सोमवार, 31 अगस्त 2020

सितंबर में लॉन्च होने वाले स्मार्टफोन Realme 7 Pro,Redmi 9A और बहुत कुछ मजेदार स्मार्टफोन।Smartphones to be launched in September 2020

सितंबर में लॉन्च होने वाले स्मार्टफोन Realme 7 Pro,Redmi 9A और बहुत कुछ मजेदार स्मार्टफोन।Smartphones to be launched in September 2020

1. OPPO, Realme, और Xiaomi भारत में नए फोन सितंबर में लॉन्च करने की योजना चल रही हैं।

2. OPPO F17सीरीज़, Realme 7 सीरीज़, और Redmi 9A भारत में लॉन्च होंगे।

3. Realme X7 सीरीज चीन में लॉन्च होगी जबकि सैमसंग आधिकारिक तौर पर galaxy z fold 2 लॉन्च करेगी।

भारत और वैश्विक स्तर पर कई नए स्मार्टफोन अगस्त में लॉन्च हुए हैं, जिनमें मोटो जी 9,रियलमी सी 15 ,सैमसंग गैलेक्सी नोट 20 सीरीज़, नोकिया 5.3 , रेडमी 9 प्राइम और इतने ही शामिल हैं। अगले हफ्ते, OPPO , Xiaomi , Realme ,और Samsung जैसे ब्रांड देश-विदेश और दुनिया भर में नए ब्रांड लॉन्च करने के लिए तैयार हो रहे हैं। जिनमें Realme 7 सीरीज़, Redmi 9A, Samsung Galaxy Z Fold 2, Realme X7 सीरीज़ और OPPO F17 सीरीज़ शामिल हैं।

 1 सितंबर को लॉन्च होगा :  Realme X7 और X7 Pro

चीन में Realme X7 सीरीज़ के साथ नए महीने की शुरुआत करेगा । Realme X7 , और X7 Pro सीरीज़ को शामिल करने के लिए की काफी अफवाह चल रही है ।Realme X7 स्मार्टफोन में एक पंच-होल डिस्प्ले और एक ढाल वाले रियर कैमरा के साथ लॉन्च होगा, जिसमें टैगलाइन "डेयर टू लीप" है जो पीछे की तरफ खुदा हुआ है। Realme X7 Pro 120Hz AMOLED डिस्प्ले, 64MP क्वाड कैमरा, 65W फास्ट चार्जिंग और डाइमेंशन 1000 Plus SoC के साथ आएगा।  Realme X7 वैनिला को डाइमेंशन 800U चिपसेट (प्रोसेसर)के साथ लॉन्च करने की उम्मीद है, बलकि प्लेयर एडिशन फोन को स्नैपड्रैगन 860 चिपसेट (प्रोसेसर) के साथ लॉन्च किया गया है।


1 सितंबर को लॉन्च होगा : Samsung galaxy z fold 2

Samsung ने पिछले महीने गैलेक्सी नोट 20 सीरीज़ के साथ galaxy z fold 2 की घोषणा की थी, लेकिन कंपनी की योजना आधिकारिक तौर पर 1 सितंबर को फोल्डेबल फोन लॉन्च करने घोषणा की है।  सैमसंग पार्ट 2 इवेंट में  galaxy z fold 2 के बारे में बात करते हुए देखा जाएगा और संभवतः कीमत और पूर्ण विनिर्देशों को भी publish करेगा। galaxy fold का display कवर पर 6.2 इंच का बेजल-लेस इन्फिनिटी-ओ डिस्प्ले और 7.6 इंच का इन्फिनिटी-ओ foldable display प्रदान किया है। Samsung 120Hz रिफ्रेश रेट, ट्रिपल रियर कैमरा और 4,500mAh की डुअल इंटेलिजेंट बैटरी भी दे रहा है।


