत 2,999 रुपये है।

iKall K110

यह फोन लेटेस्ट स्मार्टफोन की तरह दिखता है। इसमें वाटरड्रॉप स्टाइल नॉच मिलती है। साथ ही इसमें 2 मैगापिक्सल का सेल्फी कैमरा मिलता है। पीछे की तरफ इसमें 5 मैगापिक्सल कैमरा सेटअप मिलता है। इसमें 5.5 इंच की आईपीएस डिस्प्ले दी गई है, जिसका स्क्रीन रिजॉल्यूशन 480x490 पिक्सल है। इसमें 1,3 गीगाहर्ट्ज का क्वॉडकोर प्रोसेसर, एंड्रॉयड 6 ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ 2 जीबी की रैम और 16 जीबी की इंटरनल स्टोरेज मिलती है, जिसे 128 जीबी तक बढ़ाया जा सकता है। वहीं इसमें 2500 mAh की बैटरी मिलती है। इसकी कीमत 4899 रुपये है।

Coolpad Mega 5M

Coolpad Mega 5M स्मार्टफोन दिसंबर 2018 में लॉन्च हुआ था। इसमें 5-इंच का HD डिस्प्ले दिया गया है। इसमें 1.3GHz प्रोसेसर दिया गया है। इसमें 1GB की रैम और 16GB की इंटरनल स्टोरेज दी गई है। । यूजर्स इसकी इंटरनल स्टोरेज को माइक्रो एसडी कार्ड के जरिए 32GB तक बढ़ा सकते हैं। इसमें 2,000 mAh की बैटरी दी गई है। इसके रियर में 5 मेगापिक्सल और फ्रंट में 2 मेगापिक्सल का फ्रंट कैमरा दिया गया है। इस फोन की कीमत 4,999 रुपये है।

Micromax Canvas Spark

Micromax ने अपने Canvas Spark को वर्ष 2016 में लॉन्च किया था।  इसमें 1.3GHz क्वाड-कोर प्रोसेसर दिया गया है। इसमें 1GB की रैम और 8GB की स्टोरेज दी गई है। यूजर्स इसकी इंटरनल स्टोरेज को माइक्रो एसडी कार्ड के जरिए 32GB तक बढ़ा सकते हैं। यह स्मार्टफोन Android 6.0 ऑपरेटिंग सिस्टम पर काम करता है। इसमें 2,000 mAh की बैटरी दी गई है। इसके रियर में 5 मेगापिक्सल का कैमरा दिया गया है। वहीं, सेल्फी के लिए इसमें 2 मेगापिक्सल का फ्रंट कैमरा दिया गया है। इसकी फोन की 4,499 रुपये है।

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टॉप 5 मोबाइल ₹10000 के बजट में । Top 5 Mobile ₹ 10000 Budget

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1. Redmi 9 Prime

Redmi 9 Prime इसमें  वाटर ड्रॉप नॉच 6.53 इंच, का डिस्प्ले दिया गया है। इसमें डुअल सिम, 3 जी, 4 जी, वोएलटीई, वाई-फाई, आईआर ब्लास्टर दिया है। इसका स्क्रीन रिजोल्यूशन  1080 x 2340  पिक्सल्स है। हेलियो जी 80, ऑक्टा कोर, 2 गीगाहर्ट्ज़ प्रोसेसर दिया गया है। इसमें 4 जीबी रैम, 64 जीबी इनबिल्ट स्टोरेज दी गई है,और इसमें 512gb तक मेमोरी कार्ड सपोर्ट करता है।इसमें फास्ट चार्जिंग के साथ 5020 एमएएच की बैटरी दी गई है। इसके रियर में 13 मेगापिक्सल का कैमरा दिया गया है। वहीं, सेल्फी के लिए इसमें 8 मेगापिक्सल का फ्रंट कैमरा दिया गया है। इस फोन की कीमत 9999रुपये है।

2. Realme narzo 10A

Realme narzo 10A इसमें 6.5 इंच, 720 x 1600 पिक्सल डिस्प्ले वाटर ड्रॉप नॉच डिस्प्ले दिया गया है। यहां फोन डुअल सिम, 3 जी, 4 जी, वोएलटीई, वाई-फाई सपोर्ट करता है। इसमें हेलियो जी 70, ऑक्टा कोर, 2 गीगाहर्ट्ज़ प्रोसेसर दिया गया है। इसमें 3 जीबी रैम, 32 जीबी इनबिल्ट दी गई है। यूजर्स इसकी इंटरनल स्टोरेज को माइक्रो एसडी कार्ड के जरिए 256GB तक बढ़ा सकते हैं। यह स्मार्टफोन Android v10.0  पर काम करता है। इसमें 12 MP + 2 MP + 2 MP ट्रिपल रियर और फ्रंट में 5 MP का कैमरा दिया गया है। इसमें 5,000 mAh की बैटरी दी गई है। इस फोन की कीमत 8,999 रुपये है।

