शनिवार, 4 दिसंबर 2021

हिमादास का जीवन परिचय । Biography of Hima das

Hima das

हिमादास
(09 जनवरी 2000) एक भारतीय महिला धावक हैं। वे एक किसान की बेटी हैं जो चावल की खेती करते। हिमादास आईएएएफ वर्ल्ड अंडर-20 एथलेटिक्स चैम्पियनशिप की 400 मीटर दौड़ स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाली प्रथम भारतीय महिला खिलाड़ी में से एक हैं। हिमादास एक भारतीय धावक है।उन्होंने दौड़ स्पर्धा स्वर्ण पदक जीते।

हिमादास को दौड़ स्पर्धा में नंबर वन बनने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी। उन्होने अनेक मुश्किलों को पार करके अपने माता पिता के साथ-साथ देश का नाम भी रोशन किया। उन्होंने साबित कर दिया किया मुश्किलों को पार करने से ही सफलता मिलती है। हिमादास को स्वर्णपरी भेे कहा जाता है।

पूरा नाम             हिमा रणजीत दास

जन्म                09 जनवरी 2000

निवास             ढिंग, नगाँव, असम

नागरिकता        भारतीय

वजन               55किलो 

कद                  5 फूट 5इंच

खेल                  ट्रैक एंड फील्ड

प्रतिस्पर्धा           400मीटर

कोच                  निपोन


जीवन परिचय

भारतीय महिला धावक हिमादास का जन्म 09 जनवरी 2000 को असम राज्य के नगाँव जिले के कांधूलिमारी नामक गाँव में हुआ था। उनके माता पिता किसान है जो चावल की खेती करते हैं।उनकी माता का जोनाली दास और रणजीत दास है। हिमा दास के कुल चार भाई-बहनों से एक है जो छोटी है। हिमा को फुटबॉल खेलना अच्छा लगता था इसलिए वो स्कूल में लड़कों के फुटबॉल खेला करती थी। अपना कैरियर फुटबॉल में देख रही थीं और भारत के लिए खेलने की उम्मीद कर रही थीं।

हिमादास ने जवाहर नवोदय विद्यालय के शारीरिक शिक्षक शमशुल हक की सलाह पर उन्होंने दौड़ना शुरू किया। शमशुल हक़ ने उनकी पहचान नगाँव स्पोर्ट्स एसोसिएशन के गौरी शंकर रॉय से कराई। फिर हिमा दास जिला स्तरीय प्रतियोगिता में चयनित हुईं और दो स्वर्ण पदक भी उस समय जीतीं।उनमें बहुत अधिक प्रतिभा थी।

उसके बाद जिला स्तर प्रतियोगिता में 'स्पोर्ट्स एंड यूथ वेलफेयर' के निपोन दास की नजर उन पर पड़ी। उन्होंने हिमा दास के परिवार वालों को हिमा को गुवाहाटी भेजने के लिए मनाया जो कि उनके गांव से 140 किलोमीटर दूर था। उनके घरवालों पहले मना करने के बाद हिमा दास के मान गए। इस तरह हिमादास को मुश्किलों का सामना करना पडा।

एथलेटिक्स का सफ़र

हिमादास का एथलेटिक्स सफ़र मुश्किल से भरा था। उन्हें अपने गांव से 140 किलोमीटर दूर जाने के लिए घरवालों को मनाने पड़ा क्योंकि उन्हें गुवाहाटी जाने के लिए मना कर रहे थे। कोच निपोन ने काफी जिद करके हिमा के परिजनों को मनाया। उनका अपने परिवार को छोड़ना मुश्किल था लेकिन अपने करियर को संवारने के लिए घरवालों को छोड़ना पड़ा। और इस तरह उनकी सफलता का सफ़र शुरू हुआ।

हिमादास आईएएएफ वर्ल्ड अंडर-20 एथलेटिक्स चैम्पियनशिप की 400 मीटर दौड़ स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता। 400 मीटर की दौड़ स्पर्धा में 51.46 सेकेंड का समय में भी स्वर्ण पदक जीता। वर्ष 2018 अप्रैल गोल्ड कोस्ट में खेले गए कॉमनवेल्थ खेलों की 400 मीटर की स्पर्धा में हिमा दास ने 51.32 सेकेंड में दौर पूरी करते हुए छठवाँ स्थान प्राप्त किया था। तथा 4X400 मीटर स्पर्धा में उन्होंने सातवां स्थान प्राप्त किया। गुवाहाटी में हाल ही में हुई अंतरराज्यीय चैंपियनशिप में उन्होंने गोल्ड मेडल अपने जीता था।

जकार्ता में हुए 18वें 2018 एशियाई खेल में हिमा दास ने दो दिन में दूसरी बार महिला 400 मीटर दौड़ में राष्ट्रीय रिकार्ड तोड़कर रजत पदक जीता है।अप्रैल 2018 में गोल्ड कोस्ट में खेले गए कॉमनवेल्थ खेलों की 400 मीटर की स्पर्धा में हिमा दास ने 51.32 सेकेंड में दौर पूरी करते हुए छठवाँ स्थान प्राप्त किया था। तथा 4X400 मीटर स्पर्धा में उन्होंने सातवां स्थान प्राप्त किया था। हाल ही में गुवाहाटी में हुई अंतरराज्यीय चैंपियनशिप में उन्होंने गोल्ड मेडल अपने जीता था।

हिमा ने पहला गोल्ड मेडल 2019 में  2 जुलाई को 'पोज़नान एथलेटिक्स ग्रांड प्रिक्स' में 200 मीटर रेस में जीता था. इस रेस को उन्होंने 23.65 सेकंड में पूरा कर गोल्ड मेडल जीता था। 7 जुलाई 2019 को पोलैंड में 'कुटनो एथलेटिक्स मीट' के दौरान 200 मीटर रेस को हिमा ने 23.97 सेकंड में पूरा करके दूसरा गोल्ड मेडल जीता था। 13 जुलाई 2019 को हिमा ने चेक रिपब्लिक में हुई 'क्लांदो मेमोरियल एथलेटिक्स' में महिलाओं की 200 मीटर रेस को 23.43 सेकेंड में पूरा कर फिर से तीसरा गोल्ड मेडल हासिल किया था। 19 साल की हिमा ने बुधवार 17 जुलाई 2019 को चेक रिपब्लिक में आयोजित 'ताबोर एथलेटिक्स मीट' के दौरान महिलाओं की 200 मीटर रेस को 23.25 सेकेंड में पूरा कर फिर से चौथा गोल्ड मेडल प्राप्त किया. इस दौरान हिमा अपने रिकॉर्ड (23.10 सेकंड) के बेहद करीब पहुंच गई थी लेकिन वो इसे तोड़ नहीं पाईं। हिमा ने चेक गणराज्य में ही शनिवार 20 जुलाई 2019 में 400 मीटर की स्पर्धा दौड़ में 52.09 सेकेंड के समय में जीत हासिल की. हिमा का जुलाई मास 2019 में मात्र 19 दिनों के भीतर प्राप्त किया गया यह पांचवां स्वर्ण पदक है।

चेक गणराज्य में आयोजित क्लाड्नो एथलेटिक्स में भाग लेने पहुंचीं हिमा दास ने 17 जुलाई 2019 को मुख्यमंत्री राहत कोष में राज्य में बाढ़ के लिए अपना आधा वेतन दान कर दिया। इसके अलावा उन्होंने ट्वीट कर बड़ी कंपनियों और व्यक्तियों से भी आगे आकर असम की मदद करने की अपील की।

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शुक्रवार, 3 दिसंबर 2021

सोनू सूद का जीवन परिचय । Biography of Sonu Sood

Sonu Sood

सोनू सूद
 (30 जुलाई 1973)एक भारतीय अभिनेता है।वे एक मॉडल भी है। वे हिंदी, कन्नड,तेलगु और तमिल फिल्मों में काम करते है।वे एक बेहतरी अभिनेता है। उन्होंने फिल्मों में हीरो व विलेन के किरदार को निभाया है। Covis-19 महामारी के दौरान उनके द्वारा किए गए मानवीय कार्यों के लिए के लिए अधिक चर्चा में आ गए। उन्होंने एयरटेल, अपोलो टायर्स के विज्ञापन के लिए काम किया।

जन्म                    30 जुलाई 1973 को मोगा पंजाब भारत 

अन्य नाम              सोनू

व्यवसाय               अभिनेता

पत्नी                    सोनाली

बच्चे                     ईशान सूद ,अयान सूद

नागरिकता             भारतीय

धर्म                       हिंदू

शौक                     गिटार बजाना,किक बॉक्सिंग

शिक्षा                    इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग


जीवन परिचय

सोनू सूद अभिनेता का जन्म 30 जुलाई 1973 को मोगा पंजाब में हुआ था।उनके पिता इटरप्रिनियोर थे और मा अध्यापिका थी। उनके पिता का नाम शक्ति सागर सूद व माता का नाम सरोज सूद था। उनके बहनों का नाम मालविका और मोनिका है।

 शिक्षा

सोनू सूद की प्रारम्भिक शिक्षा मोगा में सेकेंडरी हाई स्कूल
से हुई। उच्च शिक्षा के लिए वो नागपुर चले गए।और  यशवंतराव चव्हाण अभियांत्रिकी महाविद्यालय में वो मॉडलिंग कालेज में एडमिशन ले लिया। उन्हें मॉडलिंग करने   बचपन से ही दिलस्पी थी। उन्होंने इलेक्ट्रिक इंजीनियर की पढ़ाई की और वे एक इलेक्ट्रिक इंजीनियर  भी बने। लेकिन उन्होंने आपना करियर फिल्मों के लिए चुना और आज वे एक सफल अभिनेता बने।

वैवाहिक जीवन

सोनू सूद की पत्नी का सोनाली सूद है। वे एक तेलगु महिला है। उन्होंने 1996 में सोनाली से शादी की । उनके  2 बेटे है उनके नाम इशांत और अयान है। सोनू सूद ने जो अब तक जो लोगो के लिए कार्य किया है उनके इस कार्य के लिए उनका परिवार गर्व महसूस करता है।