2 सितंबर को लॉन्च हो रहा है : Redmi 9A

पिछले कई महीनों से Xiaomi एक के बाद एक Redmi 9-सीरीज फोन लॉन्च कर रहा है , और कंपनी 2 सितंबर को एक और स्मार्टफोन लॉन्च करने के लिए तैयार है। Redmi 9A आ जाएगा एक स्तर स्मार्टफोन है कि नए शुरू Redmi 9 , Redmi 9A नीचे मूल्य निर्धारण के रूप में मलेशिया में पहले से ही उपलब्ध है और इसके साथ एक आता है 6.53 इंच HD + (1600 × 720) एलसीडी डिस्प्ले, मीडियाटेक हेलीओ G25 चिपसेट(प्रोसेसर), 13MP का प्राइमरी कैमरा, और 5,000mAh की बड़ी बैटरी दि है।

2 सितंबर को लॉन्च हो रहा है : Oppo F17 and F17 Pro

Oppo F17 सीरीज 2 सितंबर को भारत में आधिकारिक हो जाएगी । कंपनी  Oppo F17 और F17 Pro मॉडल लॉन्च करने जा रही है , दोनों की कीमत लगभग 25,000 रुपये से कम होने की पुष्टि की गई है। Oppo F17 Pro , विशेष रूप से, अपने सेगमेंट में सबसे चिकना और सबसे हल्के मिड-रेंज फोन के बीच होगा । Oppo के द्वारा यह भी पता किया है, कि Pro मॉडल 48MP क्वाड-कैमरा सेटअप और 16MP डुअल डेप्थ सेल्फी कैमरा सिस्टम के साथ आएगा। इस बीच, वैनिला Oppo F17 को 6.44-इंच FHD Plus AMOLED डिस्प्ले, स्नैपड्रैगन 662 चिपसेट(processor),16MP क्वाड-कैमरा सेटअप और साथ ही 30W फास्ट चार्जिंग सपोर्ट के साथ लॉन्च करने की अफवाह आ रही है


3 सितंबर को लॉन्च हो रहा है: Realme 7 और 7 Pro

चीन में Realme X7 लॉन्च के तुरंत बाद, कंपनी भारत में Realme 7 श्रृंखला का अनावरण करेगी । Realme 7 और 7 प्रो स्मार्टफोन Realme 6 श्रृंखला सफल होने के लिए और शक्तिशाली मध्य दूरी विनिर्देशों घमंड जाएगा सेट कर रहे हैं। फोन में पहले से ही पंच-होल डिस्प्ले, 64MP क्वाड कैमरा और 65W तक फास्ट चार्जिंग सपोर्ट के साथ आने की पुष्टि की गई है। Realme को अभी तक फोन क प्रोसेसर, बैटरी क्षमता और डिस्प्ले जैसे विवरणों को publish करना बाकी है।



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रविवार, 30 अगस्त 2020

रिया चक्रवर्ती जीवन परिचय।Biography of Riya Chakraborty

रिया चक्रवर्ती जीवन परिचय।Biography of  Riya Chakraborty

रिया चक्रवर्ती (जन्म 1 जुलाई 1992) एक भारतीय अभिनेत्री और वीजे हैं । उसने अपना करियर एमटीवी इंडिया पर एक वीजे के रूप में  शुरू किया । स्कूली शिक्षा आर्मी पब्लिक स्कूल अंबाला कैंट से की । 2013 में, उन्होंने बॉलीवुड में अभिनय की शुरुआत फिल्म मेरे डैड की मारुति से की ।

जन्म                 1 जुलाई 1992 (आयु 28)पुणे, महाराष्ट्र,     
                            भारत

आवास                 मुम्बई,भारत

राष्ट्रीयता               भारतीय

प्रसिद्धि कारण      Mere Dad Ki Maruti

व्यवसाय              VJ Actress

करियर

रिया चक्रवर्ती का जन्म बंगाली परिवार में हुआ था। रिया चक्रवर्ती ने अपने करियर की शुरुआत 2012 से कि।2009 में छोटे पर्दे के एमटीवी रियलिटी शो टीवीएस स्कूटी Teen Diva से की थी। वह इस शो की विजेता तो नहीं बन सकी और रनरअप बनकर उन्हें संतोष करना पड़ा। उसके बाद वह एमटीवी के कई शोज को होस्ट करती नजर आईं। इसके बाद रिया चक्रवर्ती ने ‘बैंड बाजा बारात’ के लिए ऑडिशन दिया था लेकिन उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया। ये वही फिल्म है जिसमें अनुष्का शर्मा नजर आईं थीं। रिया आयुष्मान खुराना के साथ म्यूजिक एलबम ‘ओए हीरिये’ में भी नजर आ चुकी हैं।