3. Realme C15

Realme ने Realme C15 फोन लॉन्च किया है। यह फोन डुअल सिम, 3 जी, 4 जी, वोएलटीई, वाई-फाई  सपोर्ट करता है । इस फोन में  6.52-इंच का डिस्प्ले दिया गया है। इसका स्क्रीन रिजोल्यूशन 720 x 1600 पिक्सल्स डिस्प्ले वाटर ड्रॉप नॉच दिया गया है। इसमें  हेलियो जी 35, ऑक्टा कोर, 2.3 गीगाहर्ट्ज़ प्रोसेसर दिया गया है। इसमें 3GB की रैम और 32GB इनबिल्ट स्टोरेज दी गई है। यूजर्स इसकी इंटरनल स्टोरेज को माइक्रो एसडी कार्ड के जरिए 256GB तक बढ़ा सकते हैं। यह स्मार्टफोन Android v10ऑपरेटिंग सिस्टम पर कार्य करता है। इसमें फास्ट चार्जिंग के साथ 6000 एमएएच की  बैटरी दी गई है। इसके रियर में 13MP का कैमरा दिया गया है। वहीं, सेल्फी के लिए इसमें 8MP का फ्रंट कैमरा दिया गया है। इस फोन की कीमत 9,999 रुपये है।

4. Realme C3

Realme ने  Realme C3 स्मार्टफोन 6 फरवरी 2020 में लॉन्च किया था। यहां फोन डुअल सिम, 3 जी, 4 जी, वोएलटीई, वाई-फाई सपोर्ट करता है। इसमें 6.52-इंच का डिस्प्ले दिया गया है।इसका स्क्रीन रिजोल्यूशन 720 x 1600 पिक्सल्स डिस्प्ले वाटर ड्रॉप नॉच दिया गया है। इसमें हेलियो जी 70, ऑक्टा कोर, 2 गीगाहर्ट्ज प्रोसेसर दिया गया है। इसमें 4GB की रैम और 64GB की इंटरनल स्टोरेज दी गई है। । यूजर्स इसकी इंटरनल स्टोरेज को माइक्रो एसडी कार्ड के जरिए 256GB तक बढ़ा सकते हैं। इसमें 5,000 mAh की बैटरी दी गई है। इसके रियर में 12 MP + 2 MP का डुअल और फ्रंट में 5 MP फ्रंट कैमरा दिया गया है। इस फोन की कीमत 9,999 रुपये है।

5.  Realme C 12         

 Realme ने Realme C12 को 18 August 2020 को लॉन्च किया । यहां फोन डुअल सिम, 3 जी, 4 जी, वोएलटीई, वाई-फाई सपोर्ट करता है। इसमें 6.52-इंच का डिस्प्ले दिया गया है। इसका स्क्रीन रिजोल्यूशन 720 x 1600 पिक्सल्स डिस्प्ले वाटर ड्रॉप नॉच दिया गया है। इसमें  हेलियो जी 35, ऑक्टा कोर, 2.3 गीगाहर्ट्ज़ प्रोसेसर दिया गया है। इसमें 3GB की रैम और 32GB की स्टोरेज दी गई है। यूजर्स इसकी इंटरनल स्टोरेज को माइक्रो एसडी कार्ड के जरिए 256GB तक बढ़ा सकते हैं। यह स्मार्टफोन Android v10 ऑपरेटिंग सिस्टम पर काम करता है। इसमें 6,000 mAh की बैटरी दी गई है। इसके रियर में 13MP +2MP+2 MP का ट्रिपल कैमरा दिया गया है। वहीं, सेल्फी के लिए इसमें 5MP का फ्रंट कैमरा दिया गया है। इसकी फोन की 8,999 रुपये है।

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प्रणब मुखर्जी का जीवन परिचय।Biography of Pranab Mukherjee