 सोनू सूद फाउंडेशन

सोनू सूद ने कोनाकाल में जरूरतमंद लोगों की मदद करने के लिए उन्होंने फाउंडेशन की भी स्थापना की। यह फाउंडेशन जरूरतमंदों की सहायता के लिए बनाया गया। इस फाउंडेशन का नाम 'सूद चैरिटी फाउंडेशन' है। इस फाउंडेशन में एक साथ कई सारे बॉलीवुड अभिनेता एवं अभिनेत्री होने भी अपना-अपना योगदान दिया।सोनू सूद को सितंबर 2020 में COVID-19 में जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा प्रतिष्ठित 2020 SDG स्पेशल  ह्यूमैनिटेरियन एक्शन अवार्ड ’ के लिए चुना गया है। 

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बुधवार, 28 अप्रैल 2021

एलन मस्क का जीवन परिचय । Biography of Elon Musk

एलन मस्क  का जीवन परिचय । Biography of Elon Musk

एलन रीलव मस्क
 ( जन्म 28 जून 1971) एक दक्षिण अफ्रीकी-कनाडाई-अमेरिकी निवासी है। इसके साथ वे बड़े निवेशक,व्यापारी, इंजीनियर, और आविष्कारक हैं। book on elon musk अमरीकन कार निर्माता कंपनी टेस्ला इंक के फाउंडर और CEO भी है। एलन मस्क स्पेसएक्स के फाउंडर, CEO और मुख्य डिजाइनर है एवं  टेस्ला कंपनी के को-फाउंडर, CEO और उत्पाद के वास्तुकार; ओपनएआई के को-फाउंडर चेयरमैन Neuralink के फाउंडर और  CEO और The Boring Company के संस्थापक हैं। । वे दुनिया के 50 अरबपतियों में से एक हैं। एलन मस्क की कंपनी विद्युत् वाहन बनाने वाली विश्व की सबसे बड़ी कंपनी है। इसके अलावा वे सोलरसिटी के को-फाउंडर और  ज़िप2 के को-फाउंडर और एक्स. कॉम के फाउंडर हैं, जो कि बाद में कॉन्फ़िनिटी के साथ विलय हो गया ।
वे टेस्ला कंपनी के चीफ एक्सक्यूटिव ऑफिसर और अंतरिक्ष के क्षेत्र में काम करने वाली कंपनी स्पेस एक्स के फाउंडर  है। एलन मस्क लगजरी लाइफ का आनन्द उठाते है। 

जन्म                         28 जून 1971

नागरिकता                 अमेरिका

आवास                     अमेरिका

व्यवसाय                   इंजिनियर ,इन्वेस्टर,उद्यमी और

                                आविष्कारक

प्रसिद्धि का कारण     स्पेस एक्स पेपैल, टेस्ला,सोलरसिटी

माता                          मेई मस्क

पिता                          एरोल मस्क

पत्नी                          जस्टिन मस्क

बच्चे                              7

प्रंभिक जीवन

एलन रीलव मस्क का जन्म 28 जून 1971 में दक्षिण अफ्रीका के प्रीटोरिया में हुआ था। उनकी माता का नाम मेई मस्क और पिता का नाम एरोल मस्क था। मस्क के पिता  एक दक्षिण अफ्रीका विद्युत इंजीनियर , पायलट, सलाहकार , नाविक होने के साथ साथ संपत्ति डेवलपर भे थे । सन् 1980 में उनके माता-पिता का तलाक हो गया। उसके बाद से वे उनके पिता के साथ प्रीटोरिया उपनगर एरिया रहते थे। उनके पिता की सौतेली बहन और एक सौतेला भाई भी है।

एलन मस्क को बचपन से कंप्यूटर में अधिक रुचि रही है।कंप्यूटर में अधिक रुचि होने से उन्होंने कुद से प्रोग्रमिक भाषा सीखी

एलन मस्क ने 12 साल के उम्र में बनाया गया वीडियो गेम को उन्होंने 500 डॉलर में बेचा था। बचपन से ही उनमें एक अलग ही क्रिएटिविटी थी। और आज वह अरबपति है।

करियर 

 सन्  1988 में  वे कनाडा चले गए और एक अमेंरीकन नागरिक बनकर रहने लगे।1990 में, मस्क ने किंग्स्टन, ओन्टारियो में क्वीन्स यूनिवर्सिटी में प्रवेश लिया ।   दो वर्ष बाद, उन्होंने पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय में स्थानांतरित कर दिया । उन्होंने 1997 में व्हार्टन स्कूल से अर्थशास्त्र में विज्ञान स्नातक बीएस की डिग्री और भौतिकी में कला स्नातक बीए की डिग्री के साथ स्नातक किया। 

 सन् 1994 में  गर्मियों की छुट्टी के दौरान 2 वर्ष इंटरशिप ऊर्जा भंडारण स्टार्टअप पर आयोजित की। मस्क ने नेटस्केप  में नौकरी पाने का प्रयास किया।पर वह से उन्हें कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला।कैलिफोर्निया में स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में ऊर्जा भौतिकी / सामग्री विज्ञान में कार्यक्रम

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सोमवार, 26 अप्रैल 2021

दिव्येंदु शर्मा का जीवन परिचय । Biography of Divyendu Sharma

Divyendu Sharma

दिव्येंदु शर्मा (जन्म 19 जून 1983) एक इंडियन फिल्म एक्टर हैं, जिन्हें प्यार का पंचनामा में निशांत उर्फ लिक्विड और टॉयलेट-एक प्रेम कथा में नारायण शर्मा की एक्टिंग के लिए जाना भी जाता है। 2018 में फिल्म बत्ती गुल मीटर चालू में त्रिपाठी , अमेजन प्राइम वीडियो सीरीज़ मिर्जापुर में कालीन भैया के बेटे मुन्ना त्रिपाठी और Alt Balaji सीरीज़ बिच्छू का खेल में अखिल श्रीवास्तव की उनकी भूमिका देखा गया है।  मिर्जापुर 2 में मुन्ना त्रिपाठी का रोल काफी बखूबी से निभाया है ऐसा लग रहा था मानो वहीं असल जिंदगी में  हो रहा है।इन्होंने अक्षय कुमार के साथ टॉयलेट-एक प्रेम कथा में भे काम किया। 


जन्म         19 जून 1983 दिल्ली

पत्नी         आकांक्षा शर्मा

राष्ट्रीयता    भारतीय

शिक्षा        कीकिरोड़ीमल कॉलेज एफटीआईआई, पुणे

सक्रिय वर्ष    2011

व्यवसाय      फिल्म अभिनेता

प्रारंभिक जीवन

 शर्मा का जन्म 19 जून 1983 को दिल्ली में हुआ था । उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज से राजनीति विज्ञान में स्नातक डिग्री प्राप्त की । उनके पास दिल्ली में तीन साल का थियेटर का एक्सपीरियंस भी था। जिसके बाद उन्होंने FTII, पुणे से acting में दो साल का डिप्लोमा कोर्स भी किया । उन्होंने पहले वर्जिन मोबाइल , बिड़ला सन लाइफ और फिडेलिटी म्यूचुअल फंड जैसे ब्रांडों के कई विज्ञापनों में काम करते हुए देखा गया था । उनकी पत्नी का नाम आकांक्षा शर्मा है। 

व्यवसायिक जीवन

उनकी पहली मुलाकात माधुरी दीक्षित से कमबैक फिल्म में मिले थे।  माधुरी दीक्षित की कमबैक फिल्म आजा नचले में एक साइड रोल में दिखाई दिए । शर्मा पहली बॉलीवुड फिल्म प्यार का पंचनामा थी । जिसमें उन्होंने लिक्विड नामक एक रोल निभाया था। फिल्म में उनकी भूमिका के लिए, उन्होंने मोस्ट प्रॉमिसिंग न्यूकमर - माले के लिए स्क्रीन अवार्ड जीता । उन्होंने डेविड धवन की चश्मे बद्दूर की रीमेक में कवि ओमी की भूमिका बखूबी से भी निभाई ।

मिर्जापुर 2 में मुन्ना त्रिपाठी,मुन्ना भैया का रोल नंबर वन किया है। मिर्जापुर 2 में अखंडानंद त्रिपाठी के बेटे मुन्ना त्रिपाठी थे।
दिव्येंदु शर्मा ने पंकज त्रिपाठी के साथ Amazon Prime Web Series Mirzapur में भी काम किया ।

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रविवार, 25 अप्रैल 2021

ईशा तलवार का जीवन परिचय । Biography of Isha Talwar

Isha talwar

ईशा तलवार (जन्म 22 दिसंबर 1987) एक भारतीय फिल्म अभिनेत्री होने के साथ- साथ एक मॉडल  भी हैं, जो मुख्य रूप से मलयालम और हिंदी -भाषा फिल्मों में काम करती हैं, इसके अलावा कुछ तमिल और तेलुगु फिल्मों में भी दिखाई देती हैं। उन्होंने अपना करियर एक मॉडल के रूप में शुरुआत की थी। वे  विभिन्न विज्ञापनों में  भी दिखाई दी, और बाद में उन्होंने  वर्ष 2012 की मॉलीवुड फिल्म थट्टाथिन मराठु के साथ अपनी फिल्मी करियर की शुरुआत की ।

जन्म               22 दिसंबर 1987

शिक्षा               सेंट जेवियर्स कॉलेज, मुंबई

पिता                विनोद तलवार 

माता                सुमन तलवार

नागरिकता        भारतीय

व्यवसाय           फ़िल्म अभिनेत्री ,मॉडल

लोकप्रियता        मिर्जापुर वेब सीरीज

प्रारंभिक जीवन

ईशा तलवार का जन्म 22 दिसंबर 1987 को हुआ।वे भारतीय फिल्म अभिनेता विनोद तलवार की बेटी है। ईशा तलवार का जन्म मुंबई में हुआ और वही पे पली- बढ़ी । उन्होंने ने St. Xavier's College, मुंबई से graduate किया । वह 2004 में Choreographer Terence Lewis के डांस स्कूल में शामिल हुईं , जहाँ उन्होंने  ballet, Jazz, Hip Hop और Salsa जैसे विभिन्न नृत्य रूपों को सीखा और Dance studio में एक Tutor बन गईं। उसने कहा कि उसकी Choreographer Terence Lewis, "एक व्यक्ति थी जिसने मुझे पूरी तरह से बदल दिया"।