प्रणब मुखर्जी का जीवन परिचय।Biography of Pranab Mukherjee


प्रणव कुमार मुखर्जी ( जन्म: 11 दिसम्बर 1935, पश्चिम बंगाल-मृत्यु 31 अगस्त 2020 दिल्ली) भारत के तेरहवें राष्ट्रपति रह चुके हैं। 26 जनवरी 2019 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी द्वारा प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न से सम्मानित किया गया है! वमुखर्जी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे हैं।भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन ने उन्हें अपना उम्मीदवार घोषित किया। प्रणब जी भारत के आर्थिक मामलों, संसदीय कार्यों, बुनियादी सुविधाएँ व सुरक्षा समिति में वरिष्ठ नेता रहे है। सीधे मुकाबले में उन्होंने अपने प्रतिपक्षी प्रत्याशी पी.ए. संगमा को हराया। प्रणब मुखर्जी ने  'द कोलिएशन ईयर्स: 1996-2012' नामक किताब लिखी है। मुखर्जी ने 25 जुलाई 2012 को भारत के तेरहवें राष्ट्रपति के रूप में पद  शपथ ली थी।

जन्म                      11 दिसम्बर 1935 (आयु 84)ग्राम मिराती, बीरभूम  जिला, ब्रिटिश भारत

मृत्यु                      31 अगस्त 2020 दिल्ली

जन्म का नाम        प्रणव कुमार मुखर्जी

धर्म                       हिंदू

राष्ट्रीयता               भारतीय

राजनीतिक दल     भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
 
अन्य राजनीतिक 
संबद्धताऐं             राष्ट्रीय समाजवादी काँग्रेस 
                           (1986 से 1989तक)    

पत्नी                सुव्रा मुखर्जी (विवाह 1957; निधन 2015)

बच्चे                    शर्मिष्ठा (बेटी)
                          अभिजीत (बेटा)
                          इन्द्रजीत (बेटा)
                  
शिक्षण संस्थान   कलकत्ता विश्वविद्यालय

सम्मान              भारत रत्न (2019) पद्म विभूषण (2008)


प्रारंभिक जीवन

प्रणव मुखर्जी का जन्म पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले में किरनाहर शहर के निकट स्थित मिराती नामक गाँव के एक ब्राह्मण परिवार में कामदा किंकर मुखर्जी और राजलक्ष्मी मुखर्जी के यहाँ हुआ था। उनके पिता 1920 के कांग्रेस पार्टी में सक्रिय होने के साथ पश्चिम बंगाल विधान परिषद में 1952 से 64 तक सदस्य और वीरभूम  जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रह चुके थे। प्रणव मुखर्जी के पिता एक सम्मानित स्वतन्त्रता सेनानी थे, जिन्होंने ब्रिटिश शासन की खिलाफत के आंदोलन के स्वरूप 10 वर्षो से अधिक जेल की सजा भी काटी थी। प्रणव मुखर्जी ने वीरभूम के सूरी विद्यासागर कॉलेज में शिक्षा प्राप्त की जो उस समय कलकत्ता विश्वविद्यालय से संबंधित था। कलकत्ता विश्वविद्यालय से उन्होंने इतिहास और राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर के साथ साथ कानून की डिग्री भी हासिल की है। वे एक वकील और कॉलेज प्राध्यापक पद पर कार्य कर चुके हैं। उन्हें मानद डी.लिट उपाधि भी प्राप्त की । उन्होंने पहले एक कॉलेज प्राध्यापक के रूप में और बाद में एक पत्रकार के रूप में अपना कैरियर शुरू किया था । वे बाँग्ला प्रकाशन संस्थान देशेर डाक मातृभूमि की पुकार में भी काम कर चुके हैं। प्रणव मुखर्जी बंगीय साहित्य परिषद के ट्रस्टी एवं अखिल भारत बंग साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष भी रहे।

वैवाहिक जीवन

बंगाल भारत में वीरभूम जिले के मिराती नामक गाँव में 11 दिसम्बर 1935 को कामदा किंकर मुखर्जी और राजलक्ष्मी मुखर्जी के घर जन्मे प्रणव का विवाह 22 वर्ष की आयु में 13 जुलाई 1957 को सुव्रा मुखर्जी के साथ हुआ था। उनके कुल 3 बच्चे, दो बेटे और एक बेटी हैं। उनके तीन व्यक्तिगत शौक  पढ़ना, बागवानी करना और संगीत सुनना थे।