व्यवसायिक जीवन

ईशा ने एक मॉडल के रूप में काम किया और pizza Hut , Vivel Fairness Cream, Kaya Skin Clinic , Dulks paints और Dhatri Fairness Cream,जैसे ब्रांडों के लिए 40 से अधिक  advertisements में दिखाई दिए । इसके अलावा जस्ट डांस प्रतियोगिता के लिए Hrithik Roshan के साथ एक music Video भी शामिल है । उन्होंने अपनी फिल्म की शुरुआत के लिए दो साल की तैयारी की। हालांकि वह 2000 Bollywood movie में एक Child artist के रूप में काम किया था । फिल्म शुरुआत मलयालम फिल्म के साथ था Thattathin Marayathu , जिसके लिए उसने चार महीने की Voice training क्लास ली थी। उन्होंने भाषा सीखने के लिए एक कोर्स किया भी किया, और साथ ही गिटार बजाना भी सीखा। 
उन्होंने तेलगु के साथ साथ बॉलीवुड के  सलमान खान के साथ हिंदी Film tubelight में माया के रूप में भी दिखाई दीं । उन्होंने कालाकांडी में Saif Ali Khan के साथ बॉलीवुड की शुरुआत की । वर्ष 2020 में, वह Amazon Prime Web Series Mirzapur में दिखाई दीं। ईशा तलवार ने पंकज त्रिपाठी के साथ Amazon Prime Web Series Mirzapur में भी काम किया ।

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शनिवार, 24 अप्रैल 2021

पंकज त्रिपाठी का जीवन परिचय । Biography of Pankaj Tripathi

पंकज त्रिपाठी (जन्म 05 सितंबर 1976) एक भारतीय अभिनेता हैं जो मुख्यतः हिंदी फिल्मों में दिखाई देते हैं । उन्होंने 2004 में रन और ओमकारा में एक छोटी भूमिका के साथ शुरुआत की और तब से 60 से अधिक फिल्मों और 60 टेलीविजन शो में काम किया है। और उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेताओं में से एक माना जाता है। पंकज त्रिपाठी की सफलता वर्ष 2012 में Gangs of wasseypur से प्राप्त हुई। उन्होंने तब से कई फिल्मों के लिए महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया । त्रिपाठी  ने एक सहित कई पुरस्कार अर्जित किया जिसमें विशेष उल्लेख - राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार है। 

 जन्म          05 सितंबर 1976 (आयु) 44)बरौली , बिहार , भारत

शिक्षा          राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, दिल्ली (नाटकीय कला में डिप्लोमा)इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट, हाजीपुर, बिहार (बीएससी)

माता            हेमंती देवी 

पिता            पंडित बनारस त्रिपाठी
 
पत्नी             मृदुला त्रिपाठी

पुत्री            आशी त्रिपाठी

व्यवसाय      अभिनेता 

प्रारंभिक जीवन

Pankaj Tripathi का जन्म 05 सितंबर 1976 को एक हिंदू परिवार में हुआ था ।  त्रिपाठी गांव गोपालगंज जिला के भारतीय राज्य में बिहार , करने के लिए पंडित बनारस त्रिपाठी और हेमंती देवी  त्रिपाठी उनके चार बच्चों में सबसे छोटी है। उनके पिता एक किसान और पुजारी के रूप में काम करते हैं।  Pankaj Tripathi ने भी अपने पिता के साथ एक किसान के रूप में खेत में काम किया जब तक वह स्कूल में 11 वीं कक्षा में थे। त्योहार के मौसम के दौरान उन्होंने अपने गांव में एक महिला की भूमिका निभाने के लिए नाटक किया था, तब गाव के लोगो ने उनकी सराहना की थी । और अंत में उसे acting से बाहर एक Career बनाने के लिए प्रेरित किए। वे पढ़ने के लिए Patna चले गए हाई स्कूल के बाद जहाँ उन्होंने Institute of Hotel Management, Hajipur में पढ़ाई की । उन्होंने Theater किया और College की राजनीति में एक्टिव थे। अभिनय में असफलता के डर से उन्होंने पटना के एक फाइव स्टार होटल में भी काम किया । लगभग सात वर्षों तक पटना में रहने के बाद, वह राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में दाखिला लेने के लिए दिल्ली चले गए , जहाँ से उन्होंने 2004 में graduate किया। 

व्यवसायिक जीवन

Graduate from National School of Drama करने के बाद, Pankaj Tripathi 2004 में Mumbai चले गए , और बाद में फिल्म रन में एक अविश्वसनीय Role निभाई । 2012 में, उन्होंने अपनी सफलता मिली, जब उन्हें गैंग्स ऑफ़ वासेपुर में उनकी भूमिका के लिए व्यापक रूप से सराहा गया । फिल्म के लिए उनका Audition लगभग आठ घंटे चला। 200, में, उन्होंने बाहुबली टीवी श्रृंखला में अभिनय किया , और बाद में Sony TV पर पाउडर में । अपने शुरुआती करियर में, उन्होंने ज्यादातर नकारात्मक भूमिकाएँ निभाईं और Gangster पात्रों का पर्याय बन गए। बाद में, उन्होंने विभिन्न प्रकार की roles निभाईं और उसी के लिए महत्वपूर्ण मूल्यांकन जीता। मुख्य  actor के रूप में उनकी पहली  फिल्म गुड़गांव थी ।  उनकी फिल्म न्यूटन सर्वश्रेष्ठ विदेशी फिल्म श्रेणी में academy Award के लिए भारत की आधिकारिक प्रविष्टि थी। 

Pankaj Tripathi (kalin bhaiya,akhandanand tripathi) ने Tamil cinema में अपनी शुरुआत फिल्म काला के साथ की थी , जो 7 जून 2018 को रिलीज हुई थी। और उन्होंने Amazon prime video 2018 की वेब सीरीज़ मिर्जापुर  और मिर्जापुर के सीजन 2 में 2019 की वेब सीरीज़ में भी दिखाई दिए ।


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रविवार, 27 सितंबर 2020

महात्मा गांधी का जीवन परिचय।Biography of Mahatma Gandhi

Biography-Mahatma-Gandhi

मोहनदास करमचंद गांधी (जन्म 2 अक्टूबर 1869, मृत्यु 30 जनवरी 1948) इन्हें महात्मा गांधी के नाम के साथ साथ राष्ट्रपिता के नाम से भी जाना जाता है भारतीय भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनीतिक आध्यात्मिक नेता भी थे। उन्होंने सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर भारत को अंग्रेजी शासन से आजाद किया था। उनका नाम इतिहास में अमर है। अहिंसा के सिद्धांत पर रखी गई नीव जिसने भारत को आजादी दिला कर एक महान कार्य किया। इन्हीं कारणों की वजह से आम जनता पूरी दुनिया में उन्हें महात्मा गांधी के नाम से जानती है। 12 अप्रैल 1919 को उन्हें बापू के नाम से भी जाना जाता है। लेख के अनुसार गांधी जी को बापू नाम से संबोधित करने वाले प्रथम व्यक्ति साबरमती के आश्रम के शिष्य सुभाष चंद्र बोस ने 6 जुलाई 1944 को रेडियो से गांधीजी के नाम चारी प्रसारण में उन्हें राष्ट्रपिता का कर संबोधित करते हुए आजाद हिंद फौज के सैनिकों के लिए शुभकामनाएं और आशीर्वाद मांगा था। स्वामी श्रद्धानंद और गुरु रविंद्र नाथ टैगोर ने महात्मा गांधी की उपाधि प्रदान की थी।हर साल 2 अक्टूबर को पूरे भारतवर्ष में गांधी जयंती के रूप में व पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है। क्योंकि गांधीजी अहिंसा वादी विचारधारा के महान व्यक्ति वह इस राष्ट्र का निर्माण करने वाले राष्ट्रपिता थे।

शुरुआती दिनों में गांधी जी ने बवासीर वकील के रूप में दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के नागरिकों के अधिकार के लिए सत्याग्रह शुरू किया था। उसके पश्चात भारत वापसी के बाद उन्होंने किसानों मजदूरों और शहरी समूह को को अत्यधिक भूमि कर और भेदभाव के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए सहयोग प्रदान किया। देश में व्याप्त गरीबी से ऊपर उठने के लिए महिलाओं के अधिकारों को विस्तार करने के लिए धार्मिक एवं जातीय एकजुटता का निर्माण आत्मनिर्भरता के लिए अछूतों के विरोध में उन्होंने अनेक कार्यक्रम चलाएं और समाज को इस जिंदगी से बाहर निकालने का कार्य किया अंग्रेजों द्वारा नमक कर के विरोध में गांधी जी ने नमक सत्याग्रह और बाद में भारत छोड़ो आंदोलन से उन्हें काफी प्रसिद्धि प्राप्त हुई और इन कार्यक्रमों में इन्होंने देश के लोगों का साथ दिया उन्हें इसके साथ साथ कई बार जेल यात्राएं भी करनी पड़ी।

जन्म                          2 अक्टूबर 1869 पोरबंदर

मृत्यु                         30 जनवरी 1948

नागरिकता               ब्रिटिश राज, भारतीय

राजनीतिक पार्टी      भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

व्यवसाय                राजनीतिज्ञ, बैरिस्टर, पत्रकार, दार्शनिक,  निबंधकार, संस्मरण लेखक ,भारतीय क्रांतिकारी

शिक्षा                    यूनिवर्सिटी कॉलेज,  लंदन विश्वविद्यालय

धर्म                       हिंदू धर्म

पिता                    करमचंद गांधी

जीवनसाथी          कस्तूरबा गांधी

बच्चे                   हीरालाल ,मोहनदास गांधी, मणिलाल गांधी,    देवदास गांधी

गांधीजी सभी परिस्थितियों में सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलते रहे और उनका पालन किया । उन्होंने वकालत की पढ़ाई भी की थी । उन्होंने अपना जीवन साबरमती आश्रम में भी गुजारा और सदा सादा जीवन और पारंपरिक पोशाक जैसे धोती वह सूती वस्त्र से बनी साल पहनी । वे चरके से सूत कात कर हाथ से वस्त्र बनाते थे। उन्होंने सदा ही शाकाहारी भोजन का सेवन किया और आत्मा की शुद्धि हेतु वे उपवास रखते थे।

प्रारंभिक जीवन (Early life)

मोहनदास करमचंद गांधी जी का जन्म गुजरात के एक तटीय शहर पोरबंदर नाम के स्थान पर 2 अक्टूबर सन 1867 को हुआ था। उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था उनका संबंध सनातन धर्म की पसारी जाती से था। उनकी माता का नाम पुतलीबाई था। उनकी माता जैन परंपराओं को मानती थी इसी कारण मोहनदास पर प्रारंभ में ही प्रभाव पड़ने लगी जिसके कारण आगे चलकर महात्मा गांधी के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। महात्मा गांधी आत्म शुद्धि के लिए उपवास भी किया करते वे शाकाहारी जीवन जिया करते थे।

वैवाहिक जीवन(Married life )

महात्मा गांधी का विवाह मात्र 13 वर्ष की आयु में 14 वर्ष की कस्तूरबा बाई मकनजी से कर लिया गया था। उन्होंने पत्नी का नाम छोटा करके कस्तूरबा रख दिया था। उनका हुआ उनके पिता द्वारा किया था विवाह बाल विवाह हुआ था उस समय बाल विवाह काफी प्रचलित था। 15 वर्ष की उम्र में पहली संतान ने जन्म लिया उसके कुछ साल बाद उनके पिता की मृत्यु हो गई । गांधी जी को चार संताने थी और चारों भी पुत्र थे। गांधीजी दोनों परीक्षाओं में शैक्षणिक स्तर के छात्र रहे हैं। मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई भावनगर के श्यामलदास कॉलेज से उत्तीर्ण की। उनके परिवार की इच्छा उन्हें बैरिस्टर बनाना चाहते थे।

उन्होंने यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में कानून की पढ़ाई करने और बैरिस्टर बनने के लिए इंग्लैंड गए। विदेश में पढ़ाई के लिए जाते समय जैन भिक्षु बेचारे के समक्ष हिंदुओं को मास शराब तथा संकीर्ण विचारधारा को त्यागने के लिए अपने माता को दिए गए वचन दिए। उन्होंने शाकाहारी भोजनालय का ही खाना खाया उन्होंने अंग्रेजी रीति-रिवाजों का भी अनुभव किया लेकिन, उन्हें वह पसंद नहीं आया

प्रमुख आंदोलन (Major movement)

चंपारण और खेड़ा ( Champaran and Kheda )-सन् 1918
खिलाफत आंदोलन (Khilafat Movement)-सन् 1919
असहयोग आंदोलन (Non-cooperation movement)-सन् 1920
स्वराज और नमक सत्याग्रह (Swaraj and Salt Satyagraha) -सन् 1930
द्वितीय विश्वयुद्ध और भारत छोड़ो आन्दोलन (Second World War and Quit India Movement) - सन् 1942

गांधीजी का स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा (Gandhi's participation in freedom struggle)

गांधीजी सन् 1916 में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे और फिर देश के लिए कार्य करने के लिए कदम उठाना शुरू किया। सन 1920 में कांग्रेस लीडर बाल गंगाधर तिलक के मृत्यु के उपरांत गांधीजी कांग्रेस के मार्गदर्शक थे।

गांधीजी की हत्या (Death of gandhi)

गांधीजी की हत्या नाथूराम गोडसे ने 3 गोली मारकर 30 जनवरी 1948 की थी। उनके मुख से अंतिम शब्द 'हे राम' ही निकले थे। उनकी मृत्यु के पश्चात दिल्ली में राजघाट नाम का समाधि स्थल बना दिया गया।गोडसे और उनके साथी नारायण आप्टे को बाद में केस चला कर फांसी की सजा दे दी।

गांधीजी के अस्थि एवं राख को पूरे भारत में ले जाएंगे और अधिकांश भाग इलाहाबाद में संगम पर 12 फरवरी 1948 को जल में विसर्जित कर दिया क्या और कुछ पवित्र रूप में अस्ति को एक कलश में रख दिया गया।

गांधीजी के सिद्धांत (Principles of Gandhi)

उन्होंने अपना पूरा जीवन सत्य और अहिंसा के मार्ग पर ही जिया और सदा भारत के हित में निष्पक्ष भाव से आखरी सांस तक कार्य करते रहें। भारत की आजादी में गांधी जी का महत्वपूर्ण स्थान है। गांधी जी ने अपना पूरा जीवन सत्य एवं सच्चाई के लिए समर्पित कर दिया उन्होंने अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए स्वयं की गलतियों को खुद पर प्रयोग करते हुए जीने की कोशिश की और कार्य करते रहें ।

प्रश्नोत्तरी (Quiz)

1. महात्मा गांधी की हत्या किसने की?
उत्तर  नाथूराम गोडसे

2. महात्मा गांधी के माता पिता का नाम?
उत्तर पिता का नाम करमचंद गांधी माता का नाम पुतलीबाई

3.महात्मा गांधी के बच्चे
उत्तर कुल 4 पुत्र

4.महात्मा गांधी के जन्म?
उत्तर 2 अक्टूबर 1869

5. गांधी किस धर्म के थे?
उत्तर हिंदू धर्म

लेबल:

शुक्रवार, 4 सितंबर 2020

डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन परिचय। Biography of Dr.Sarvepalli Radhakrishnan

Biography of Dr.Sarvepalli Radhakrishnan

डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन (5 सितंबर 1888-17 अप्रैल 1975 ) स्वतंत्र भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति (Vice President) एवं दूसरे राष्ट्रपति(President) के रूप में डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है। भारतीय संस्कृति के प्रख्यात शिक्षाविद , महान दार्शनिक एवं आस्थावान विचारक थे। उनके इन विशिष्ट गुणों के कारण भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से उन्हें सम्मानित किया गया था। उनकी याद में प्रतिवर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। बीसवीं सदी के विद्वानों में डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का नाम फिर से स्थान पर है वह हिंदुत्व को पूरे देश में फैलाना चाहते थे उनके अनुसार शिक्षकों का दिमाग कुशाग्र बुद्धि का होना चाहिए क्योंकि एक शिक्षक ही उन्नत राष्ट्र को बनाने में सहयोग प्रदान करता है।

नाम             डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन

जन्म           5 सितंबर 1888

जन्म स्थान   तिरूमनी गांव मद्रास

मृत्यु           17 अप्रैल 1975 (86)

धर्म            हिंदू

माता          सिताम्मा

पिता          सर्वपल्ली वीरास्वामी

विवाह        सिवाकमु (1904)

बच्चे          5 पुत्री, 1 बेटा

व्यवसाय    राजनीतिज्ञ , दार्शनिक , शिक्षाविद , विचारक

जीवन परिचय (Life introduction)

डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ( Dr.Sarvepalli Radhakrishnan )का जन्म तमिलनाडु के तिरुत्तनी नामक ग्राम में हुआ था जो वर्तमान में मद्रास है । इनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में 5 सितंबर 1988 को हुआ था इनकी जन्मभूमि पवित्र तीर्थ स्थल के रूप में प्रसिद्ध रही है। इनके पूर्वज सर्वपल्ली नाम के ग्राम में निवास करते थे इसलिए उनके परिजनों ने अपने नाम की पुरवा सर्वपल्ली धारण करने लगे थे।

डॉ राधाकृष्णन एक गरीब ब्राह्मण की विद्वान संतान थे।
इनके पिता का नाम 'सर्वपल्ली वीरास्वामी 'और माता का नाम 'सिताम्मा 'था। उनके पिता राजस्व विभाग में कार्य करते और उनकी माता ग्रहणी थी। सर्वपल्ली जी 5 भाई एवं 1बहन थी इनमें सर्वपल्ली जी का स्थान दूसरे नंबर का था। परिवार बड़ा होने के कारण परिवार के पालन-पोषण की जिम्मेदारी इन पर आ चुकी थीं। इसी कारण बालक राधाकृष्णन को कोई सुख-सुविधा प्राप्त ना हो सकी। उनका जीवन बचपन से ही संघर्षमय था।

विद्यार्थी जीवन (Student life)

राधाकृष्णन (Radhakrishnan)जी का बाल जीवन तिरुत्तनी एवं तिरुपति जैसे धार्मिक स्थलों पर व्यतीत किया। बचपन के प्रथम 8 वर्ष उन्होंने तिरुत्तनी में ही रहे। क्योंकि उनके पिता पुराने विचारों के थे और उनमें धार्मिक भावनाएँ भी थीं, इसके बावजूद उन्होंने राधाकृष्णन को क्रिश्चियन मिशनरी संस्था लुथर्न मिशन स्कूल, तिरूपति में 1896-1900के मध्य शिक्षण के लिये भेजा। फिर अगले 4 वर्ष की उनकी शिक्षा वेल्लूर में हुई। इसके बाद उन्होंने मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज, मद्रास में शिक्षा प्राप्त की। वह बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के एवं मेधावी थे।