राजनीतिक कैरियर

मुखर्जी संसदीय कैरियर करीब पाँच दशक पुराना है, जो 1969 में कांग्रेस पार्टी के उच्च सदन यानी राज्यसभा सदस्य के रूप में से शुरू हुआ था। सन्1973 में वे औद्योगिक विकास विभाग के केंद्रीय उप मन्त्री के रूप में मन्त्रिमण्डल में  भी शामिल हुए। मुखर्जी सन 1984 में भारत के वित्त मंत्री बने। यूरोप पत्रिका के सर्वे के अनुसार उनका नाम सबसे अच्छे मंत्री के रूप में गिना जाता है। प्रणव वित्त मंत्री के कार्यकाल के दौरान के रूप में  डॉ॰ मनमोहन सिंह भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर थे।

प्रणव सन् 1985 के बाद से वह कांग्रेस की पश्चिम बंगाल राज्य के भी अध्यक्ष हैं। सन 2004 में, जब कांग्रेस ने गठबन्धन सरकार  की तो कांग्रेस के प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह एक राज्यसभा सांसद थे। इसलिए जंगीपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से पहली बार लोकसभा चुनाव जीतने वाले प्रणव मुखर्जी को लोकसभा में सदन का नेता बनाया गया था। उन्हें वित्त,रक्षा, , विदेश विषयक मन्त्रालय, राजस्व, नौवहन, परिवहन, उद्योग, आर्थिक मामले, वाणिज्य और ,संचार समेत विभिन्न महत्वपूर्ण मन्त्रालयों के मन्त्री होने का गौरव भी प्राप्त है। वह संसदीय दल कांग्रेस  और कांग्रेस विधायक दल के नेता  भी रह चुके हैं, जिसमें देश के सभी  विधायक और  कांग्रेस सांसद शामिल होते हैं। इसके अलावा  वे उच्च सदन यानी लोकसभा में सदन के नेता, बंगाल प्रदेश कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष, कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की मंत्रिपरिषद में केन्द्रीय वित्त मन्त्री भी रहे। लोकसभा चुनावों से पहले जब प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह ने अपनी बाई-पास सर्जरी कराई, प्रणव दा विदेश मन्त्रालय में केन्द्रीय मंत्री होने के बावजूद राजनैतिक मामलों की कैबिनेट समिति के अध्यक्ष और वित्त मन्त्रालय में केन्द्रीय मन्त्री का अतिरिक्त प्रभार लेकर मन्त्रिमण्डल के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे।सन 1991 से 1996 तक वे योजना आयोग के उपाध्यक्ष पद पर रहे।प्रणब मुखर्जी मनमोहन की दूसरी सरकार में वित्त मंत्री बने थे।प्रणब मुखर्जी भारत के 13वें राष्ट्रपति के रूप में 2012 से 2017 तक पद पर रह चुके थे।

अन्तर्राष्ट्रीय भूमिका

2008अक्टूबर10  को मुखर्जी और अमेरिकी विदेश सचिव कोंडोलीजा राइस ने धारा 123 समझौते पर भी हस्ताक्षर के
किया। वे अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (international monetary fund)के विश्व बैंक,( World Bank),एशियाई विकास बैंक (Asian development Bank),और अफ्रीकी विकास बैंक (African development Bank),के प्रशासक बोर्ड के सदस्य भी थे।

सन 1984 में उन्होंने आईएमएफ और विश्व बैंक से जुड़े ग्रुप-24 की बैठक की अध्यक्षता की। मई और नवम्बर 1995 के बीच उन्होंने दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क ) मन्त्रिपरिषद सम्मेलन की अध्यक्षता की।

सम्मान और विशिष्टता

1.न्यूयॉर्क से प्रकाशित पत्रिका, यूरोमनी के एक सर्वेक्षण के अनुसार, वर्ष 1984 में दुनिया के पाँच सर्वोत्तम वित्त मन्त्रियों में से एक प्रणव मुखर्जी भी शामिल थे।

2.उन्हें सन् 1997 में सर्वश्रेष्ठ सांसद का अवार्ड मिला।

3. उनके नेत़त्व में ही भारत ने अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के ऋण की 1.1 अरब अमेरिकी डॉलर की अन्तिम किस्त नहीं लेने का गौरव अर्जित किया। उन्हें प्रथम दर्जे का मन्त्री माना जाता है और सन 1980-1985 के दौरान प्रधानमन्त्री की अनुपस्थिति में उन्होंने केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल की बैठकों की अध्यक्षता भी की।