12 वर्षों के अध्ययन काल में राधाकृष्णन ने बाइबिल के महत्त्वपूर्ण अंश भी याद कर लिये। इसके लिये उन्हें विशिष्ट योग्यता का सम्मान प्रदान किया गया। इस उम्र में उन्होंने स्वामी विवेकानन्द और अन्य महान विचारकों का अध्ययन किया। उन्होंने 1902 में मैट्रिक स्तर की परीक्षा उत्तीर्ण की और उन्हें छात्रवृत्ति भी प्राप्त हुई। इसके बाद उन्होंने 1904 में कला संकाय परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। उन्हें मनोविज्ञान, गणित और इतिहास विषय में विशेष योग्यता की टिप्पणी भी अधिक प्राप्तांकों के कारण मिली। इसके अलावा क्रिश्चियन कॉलेज, मद्रास ने उन्हें छात्रवृत्ति भी दी। दर्शनशास्त्र में एम. ए. के पश्चात् 1918 में वे मैसुर महाविद्यालय में दर्शनशास्त्र के सहायक प्राध्यापक के रूप में नियुक्त हुए। फिर उसी कॉलेज में वे प्राध्यापक भी रहे। डॉ. राधाकृष्णन ने अपने भाषणों और लेखों के माध्यम से विश्व को भारतीय दर्शन शास्त्र से परिचित कराया। सारे विश्व में उनके लेखों की अधिक प्रशंसा की गयी।


वैवाहिक जीवन (Married life)

राधाकृष्ण जी का विवाह 16 वर्ष की आयु में दूर की बहन  'सिवाकामू' के साथ संपन्न किया था। उस समय मद्रास में ब्राह्मण परिवारों में कम उम्र में शादी होती थी इसी बीच राधाकृष्ण जी का विवाह हुआ था। उस समय उनकी पत्नी की आयु मात्र 10 वर्ष की थी। 3 वर्ष पश्चात उन्होंने अपनी पत्नी के साथ जीवन व्यतीत करना प्रारंभ किया। उनकी पत्नी ने प्रारंभिक शिक्षा नहीं की थी लेकिन तेलुगु भाषा में अच्छी पकड़ थी। उन्हें अंग्रेजी भाषा पढ़ना आती थी। उनको पहली पुत्री 1908 में प्राप्त हुई।

सन्1908 में  उन्होंने कला स्नातक की उपाधि प्रथम श्रेणी में अर्जित की एवं दर्शन शास्त्र में विशिष्ट योग्यता प्राप्त की। उनकी शादी के 6 वर्ष बाद ही 1909 में उन्होंने कला में स्नातकोत्तर परीक्षा भी उत्तीर्ण कर ली। इनका विषय दर्शन शास्त्र ही रहा। उच्च अध्ययन के लिए वह अपनी निजी खर्चे के लिये बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने का कार्य किया करते थे। 1908 में उन्होंने एम .ए . की उपाधि प्राप्त करने के लिये एक शोध लेख भी लिखा,उस समय उनकी  मात्र आयु 20 वर्ष की थी। उन्हें शास्त्रों के प्रति उनकी जिज्ञासा बढ़ी। जल्दी ही उन्होंने वेदों और उपनिषदों का भी गहन अध्ययन कर लिया। इसके  उन्होंने हिन्दी और संस्कृत भाषा का भी अभिरुचि पूर्ण अध्ययन किया।

भारत रत्न सम्मान (Bharat Ratna Award)

डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन को ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा 1930 में सर की उपाधि प्रदान की गई थी लेकिन स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद उनके लिए केवल सर्वपल्ली ही रह गई। जब सर्वपल्ली स्वतंत्र भारत के उपराष्ट्रपति बने उस समय डॉ राजेंद्र प्रसाद जी ने सन् 1954 में उन्हें उनकी महानतम दार्शनिक व शैक्षिक उपलब्धियों के लिये देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया था ।

शिक्षक दिवस (Teacher's day)

स्वतंत्र भारत की अद्वितीय राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन पूरे भारतवर्ष में प्रतिवर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस (teachers day)के रूप में मनाया जाता है । एक बार की बात है कुछ विद्यार्थी डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन मनाना चाहते थे लेकिन सर्वपल्ली राधाकृष्णन कहां की मेरा जन्म शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाएगा तो मैं गर्व महसूस करूंगा l सन 1962 से डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म दिन शिक्षक दिवस (Teacher's day)के रूप में मनाया जाने लगा। इस दिन शिक्षक पढा़ने का कार्य नहीं करते बल्कि स्कूल कॉलेज के छात्र-छात्राएं अपने जूनियर छात्रों को पढ़ाने का कार्य करते हैं और वह एक शिक्षक होने की भूमिका निभाने का कार्य करते हैं इस दिन छात्र छात्राएं शिक्षकों के सम्मान में बुके, फूल , पेन शिक्षकों को भेंट स्वरूप प्रदान करते हैं इस दिन डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की फोटो की पूजा की जाती है एवं उनका जन्मदिन सेलिब्रेट किया जाता है यह विद्यार्थी जीवन का महत्वपूर्ण दिन होता है। शिक्षक दिवस के दिन डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन पर भाषण (teacher day speech ) , गायन ,कविता पाठ का स्कूल में कार्यक्रम व कॉलेजों में  कार्यक्रम किए जाते हैं और इसमें छात्र-छात्राएं भाग लेने का कार्य करते हैं । यहं छात्र जीवन का एक इंटरेस्टिंग मूवमेंट होता है।

डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की मृत्यु(Dr. Sarvepalli Radhakrishnan death)

डॉ. सर्वपल्ली राधा कृष्ण राधाकृष्णन का निधन लंबी बीमारी के चलते सन् 17 अप्रैल 1975 को हुआ था। शिक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान महत्वपूर्ण होने से यह हमारे लिए सदा स्मरणीय रहेंगे। इसलिए इनका जन्म प्रतिवर्ष 5 सितंबर को पूरे भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। शिक्षक दिवस पर शिक्षक के विशिष्ट कार्य के लिए राष्ट्रीय स्तर पर भारत के प्रधानमंत्री द्वारा शिक्षक दिवस पर पुरस्कार दिया जाता है। सन 1975 में राधा कृष्ण जी के मरणोपरांत अमेरिकी सरकार नेटेम्पलटन पुरस्कार से नवाजा गया था जो कि हां पुरस्कार धर्म के उत्थान के क्षेत्र में दिया जाता है वे इस सम्मान को प्राप्त करने वाले गैर ईसाई हिंदू व्यक्ति थे।

प्रश्नोत्तरी

1. शिक्षक दिवस कब मनाया जाता है?
उत्तर 5 सितंबर

2. कब से शिक्षक दिवस मनाया जाता है?
उत्तर सन 1962

3. सर्वपल्ली राधाकृष्णन कौन थे?
उत्तर भारत के पूर्व एवं प्रथम उपराष्ट्रपति व द्वितीय राष्ट्रपति

4. डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की मृत्यु कब हुई?
उत्तर 17 अप्रैल 1975

5.डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म कब हुआ था?
उत्तर 5 सितंबर 1888

लेबल:

मंगलवार, 1 सितंबर 2020

रामानुजन का जीवन परिचय। Biography of Ramanujan


रामानुजन गणित के दीवाने थे। वे गणित के एक प्रश्न को 100 से हल कर सकते थे। इसी दक्षता के कारण उन्हे गणित का गुरु दर्जा प्राप्त हुआ था। गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन का जन्म राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में मनाया जाता है । रामानुजन गरीब परिवार से थे. उनके पास अपने शौक पूरा करने के पैसे नहीं थे।

जन्म                  22 दिसम्बर, 1887 इरोड, तमिलनाडु

मृत्यु                26 अप्रैल,1920चेटपट, (चेन्नई), तमिलनाडु

आवास              भारत,   यूनाइटेड किंगडम

राष्ट्रीयता            भारतीय

क्षेत्र                   गणित

शिक्षा                कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय

प्रसिद्धि             लैंडॉ-रामानुजन् स्थिरांक ,रामानुजन् योग
                       रामानुजन्-सोल्डनर स्थिरांक , कृत्रिम थीटा फलन
                       रामानुजन् थीटा फलन , रामानुजन् अभाज्य
                   
                 
रामानुजन आधुनिक काल के महानतम गणित विचारकों में गिना जाता है। श्रीनिवास विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। श्रीनिवास जी ने खुद से गणित सीखा और अपने जीवनभर में गणित के 3,884 प्रमेयों का संकलन किया भी किया। वे एक मशहूर गणितज्ञ थे।

               
जीवन परिचय

श्रीनिवास रामानुजन का जन्म 22 दिसम्बर1887 को भारत के दक्षिणी भूभाग में स्थित कोयंबटूर के ईरोड नामक गांव में हुआ था। वह पारंपरिक ब्राह्मण परिवार में जन्मे थे। इनकी की माता का नाम कोमलताम्मल और इनके पिता का नाम श्रीनिवास अय्यंगर था।  रामानुजन का बचपन अन्य बच्चों जैसा सामान्य नही था की वे बेहद गरीब परिवार से थे । रामानुजन 3 साल की उम्र तक वो बोल नहीं पाए थे, जिसकी वजह से माता-पिता को चिन्तित होने लगे थी कि रामानुजन गूंगे तो नहीं  होगे। श्रीनिवास विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। रामानुजन का जीवन सिर्फ 33 वर्ष ही तक रहा।

रामानुजन की प्रंभिक शिक्षा

रामानुजन की प्रंभिक शिक्षा तमिल भाषा से हुई। शुरू में रामानुजन का मन पढाई में नहीं लगता था। पर आगे जाकर 10 वर्ष के उम्र में प्राइमरी परीक्षा में पूरे जिले में पहला स्थान प्राप्त किया.और आगे की पढ़ाई के टाउन हाईस्कूल पहुंचे यहीं से गणित की पढ़ाई की शुरुआत हुई।

प्रश्न पूछने का शौक

रामानुजन को बचपन से ही प्रश्न पूछने का काफ़ी शौक था। वे कभी कभी ऐसा प्रश्न पूछते थे कि शिक्षकों के दिमाग घूम जाते थे। इन्होंने स्कूल के समय में ही कालेज के स्तर के गणित को पढ़ लिया था। उनमें बहुत जिज्ञासा थी। वे किसी भी प्रश्न का उत्तर जानने की उनमें बहुत जिज्ञासा थी । अध्यापकों इस तरह के  सवाल भी पूछते थे कि 'संसार का पहला इंसान कौन था? आकाश और पृथ्वी के बीच की दूरी कितनी है? समुद्र कितना गहरा और कितना बड़ा है? 