4.उन्हें वर्ष 2008 के दौरान सार्वजनिक मामलों में उनके योगदान के लिए भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से नवाजा गया था।

5.प्रणव मुखर्जी को 26 जनवरी 2019 में सबसे बड़े सम्मान भारत  रत्न से सम्मानित किया गया।

निधन

10 अगस्त को दोपहर गंभीर स्थिति में प्रणब मुखर्जी को  आर्मी अस्पताल में भर्ती कराया गया था और उसी दिन उनके मस्तिष्क में जमे खून को हटाने के लिए उनकी सर्जरी की गई थी। मुखर्जी को बाद में फेफड़े में संक्रमण भी हो गया। सर्जरी से पहले उनकी कोरोना जांच भी कराई गई थी, जिसकी रिपोर्ट सकारात्मक आई थी। उनका निधन 31 अगस्त 2020 को दिल्ली के अस्पताल में हुआ। 31अगस्त से 6 सितंबर तक पूरे भारत में शौक मनाया जाएगा।

प्रश्नोत्तरी

1. प्रणब मुखर्जी की एज क्या थी
उत्तर- 84 वर्ष

2. प्रणब मुखर्जी की मृत्यु कब हुई?
उत्तर- 21 अगस्त 2020

3. प्रणब मुखर्जी की पत्नी का नाम क्या था?
उत्तर- सुव्रा मुखर्जी

4.प्रणब मुखर्जी के कितने बच्चे थे?
उत्तर- 3 बच्चे

5.प्रणब मुखर्जी के कितने बेटे थे?
उत्तर- दो बेटे

6.प्रणब मुखर्जी कौन थे?
उत्तर- देश के पूर्व राष्ट्रपति एवं कांग्रेस पार्टी के नेता ।

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ब्रह्मगुप्त का जीवन परिचय। Biography of Brahmagupta

Biography of Brahmagupta

ब्रह्मगुप्त
(जन्म.598 ई. - मृत्यु .668 ई.) भारत के प्रसिद्ध गणितज्ञ थे। आर्यभट्ट के बाद भारत के प्रथम गणितज्ञ भास्कराचार्य प्रथम थे इनके बाद ब्रह्मगुप्त हुए । ब्रह्मगुप्त गणित ज्योतिष के बहुत बड़े आचार्य थे।


उनके बाद अंकगणित और बीजगणित के विषय में लिखने वाले कई गणितशास्त्री हुए। वे खगोल शास्त्री भी थे और उन्होने 'शून्य' के उपयोग के नियम खोजे थे। प्रसिद्ध ज्योतिषी भास्कराचार्य ने ब्रह्मगुप्त 'गणकचक्र - चूड़ामणि' कहा और उनके मूलाकों को अपने 'सिद्धान्त शिरोमणि' का आधार माना । उनके ग्रन्थ  प्रसिद्ध हैं, 'ब्रह्मस्फुटसिद्धान्त' और 'खण्ड-खाद्यक'। मध्यकालीन यात्री अलबरूनी ने भी ब्रह्मगुप्त का उल्लेख किया है। ख़लीफ़ाओं के राज्यकाल में इनके अनुवाद अरबी भाषा में भी कराये गये थे, जिन्हें अरब देश में 'अल सिन्द हिन्द' और 'अल अर्कन्द' कहते भी थे। उनकी पहली पुस्तक 'ब्रह्मस्फुट सिद्धान्त' का अनुवाद है,और दूसरी 'खण्ड-खाद्यक' का अनुवाद भी है।

जन्म                  598 ई. भीनमाल, राजस्थान

मृत्यु                   668 ई.

आवास                भारत

राष्ट्रीयता             भारतीय        

पिता                   जिष्णु

क्षेत्र                  गणितज्ञ  

जीवन परिचय

ब्रह्मगुप्त आबू पर्वत तथा लुणी नदी के बीच स्थित, भीनमाल नामक छोटे से गांव के निवासी थे। उनका जन्म शक संवत् ५२० में हुआ था। उनके पिता जी का नाम जिष्णु था।आचार्य ब्रह्मगुप्त का जन्म राजस्थान राज्य के भीनमाल शहर मे ईस्वी सन् ५९८ मे हुआ था। इसी कारण उन्हें ' भिल्लमालाआचार्य ' के नाम से भी कई जगह उल्लेखित किया गया है। यह शहर तत्कालीन गुजरात प्रदेश की राजधानी तथा
हर्षवर्धन साम्राज्य के राजा व्याघ्रमुख के समकालीन माना जाता है।

उन्होंने प्राचीन ब्रह्मपितामहसिद्धांत के आधार पर ब्राह्मस्फुटसिद्धान्त तथा खण्डखाद्यक नामक करण ग्रंथ भी लिखे, जिनका अनुवाद अरबी भाषा में, अनुमानत खलीफा मंसूर के समय, सिंदहिंद और अल- अकरंद के नाम से हुआ। उनका एक ओर ग्रंथ का नाम 'ध्यानग्रहोपदेश' भी है। इन ग्रंथों के कुछ परिणामों का विश्वगणित में अपूर्व स्थान है।

ब्रह्मगुप्त तत्कालीन गुर्जर प्रदेश भीनमाल के अन्तर्गत आने वाले प्रख्यात शहर उज्जैन (वर्तमान मे मध्यप्रदेश) की अन्तरिक्ष प्रयोगशाला के प्रमुख भी थे,और इस दौरान उन्होंने दो विशेष ग्रन्थ लिखे -

1.ब्रह्मस्फुटसिद्धान्त (सन 628 ई)
2.खण्ड-खाद्यक (सन 665 ई.)

गणितीय कार्य

ब्रह्मगुप्त का सबसे पहला ग्रन्थ ब्रह्मस्फुटसिद्धांत' को माना जाता है जिसमें शून्य का एक अलग अंक के रूप में उल्लेख किया गया है। यही नहीं, बल्कि इस ग्रन्थ में ऋणात्मक अंकों और शून्य पर गणित करने के सभी नियमों का वर्णन भी किया गया है। ये नियम आज की समझ के बहुत करीब हैं। हाँ, एक अन्तर अवश्य है कि ब्रह्मगुप्त शून्य से भाग करने का नियम सही नहीं दे पाये 0/0 =0.

"ब्रह्मस्फुटसिद्धांत" के साढ़े चार अध्याय मूलभूत गणित को समर्पित हैं। 12वां अध्याय, गणित, अंकगणितीय शृंखलाओं तथा ज्यामिति के बारे में है। 18वें अध्याय, कुट्टक (बीजगणित) में आर्यभट्ट के रैखिक अनिर्धार्य समीकरण (linear indeterminate equation, equations of the form ax − by = c) के हल की विधि की चर्चा है। (बीजगणित के जिस प्रकरण में अनिर्धार्य समीकरणों का अध्ययन किया जाता है, उसका पुराना नाम ‘कुट्टक’ है। ब्रह्मगुप्त ने उक्त प्रकरण के नाम पर ही इस विज्ञान का नाम सन् 628 ई. में ‘कुट्टक गणित’ रखा।) ब्रह्मगुप्त ने द्विघातीय अनिर्धार्य समीकरणों (Nx2 + 1 = y2) के हल की विधि भी खोज निकाली। इनकी विधि का नाम चक्रवाल विधि है। गणित के सिद्धान्तों का ज्योतिष में प्रयोग करने वाला ब्रह्मगुप्त प्रथम व्यक्ति था। उनके ब्राह्मस्फुटसिद्धान्त के द्वारा ही अरबों को भारतीय ज्योतिष का पता लगा। अब्बासिद ख़लीफ़ा अल-मंसूर (712-775ईस्वी) ने बग़दाद की स्थापना की और इसे शिक्षा के केन्द्र के रूप में विकसित किया। उसने उज्जैन के कंकः को आमंत्रित किया जिसने ब्राह्मस्फुटसिद्धान्त के सहारे भारतीय ज्योतिष की व्याख्या की। अब्बासिद के आदेश पर अल-फ़ज़री ने इसका अरबी भाषा में अनुवाद किया।

ब्रह्मगुप्त ने किसी वृत्त के क्षेत्रफल को उसके समान क्षेत्रफल वाले वर्ग से स्थानान्तरित करने का भी यत्न किया।

ब्रह्मगुप्त ने पृथ्वी की परिधि भी ज्ञात की थी, जो आधुनिक युग  के मान के निकट है।

ब्रह्मगुप्त पाई  ( 3.1415 9 265) का मान 10 के वर्गमूल (3.16227766) के बराबर माना।

ब्रह्मगुप्त भिन्नों के सिद्धांत से परिचित थे। इन्होंने एक घातीय अनिर्धार्य समीकरण का पूर्णाकों में व्यापक हल दिया, जो आधुनिक पुस्तकों में इसी रूप में पाया जाता है और अनिर्धार्य वर्ग समीकरण, K y2 + 1 = x2, को भी हल करने का प्रयत्न किया।

प्रश्नोत्तरी

1. ब्रह्मगुप्त का जन्म कब हुआ था?
उत्तर- 598 ई.