बीए के छात्र को देते थे शिक्षा

मात्र तेरह साल की आयु में  यह भी मशहूर है कि सातवीं कक्षा में पढ़ाई करने के दौरान ही बीए के छात्र को गणित भी पढ़ाया करते थे.  उन्होंने मात्र 16 वर्ष की उम्र में ही G.S.Carr. द्वारा कृत “A Synopsis of Elementary Results in Pure and Applied Mathematics” की 5000 से अधिक प्रमेय को बहुत आसानी से प्रमाणित और सिद्ध करके दिखाया था।

बाकी विषयों में हुए फेल,गणित में किया टॉप

रामानुजन बाकी विषयों पर कम ध्यान दे पाते थे और गणित में इतना अधिक पढ़ाई करते थे कि  इसका नतीजा यह हुआ की एक बार वे 11वीं की परीक्षा में गणित में तो टॉप कर लिया था , लेकिन अन्य सभी विषयों में फेल हो गए। रामानुजन का पढ़ाई से नाता टूटने के बाद रामानुजन के जीवन के कुछ साल बहुत हीं कठीन परिस्थितियों में गुजारे। हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद इन्हें गणित और अंग्रेजी मे अच्छे अंक लाने के कारण सुब्रमण्यम छात्रवृत्ति मिली और आगे कालेज की शिक्षा के लिए प्रवेश भी मिला था।

1908 में उनके माता पिता ने इनका विवाह जानकी नामक कन्या से कर दिया। विवाह हो जाने के बाद अब इनके लिए सब कुछ भूल कर गणित में डूबना संभव नहीं था। अंग्रेजी शासन में उनके के पास न तो कोई नौकरी थी और न इसे पाने के लिए कोई बड़ी डिग्री. नौकरी की तलाश में उनकी भेंट डिप्टी कलेक्टर श्री वी. रामास्वामी अय्यर से हुई  । अय्यर जी गणित के जाने- माने बहुत बड़े विद्वान् थे. वो रामानुजन की प्रतिभा, कौशल,को पहचान गए और फिर उन्होंने रामानुजन के लिए 25 ₹ की मासिक छात्रवृत्ति की व्यवस्था की, बाद में रामानुजन का प्रथम शोधपत्र बरनौली संख्याओं के कुछ गुण शोध पत्र जर्नल ऑफ इंडियन मैथेमेटिकल सोसाइटी में भीें प्रकाशित हुआ था।

रामानुजन को अपने प्रिय विषय गणित के लिए समय मिलने लगा। कुछ महीनों बाद रामानुजन को मद्रास पोर्ट ट्रस्ट में लेखाबही का हिसाब रखने के लिए क्लर्क की नौकरी भी मिल गई, इसी तरह रामानुजन ने कई नये-नये गणितीय सूत्रों को लिखना प्रारम्भ किया । सबसे अच्छी बात यह थी  कि श्रीनिवासन ने गणित सीखने के लिए कभी कोई विशेष प्रशिक्षण नहीं लिया । 33 वर्ष की आयु में 26 अप्रैल 1920 को उनका निधन हो गया था।

प्रश्नोत्तरी

1. रामानुजन का जन्म कब और कहां हुआ था?
उत्तर 22 दिसम्बर1887 को भारत के दक्षिणी भूभाग में    स्थित कोयंबटूर के ईरोड नामक गांव में हुआ था।

2. रामानुजन की मृत्यु कब हुई थी?
उत्तर 33 वर्ष की आयु में 26 अप्रैल 1920 को उनका निधन हो गया था।

3. रामानुजन की पत्नी का नाम क्या था?
उत्तर जानकी

4.रामानुजन का जन्म किस दिवस के रूप में मनाया जाता है?
उत्तर राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में

5. रामानुजन की माता और पिता का नाम क्या था?
उत्तर रामानुजन की माता का नाम कोमलताम्मल और पिता का नाम श्रीनिवास अय्यंगर था।

6. रामानुजन कौन थे?

उत्तर गणितज्ञ 

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प्रणब मुखर्जी का जीवन परिचय।Biography of Pranab Mukherjee

प्रणब मुखर्जी का जीवन परिचय।Biography of Pranab Mukherjee


प्रणव कुमार मुखर्जी ( जन्म: 11 दिसम्बर 1935, पश्चिम बंगाल-मृत्यु 31 अगस्त 2020 दिल्ली) भारत के तेरहवें राष्ट्रपति रह चुके हैं। 26 जनवरी 2019 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी द्वारा प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न से सम्मानित किया गया है! वमुखर्जी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे हैं।भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन ने उन्हें अपना उम्मीदवार घोषित किया। प्रणब जी भारत के आर्थिक मामलों, संसदीय कार्यों, बुनियादी सुविधाएँ व सुरक्षा समिति में वरिष्ठ नेता रहे है। सीधे मुकाबले में उन्होंने अपने प्रतिपक्षी प्रत्याशी पी.ए. संगमा को हराया। प्रणब मुखर्जी ने  'द कोलिएशन ईयर्स: 1996-2012' नामक किताब लिखी है। मुखर्जी ने 25 जुलाई 2012 को भारत के तेरहवें राष्ट्रपति के रूप में पद  शपथ ली थी।

जन्म                      11 दिसम्बर 1935 (आयु 84)ग्राम मिराती, बीरभूम  जिला, ब्रिटिश भारत

मृत्यु                      31 अगस्त 2020 दिल्ली

जन्म का नाम        प्रणव कुमार मुखर्जी

धर्म                       हिंदू

राष्ट्रीयता               भारतीय

राजनीतिक दल     भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
 
अन्य राजनीतिक 
संबद्धताऐं             राष्ट्रीय समाजवादी काँग्रेस 
                           (1986 से 1989तक)    

पत्नी                सुव्रा मुखर्जी (विवाह 1957; निधन 2015)

बच्चे                    शर्मिष्ठा (बेटी)
                          अभिजीत (बेटा)
                          इन्द्रजीत (बेटा)
                  
शिक्षण संस्थान   कलकत्ता विश्वविद्यालय

सम्मान              भारत रत्न (2019) पद्म विभूषण (2008)


प्रारंभिक जीवन

प्रणव मुखर्जी का जन्म पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले में किरनाहर शहर के निकट स्थित मिराती नामक गाँव के एक ब्राह्मण परिवार में कामदा किंकर मुखर्जी और राजलक्ष्मी मुखर्जी के यहाँ हुआ था। उनके पिता 1920 के कांग्रेस पार्टी में सक्रिय होने के साथ पश्चिम बंगाल विधान परिषद में 1952 से 64 तक सदस्य और वीरभूम  जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रह चुके थे। प्रणव मुखर्जी के पिता एक सम्मानित स्वतन्त्रता सेनानी थे, जिन्होंने ब्रिटिश शासन की खिलाफत के आंदोलन के स्वरूप 10 वर्षो से अधिक जेल की सजा भी काटी थी। प्रणव मुखर्जी ने वीरभूम के सूरी विद्यासागर कॉलेज में शिक्षा प्राप्त की जो उस समय कलकत्ता विश्वविद्यालय से संबंधित था। कलकत्ता विश्वविद्यालय से उन्होंने इतिहास और राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर के साथ साथ कानून की डिग्री भी हासिल की है। वे एक वकील और कॉलेज प्राध्यापक पद पर कार्य कर चुके हैं। उन्हें मानद डी.लिट उपाधि भी प्राप्त की । उन्होंने पहले एक कॉलेज प्राध्यापक के रूप में और बाद में एक पत्रकार के रूप में अपना कैरियर शुरू किया था । वे बाँग्ला प्रकाशन संस्थान देशेर डाक मातृभूमि की पुकार में भी काम कर चुके हैं। प्रणव मुखर्जी बंगीय साहित्य परिषद के ट्रस्टी एवं अखिल भारत बंग साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष भी रहे।

वैवाहिक जीवन

बंगाल भारत में वीरभूम जिले के मिराती नामक गाँव में 11 दिसम्बर 1935 को कामदा किंकर मुखर्जी और राजलक्ष्मी मुखर्जी के घर जन्मे प्रणव का विवाह 22 वर्ष की आयु में 13 जुलाई 1957 को सुव्रा मुखर्जी के साथ हुआ था। उनके कुल 3 बच्चे, दो बेटे और एक बेटी हैं। उनके तीन व्यक्तिगत शौक  पढ़ना, बागवानी करना और संगीत सुनना थे।

राजनीतिक कैरियर

मुखर्जी संसदीय कैरियर करीब पाँच दशक पुराना है, जो 1969 में कांग्रेस पार्टी के उच्च सदन यानी राज्यसभा सदस्य के रूप में से शुरू हुआ था। सन्1973 में वे औद्योगिक विकास विभाग के केंद्रीय उप मन्त्री के रूप में मन्त्रिमण्डल में  भी शामिल हुए। मुखर्जी सन 1984 में भारत के वित्त मंत्री बने। यूरोप पत्रिका के सर्वे के अनुसार उनका नाम सबसे अच्छे मंत्री के रूप में गिना जाता है। प्रणव वित्त मंत्री के कार्यकाल के दौरान के रूप में  डॉ॰ मनमोहन सिंह भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर थे।