2. ब्रह्मगुप्त की मृत्यु कब हुई थी?
उत्तर -668 ई.

3. ब्रह्मगुप्त कौन थे?
उत्तर- भारत के प्रसिद्ध गणितज्ञ।

4. ब्रह्मगुप्त का पहला ग्रंथ कौन सा है?
उत्तर- ब्रह्मस्फुटसिद्धांत माना जाता है।

5. ब्रह्मगुप्त के पिता का नाम क्या था? 
उत्तर - जिष्णु

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प्रेमचंद का जीवन परिचय। Biography of Premchand

रामानुजन का जीवन परिचय। Biography of Ramanujan

धनपत राय श्रीवास्तव(31 जुलाई 1880 – 8 अक्टूबर 1936) यानी मुंशी प्रेमचंद नाम से  भी जाने जाते हैंl मुंशी प्रेमचंद हिन्दी और उर्दू के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार,  विचारक एवं कहानीकार भी थे।  रंगभूमि, निर्मला, गबन, गोदान,कर्मभूमि,प्रेमाश्रम, सेवासदन आदि लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास तथा कफन, बड़े घर की बेटी,पूस की रात,दो बैलों की कथा, पंच परमेश्वर,बूढ़ी काकी आदि तीन सौ से भी अधिक कहानियाँ लिखीं। उनमें ज्यादातर हिंदी  तथा उर्दू दोनों भाषाओं में रचनाएं प्रकाशित भी हुईं।  प्रेमचंद अपने दौर की संपूर्ण प्रमुख उर्दू और हिंदी पत्रिकाओं , सरस्वती, मर्यादा, जमाना,चाँद,माधुरी, सुधा आदि में लिखा। उन्होंने साहित्यिक पत्रिका  तथा  हिंदी समाचार पत्र जागरण संपादन और प्रकाशन किया। उन्होंने सरस्वती प्रेस खरीदा जो बाद में घाटे में रहा और बंद करना पड़ा। प्रेमचंद फिल्मों की पटकथा लिखने मुंबई आए और लगभग तीन वर्ष तक रहे। जीवन के अंतिम दिनों तक वे साहित्य सृजन में लगे रहे। उनका अंतिम निबंध महाजनी सभ्यता  , साहित्य का उद्देश्य अंतिम व्याख्यान, कफन अंतिम कहानी, गोदान अंतिम पूर्ण उपन्यास तथा मंगलसूत्र अंतिम ही अपूर्ण उपन्यास माना जाता है।  

जन्म                 31 जुलाई 1880 लमही
                        वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत

मृत्यु                  8 अक्टूबर 1936 (उम्र 56)
                        वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत

व्यवसाय           अध्यापक, लेखक, पत्रकार

राष्ट्रीयता            भारतीय

विधा                  कहानी और उपन्यास

विषय                सामाजिक और कृषक-जीवन
                       
उल्लेखनीय कार्य    गोदान, कर्मभूमि, रंगभूमि, सेवासदन, निर्मला और मानसरोवर

1906 से 1936 के बीच लिखा गया मुंशी का साहित्य इन तीस वर्षों का सामाजिक सांस्कृतिक दस्तावेज है। इसमें उस दौर के स्वाधीनता संग्राम,समाजसुधार आंदोलनो तथा प्रगतिवादी आंदोलनों के सामाजिक प्रभावों का स्पष्ट चित्रण है। उनमें अनमेल विवाह दहेज, , पराधीनता, लगान, छूआछूत, जाति भेद, विधवा विवाह, आधुनिकता, स्त्री-पुरुष समानता, आदि उस दौर की सभी प्रमुख समस्याओं का चित्रण उनके रचनाओं में मिलता है। उनके साहित्य की मुख्य विशेषता आदर्शोन्मुख यथार्थवाद  है। हिंदी कहानी तथा उपन्यास के क्षेत्र में 1918से 1936तक के कालखंड (समय) को 'प्रेमचंद युग' कहा जाता है।

जीवन परिचय

मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी जिले (उत्तर प्रदेश) के लमही नामक गाँव में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम मुंशी अजायबराय व मां का नाम आनन्दी देवी था। प्रेमचंद के पिता लमही गाँव में डाकमुंशी थे। वैसे उनका वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। उनकी आरंभिक शिक्षा फ़ारसी में हुई। प्रेमचंद जब सात साल के थे, तभी उनकी माता का स्वर्गवास हो गया। वे जब पंद्रह साल के हुए तब उनकी शादी कर दी गई और सोलह साल के होने पर उनके पिताजी का भी देहांत हो गया।

प्रेमचंद प्रारंभिक जीवन काफी संघर्षमय रहा। प्रेमचंद के जीवन का साहित्य से क्या संबंध रहा इस बात की पुष्टि रामविलास शर्मा के इस कथनो से होती है कि- "सौतेली माँ का व्यवहार, बचपन में शादी, पंडे-पुरोहित का कर्मकांड, किसानों और क्लर्कों का दुखी जीवन-यह सब प्रेमचंद ने सोलह वर्ष की उम्र में देख लिया था। उनकी बचपन से ही पढ़ने में बहुत रुचि थी। 13 साल की उम्र में ही उन्‍होंने तिलिस्म-ए-होशरुबा पढ़ लिया और उन्होंने उर्दू के मशहूर रचनाकार रतननाथ 'शरसार', मिर्ज़ा हादी रुस्वा और मौलाना शरर के उपन्‍यासों से परिचय प्राप्‍त कर लिया। उनका पहला विवाह पंद्रह साल की उम्र में हुआ। 1906में उनका दूसरा विवाह शिवरानी देवी से हुआ जो बाल-विधवा थीं। वे सुशिक्षित महिला थीं जिन्होंने कुछ कहानियाँ और प्रेमचंद घर में शीर्षक पुस्तक भी लिखी। उनकी तीन संताने हुईं-श्रीपत राय, अमृत राय और कमला देवी श्रीवास्तव। 1898 में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वे एक स्थानीय विद्यालय में शिक्षक नियुक्त हो गए। नौकरी के साथ ही उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी।

1921ई. में असहयोग आंदोलन के दौरान महात्मा गाँधी के सरकारी नौकरी छोड़ने के आह्वान पर स्कूल इंस्पेक्टर पद से 23 जून को त्यागपत्र भी दे दिया। इसके बाद उन्होंने लेखन को अपना व्यवसाय बना हि लिया। माधुरी,मर्यादा,  आदि पत्रिकाओं में वे संपादक पद पर कार्यरत रहे। उसी समय उन्होंने प्रवासीलाल के साथ मिलकर सरस्वती प्रेस भी खरीदा लिया तथा हंस और जागरण निकाला। प्रेस उनके लिए व्यावसायिक रूप से हानिप्रद सिद्ध न हुआ। फिर 1933 ई. में अपने ऋण को पटाने के लिए उन्होंने मोहनलाल भवनानी के सिनेटोन कंपनी में कहानी लेखक के रूप में कार्य करने का प्रस्ताव स्वीकार किया। प्रेमचंद को फिल्म की नगरी  भी रास नहीं आई। वे एक वर्ष का अनुबंध भी पूरा नहीं कर सके और दो महीने का वेतन छोड़कर बनारस लौट आए। उनका स्वास्थ्य निरंतर बिगड़ता गया। लम्बी बीमारी के चलते 8 अक्टूबर 1936 को उनका देहांत हो गया।

प्रेमचन्द साहित्य

1.सप्तसरोज
2.गोदान
3.प्रेमाश्रम
4.सेवासदन
5.कायाकल्प
6.कर्मभूमि
7.गबन
8.समर यात्रा
9.साहित्य का उद्देश्य
10.नव-निधि
11.पाँच फूल
12.प्रेमचंद रचनावली (खण्ड 5)
14.निर्मला

प्रश्नोत्तरी

1. प्रेमचंद का जन्म कहां हुआ था?
उत्तर- वाराणसी  जिले(उत्तर प्रदेश) लमही गांव में हुआ था

2. प्रेमचंद के पिता का नाम क्या था?
उत्तर.- मुंशी अजायबराय

3. प्रेमचंद की माता का नाम क्या था?
उत्तर- आनन्दी देवी

4. प्रेमचंद की कितनी संताने थी?
उत्तर- 3

5. प्रेमचंद की मृत्यु कब हुई?
उत्तर- 8 अक्टूबर 1936 (56)

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