प्रणव सन् 1985 के बाद से वह कांग्रेस की पश्चिम बंगाल राज्य के भी अध्यक्ष हैं। सन 2004 में, जब कांग्रेस ने गठबन्धन सरकार  की तो कांग्रेस के प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह एक राज्यसभा सांसद थे। इसलिए जंगीपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से पहली बार लोकसभा चुनाव जीतने वाले प्रणव मुखर्जी को लोकसभा में सदन का नेता बनाया गया था। उन्हें वित्त,रक्षा, , विदेश विषयक मन्त्रालय, राजस्व, नौवहन, परिवहन, उद्योग, आर्थिक मामले, वाणिज्य और ,संचार समेत विभिन्न महत्वपूर्ण मन्त्रालयों के मन्त्री होने का गौरव भी प्राप्त है। वह संसदीय दल कांग्रेस  और कांग्रेस विधायक दल के नेता  भी रह चुके हैं, जिसमें देश के सभी  विधायक और  कांग्रेस सांसद शामिल होते हैं। इसके अलावा  वे उच्च सदन यानी लोकसभा में सदन के नेता, बंगाल प्रदेश कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष, कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की मंत्रिपरिषद में केन्द्रीय वित्त मन्त्री भी रहे। लोकसभा चुनावों से पहले जब प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह ने अपनी बाई-पास सर्जरी कराई, प्रणव दा विदेश मन्त्रालय में केन्द्रीय मंत्री होने के बावजूद राजनैतिक मामलों की कैबिनेट समिति के अध्यक्ष और वित्त मन्त्रालय में केन्द्रीय मन्त्री का अतिरिक्त प्रभार लेकर मन्त्रिमण्डल के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे।सन 1991 से 1996 तक वे योजना आयोग के उपाध्यक्ष पद पर रहे।प्रणब मुखर्जी मनमोहन की दूसरी सरकार में वित्त मंत्री बने थे।प्रणब मुखर्जी भारत के 13वें राष्ट्रपति के रूप में 2012 से 2017 तक पद पर रह चुके थे।

अन्तर्राष्ट्रीय भूमिका

2008अक्टूबर10  को मुखर्जी और अमेरिकी विदेश सचिव कोंडोलीजा राइस ने धारा 123 समझौते पर भी हस्ताक्षर के
किया। वे अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (international monetary fund)के विश्व बैंक,( World Bank),एशियाई विकास बैंक (Asian development Bank),और अफ्रीकी विकास बैंक (African development Bank),के प्रशासक बोर्ड के सदस्य भी थे।

सन 1984 में उन्होंने आईएमएफ और विश्व बैंक से जुड़े ग्रुप-24 की बैठक की अध्यक्षता की। मई और नवम्बर 1995 के बीच उन्होंने दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क ) मन्त्रिपरिषद सम्मेलन की अध्यक्षता की।

सम्मान और विशिष्टता

1.न्यूयॉर्क से प्रकाशित पत्रिका, यूरोमनी के एक सर्वेक्षण के अनुसार, वर्ष 1984 में दुनिया के पाँच सर्वोत्तम वित्त मन्त्रियों में से एक प्रणव मुखर्जी भी शामिल थे।

2.उन्हें सन् 1997 में सर्वश्रेष्ठ सांसद का अवार्ड मिला।

3. उनके नेत़त्व में ही भारत ने अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के ऋण की 1.1 अरब अमेरिकी डॉलर की अन्तिम किस्त नहीं लेने का गौरव अर्जित किया। उन्हें प्रथम दर्जे का मन्त्री माना जाता है और सन 1980-1985 के दौरान प्रधानमन्त्री की अनुपस्थिति में उन्होंने केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल की बैठकों की अध्यक्षता भी की।

4.उन्हें वर्ष 2008 के दौरान सार्वजनिक मामलों में उनके योगदान के लिए भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से नवाजा गया था।

5.प्रणव मुखर्जी को 26 जनवरी 2019 में सबसे बड़े सम्मान भारत  रत्न से सम्मानित किया गया।

निधन

10 अगस्त को दोपहर गंभीर स्थिति में प्रणब मुखर्जी को  आर्मी अस्पताल में भर्ती कराया गया था और उसी दिन उनके मस्तिष्क में जमे खून को हटाने के लिए उनकी सर्जरी की गई थी। मुखर्जी को बाद में फेफड़े में संक्रमण भी हो गया। सर्जरी से पहले उनकी कोरोना जांच भी कराई गई थी, जिसकी रिपोर्ट सकारात्मक आई थी। उनका निधन 31 अगस्त 2020 को दिल्ली के अस्पताल में हुआ। 31अगस्त से 6 सितंबर तक पूरे भारत में शौक मनाया जाएगा।

प्रश्नोत्तरी

1. प्रणब मुखर्जी की एज क्या थी
उत्तर- 84 वर्ष

2. प्रणब मुखर्जी की मृत्यु कब हुई?
उत्तर- 21 अगस्त 2020

3. प्रणब मुखर्जी की पत्नी का नाम क्या था?
उत्तर- सुव्रा मुखर्जी

4.प्रणब मुखर्जी के कितने बच्चे थे?
उत्तर- 3 बच्चे

5.प्रणब मुखर्जी के कितने बेटे थे?
उत्तर- दो बेटे

6.प्रणब मुखर्जी कौन थे?
उत्तर- देश के पूर्व राष्ट्रपति एवं कांग्रेस पार्टी के नेता ।

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ब्रह्मगुप्त का जीवन परिचय। Biography of Brahmagupta

Biography of Brahmagupta

ब्रह्मगुप्त
(जन्म.598 ई. - मृत्यु .668 ई.) भारत के प्रसिद्ध गणितज्ञ थे। आर्यभट्ट के बाद भारत के प्रथम गणितज्ञ भास्कराचार्य प्रथम थे इनके बाद ब्रह्मगुप्त हुए । ब्रह्मगुप्त गणित ज्योतिष के बहुत बड़े आचार्य थे।


उनके बाद अंकगणित और बीजगणित के विषय में लिखने वाले कई गणितशास्त्री हुए। वे खगोल शास्त्री भी थे और उन्होने 'शून्य' के उपयोग के नियम खोजे थे। प्रसिद्ध ज्योतिषी भास्कराचार्य ने ब्रह्मगुप्त 'गणकचक्र - चूड़ामणि' कहा और उनके मूलाकों को अपने 'सिद्धान्त शिरोमणि' का आधार माना । उनके ग्रन्थ  प्रसिद्ध हैं, 'ब्रह्मस्फुटसिद्धान्त' और 'खण्ड-खाद्यक'। मध्यकालीन यात्री अलबरूनी ने भी ब्रह्मगुप्त का उल्लेख किया है। ख़लीफ़ाओं के राज्यकाल में इनके अनुवाद अरबी भाषा में भी कराये गये थे, जिन्हें अरब देश में 'अल सिन्द हिन्द' और 'अल अर्कन्द' कहते भी थे। उनकी पहली पुस्तक 'ब्रह्मस्फुट सिद्धान्त' का अनुवाद है,और दूसरी 'खण्ड-खाद्यक' का अनुवाद भी है।

जन्म                  598 ई. भीनमाल, राजस्थान

मृत्यु                   668 ई.

आवास                भारत

राष्ट्रीयता             भारतीय        

पिता                   जिष्णु

क्षेत्र                  गणितज्ञ  

जीवन परिचय

ब्रह्मगुप्त आबू पर्वत तथा लुणी नदी के बीच स्थित, भीनमाल नामक छोटे से गांव के निवासी थे। उनका जन्म शक संवत् ५२० में हुआ था। उनके पिता जी का नाम जिष्णु था।आचार्य ब्रह्मगुप्त का जन्म राजस्थान राज्य के भीनमाल शहर मे ईस्वी सन् ५९८ मे हुआ था। इसी कारण उन्हें ' भिल्लमालाआचार्य ' के नाम से भी कई जगह उल्लेखित किया गया है। यह शहर तत्कालीन गुजरात प्रदेश की राजधानी तथा
हर्षवर्धन साम्राज्य के राजा व्याघ्रमुख के समकालीन माना जाता है।

उन्होंने प्राचीन ब्रह्मपितामहसिद्धांत के आधार पर ब्राह्मस्फुटसिद्धान्त तथा खण्डखाद्यक नामक करण ग्रंथ भी लिखे, जिनका अनुवाद अरबी भाषा में, अनुमानत खलीफा मंसूर के समय, सिंदहिंद और अल- अकरंद के नाम से हुआ। उनका एक ओर ग्रंथ का नाम 'ध्यानग्रहोपदेश' भी है। इन ग्रंथों के कुछ परिणामों का विश्वगणित में अपूर्व स्थान है।

ब्रह्मगुप्त तत्कालीन गुर्जर प्रदेश भीनमाल के अन्तर्गत आने वाले प्रख्यात शहर उज्जैन (वर्तमान मे मध्यप्रदेश) की अन्तरिक्ष प्रयोगशाला के प्रमुख भी थे,और इस दौरान उन्होंने दो विशेष ग्रन्थ लिखे -

1.ब्रह्मस्फुटसिद्धान्त (सन 628 ई)
2.खण्ड-खाद्यक (सन 665 ई.)

गणितीय कार्य

ब्रह्मगुप्त का सबसे पहला ग्रन्थ ब्रह्मस्फुटसिद्धांत' को माना जाता है जिसमें शून्य का एक अलग अंक के रूप में उल्लेख किया गया है। यही नहीं, बल्कि इस ग्रन्थ में ऋणात्मक अंकों और शून्य पर गणित करने के सभी नियमों का वर्णन भी किया गया है। ये नियम आज की समझ के बहुत करीब हैं। हाँ, एक अन्तर अवश्य है कि ब्रह्मगुप्त शून्य से भाग करने का नियम सही नहीं दे पाये 0/0 =0.

"ब्रह्मस्फुटसिद्धांत" के साढ़े चार अध्याय मूलभूत गणित को समर्पित हैं। 12वां अध्याय, गणित, अंकगणितीय शृंखलाओं तथा ज्यामिति के बारे में है। 18वें अध्याय, कुट्टक (बीजगणित) में आर्यभट्ट के रैखिक अनिर्धार्य समीकरण (linear indeterminate equation, equations of the form ax − by = c) के हल की विधि की चर्चा है। (बीजगणित के जिस प्रकरण में अनिर्धार्य समीकरणों का अध्ययन किया जाता है, उसका पुराना नाम ‘कुट्टक’ है। ब्रह्मगुप्त ने उक्त प्रकरण के नाम पर ही इस विज्ञान का नाम सन् 628 ई. में ‘कुट्टक गणित’ रखा।) ब्रह्मगुप्त ने द्विघातीय अनिर्धार्य समीकरणों (Nx2 + 1 = y2) के हल की विधि भी खोज निकाली। इनकी विधि का नाम चक्रवाल विधि है। गणित के सिद्धान्तों का ज्योतिष में प्रयोग करने वाला ब्रह्मगुप्त प्रथम व्यक्ति था। उनके ब्राह्मस्फुटसिद्धान्त के द्वारा ही अरबों को भारतीय ज्योतिष का पता लगा। अब्बासिद ख़लीफ़ा अल-मंसूर (712-775ईस्वी) ने बग़दाद की स्थापना की और इसे शिक्षा के केन्द्र के रूप में विकसित किया। उसने उज्जैन के कंकः को आमंत्रित किया जिसने ब्राह्मस्फुटसिद्धान्त के सहारे भारतीय ज्योतिष की व्याख्या की। अब्बासिद के आदेश पर अल-फ़ज़री ने इसका अरबी भाषा में अनुवाद किया।

ब्रह्मगुप्त ने किसी वृत्त के क्षेत्रफल को उसके समान क्षेत्रफल वाले वर्ग से स्थानान्तरित करने का भी यत्न किया।

ब्रह्मगुप्त ने पृथ्वी की परिधि भी ज्ञात की थी, जो आधुनिक युग  के मान के निकट है।

ब्रह्मगुप्त पाई  ( 3.1415 9 265) का मान 10 के वर्गमूल (3.16227766) के बराबर माना।

ब्रह्मगुप्त भिन्नों के सिद्धांत से परिचित थे। इन्होंने एक घातीय अनिर्धार्य समीकरण का पूर्णाकों में व्यापक हल दिया, जो आधुनिक पुस्तकों में इसी रूप में पाया जाता है और अनिर्धार्य वर्ग समीकरण, K y2 + 1 = x2, को भी हल करने का प्रयत्न किया।

प्रश्नोत्तरी

1. ब्रह्मगुप्त का जन्म कब हुआ था?
उत्तर- 598 ई.

2. ब्रह्मगुप्त की मृत्यु कब हुई थी?
उत्तर -668 ई.

3. ब्रह्मगुप्त कौन थे?
उत्तर- भारत के प्रसिद्ध गणितज्ञ।

4. ब्रह्मगुप्त का पहला ग्रंथ कौन सा है?
उत्तर- ब्रह्मस्फुटसिद्धांत माना जाता है।

5. ब्रह्मगुप्त के पिता का नाम क्या था? 
उत्तर - जिष्णु

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प्रेमचंद का जीवन परिचय। Biography of Premchand

रामानुजन का जीवन परिचय। Biography of Ramanujan

धनपत राय श्रीवास्तव(31 जुलाई 1880 – 8 अक्टूबर 1936) यानी मुंशी प्रेमचंद नाम से  भी जाने जाते हैंl मुंशी प्रेमचंद हिन्दी और उर्दू के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार,  विचारक एवं कहानीकार भी थे।  रंगभूमि, निर्मला, गबन, गोदान,कर्मभूमि,प्रेमाश्रम, सेवासदन आदि लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास तथा कफन, बड़े घर की बेटी,पूस की रात,दो बैलों की कथा, पंच परमेश्वर,बूढ़ी काकी आदि तीन सौ से भी अधिक कहानियाँ लिखीं। उनमें ज्यादातर हिंदी  तथा उर्दू दोनों भाषाओं में रचनाएं प्रकाशित भी हुईं।  प्रेमचंद अपने दौर की संपूर्ण प्रमुख उर्दू और हिंदी पत्रिकाओं , सरस्वती, मर्यादा, जमाना,चाँद,माधुरी, सुधा आदि में लिखा। उन्होंने साहित्यिक पत्रिका  तथा  हिंदी समाचार पत्र जागरण संपादन और प्रकाशन किया। उन्होंने सरस्वती प्रेस खरीदा जो बाद में घाटे में रहा और बंद करना पड़ा। प्रेमचंद फिल्मों की पटकथा लिखने मुंबई आए और लगभग तीन वर्ष तक रहे। जीवन के अंतिम दिनों तक वे साहित्य सृजन में लगे रहे। उनका अंतिम निबंध महाजनी सभ्यता  , साहित्य का उद्देश्य अंतिम व्याख्यान, कफन अंतिम कहानी, गोदान अंतिम पूर्ण उपन्यास तथा मंगलसूत्र अंतिम ही अपूर्ण उपन्यास माना जाता है।  

जन्म                 31 जुलाई 1880 लमही
                        वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत

मृत्यु                  8 अक्टूबर 1936 (उम्र 56)
                        वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत

व्यवसाय           अध्यापक, लेखक, पत्रकार

राष्ट्रीयता            भारतीय

विधा                  कहानी और उपन्यास

विषय                सामाजिक और कृषक-जीवन
                       
उल्लेखनीय कार्य    गोदान, कर्मभूमि, रंगभूमि, सेवासदन, निर्मला और मानसरोवर

1906 से 1936 के बीच लिखा गया मुंशी का साहित्य इन तीस वर्षों का सामाजिक सांस्कृतिक दस्तावेज है। इसमें उस दौर के स्वाधीनता संग्राम,समाजसुधार आंदोलनो तथा प्रगतिवादी आंदोलनों के सामाजिक प्रभावों का स्पष्ट चित्रण है। उनमें अनमेल विवाह दहेज, , पराधीनता, लगान, छूआछूत, जाति भेद, विधवा विवाह, आधुनिकता, स्त्री-पुरुष समानता, आदि उस दौर की सभी प्रमुख समस्याओं का चित्रण उनके रचनाओं में मिलता है। उनके साहित्य की मुख्य विशेषता आदर्शोन्मुख यथार्थवाद  है। हिंदी कहानी तथा उपन्यास के क्षेत्र में 1918से 1936तक के कालखंड (समय) को 'प्रेमचंद युग' कहा जाता है।

जीवन परिचय

मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी जिले (उत्तर प्रदेश) के लमही नामक गाँव में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम मुंशी अजायबराय व मां का नाम आनन्दी देवी था। प्रेमचंद के पिता लमही गाँव में डाकमुंशी थे। वैसे उनका वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। उनकी आरंभिक शिक्षा फ़ारसी में हुई। प्रेमचंद जब सात साल के थे, तभी उनकी माता का स्वर्गवास हो गया। वे जब पंद्रह साल के हुए तब उनकी शादी कर दी गई और सोलह साल के होने पर उनके पिताजी का भी देहांत हो गया।

प्रेमचंद प्रारंभिक जीवन काफी संघर्षमय रहा। प्रेमचंद के जीवन का साहित्य से क्या संबंध रहा इस बात की पुष्टि रामविलास शर्मा के इस कथनो से होती है कि- "सौतेली माँ का व्यवहार, बचपन में शादी, पंडे-पुरोहित का कर्मकांड, किसानों और क्लर्कों का दुखी जीवन-यह सब प्रेमचंद ने सोलह वर्ष की उम्र में देख लिया था। उनकी बचपन से ही पढ़ने में बहुत रुचि थी। 13 साल की उम्र में ही उन्‍होंने तिलिस्म-ए-होशरुबा पढ़ लिया और उन्होंने उर्दू के मशहूर रचनाकार रतननाथ 'शरसार', मिर्ज़ा हादी रुस्वा और मौलाना शरर के उपन्‍यासों से परिचय प्राप्‍त कर लिया। उनका पहला विवाह पंद्रह साल की उम्र में हुआ। 1906में उनका दूसरा विवाह शिवरानी देवी से हुआ जो बाल-विधवा थीं। वे सुशिक्षित महिला थीं जिन्होंने कुछ कहानियाँ और प्रेमचंद घर में शीर्षक पुस्तक भी लिखी। उनकी तीन संताने हुईं-श्रीपत राय, अमृत राय और कमला देवी श्रीवास्तव। 1898 में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वे एक स्थानीय विद्यालय में शिक्षक नियुक्त हो गए। नौकरी के साथ ही उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी।

1921ई. में असहयोग आंदोलन के दौरान महात्मा गाँधी के सरकारी नौकरी छोड़ने के आह्वान पर स्कूल इंस्पेक्टर पद से 23 जून को त्यागपत्र भी दे दिया। इसके बाद उन्होंने लेखन को अपना व्यवसाय बना हि लिया। माधुरी,मर्यादा,  आदि पत्रिकाओं में वे संपादक पद पर कार्यरत रहे। उसी समय उन्होंने प्रवासीलाल के साथ मिलकर सरस्वती प्रेस भी खरीदा लिया तथा हंस और जागरण निकाला। प्रेस उनके लिए व्यावसायिक रूप से हानिप्रद सिद्ध न हुआ। फिर 1933 ई. में अपने ऋण को पटाने के लिए उन्होंने मोहनलाल भवनानी के सिनेटोन कंपनी में कहानी लेखक के रूप में कार्य करने का प्रस्ताव स्वीकार किया। प्रेमचंद को फिल्म की नगरी  भी रास नहीं आई। वे एक वर्ष का अनुबंध भी पूरा नहीं कर सके और दो महीने का वेतन छोड़कर बनारस लौट आए। उनका स्वास्थ्य निरंतर बिगड़ता गया। लम्बी बीमारी के चलते 8 अक्टूबर 1936 को उनका देहांत हो गया।

प्रेमचन्द साहित्य

1.सप्तसरोज
2.गोदान
3.प्रेमाश्रम
4.सेवासदन
5.कायाकल्प
6.कर्मभूमि
7.गबन
8.समर यात्रा
9.साहित्य का उद्देश्य
10.नव-निधि
11.पाँच फूल
12.प्रेमचंद रचनावली (खण्ड 5)
14.निर्मला

प्रश्नोत्तरी

1. प्रेमचंद का जन्म कहां हुआ था?
उत्तर- वाराणसी  जिले(उत्तर प्रदेश) लमही गांव में हुआ था

2. प्रेमचंद के पिता का नाम क्या था?
उत्तर.- मुंशी अजायबराय

3. प्रेमचंद की माता का नाम क्या था?
उत्तर- आनन्दी देवी

4. प्रेमचंद की कितनी संताने थी?
उत्तर- 3

5. प्रेमचंद की मृत्यु कब हुई?
उत्तर- 8 अक्टूबर 1936 (56)

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