उन्होंने तेलुगु फिल्म ट्यूनीगा के साथ अपनी फिल्म की शुरुआत की। 2013 में, उन्होंने बॉलीवुड में मेरे डैड की मारुति के साथ जैसलिन के रूप में शुरुआत की। सोनाली केबल में सोनाली का किरदार  2014 में निभाया।

2017 में, वह वाईआरएफ के बैंक चोर में दिखाई दीं। उन्होंने हाफ गर्लफ्रेंड (फ़िल्म) में कैमियो भी किए।

व्यवसाय /पेशा


2009 में रिया चक्रवर्ती ने अपने टीवी करियर की शुरुआत   एमटीवी इंडिया की टीवीएस स्कूटी टीन दिवा से की थी, जहां वह फर्स्ट रनर-अप थीं। बाद में, उन्होंने एमटीवी दिल्ली में वीजे बनने के लिए ऑडिशन दिया और उनका चयन हो गया। वह 60 एमसीडी में पेप्सी एमटीवी वासुप , टिकटैक कॉलेज बीट और एमटीवी गॉन सहित कई एमटीवी शो होस्ट कर चुकी हैं । 

जाने कौन है? कालिन भैया

चक्रवर्ती ने तेलुगु फिल्म 2012 में तूनेगा तुनीगा से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की, जिसमें उन्होंने निधि का रोल निभाया था। उन्होंने जसलीन के रूप में मेरे डैड की मारुति से बॉलीवुड 2013 में डेब्यू किया ।  उन्होंने सोनाली केबल में सोनाली का 2014 में रोल किया।

रिया YRF के बैंक चोर में 2017 में दिखाई दी । उन्होंने सी योर ईविल में भी कैमियो डोबारा:और हाफ गर्लफ्रेंड में काम किया ।वह जलेबी में वरुण मित्रा के साथ 2018 में  दिखाई दीं ।

ईशा तलवार ने मिर्जापुर 2 में मचाया धमाल

व्यक्तिगत जीवन

एक पार्टी में रिया चक्रवर्ती बॉलीवुड हीरो सुशात सिंह राजपूत अप्रैल 2019 में मिले , और कुछ ही दिनों बाद दोनों ने डेटिंग शुरू कर दी। सितंबर 2019 में भाई शोविक शक्रबोर्टी और सुशात सिंह राजपूत के साथ  साझेदारी में विविड्रेज रेलीटैक्स नामक एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता कंपनी की स्थापना की।   दिसंबर 2019 में दंपति एक साथ चले गए।   बॉलीवुड हीरो सुशात सिंह राजपूत ने प्रतिबद्ध मुम्बई के बांद्रा में अपने घर पर 14जून 2020 को, खुदकुशी
(suicide)कर ली।

प्रश्नोत्तरी

1. रिया चक्रवर्ती की उम्र (age)क्या है?
उत्तर 28 वर्ष

2. रिया चक्रवर्ती के (father)पिता का नाम क्या है?
उत्तर इंदरजीत चक्रवर्ती

3. रिया चक्रवर्ती की ऊंचाई (height)कितनी है? 
उत्तर 166 centimetre

4.रिया चक्रवर्ती के पति(husband)का नाम क्या है?
उत्तर अविवाहित

5. रिया चक्रवर्ती की(Net Worth) शुद्ध कुल आय कितनी है?
उत्तर व्यापार विश्लेषक के अनुसार उसकी कुल संपत्ति रु। 11 करोड़ (1.5 million USD)और वार्षिक आय रु। 25 से 35 लाख हाल ही में।

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आर्यभट्ट जीवन परिचय । Biography of Aryabhata

आर्यभट्ट जीवन परिचय । Biography of Aryabhata
 
आर्यभट्ट(476-550) प्राचीन भारत के  महान  गणितज्ञ और  ज्योतिषविद् भी थे। उन्होंने आर्यभट्ट ग्रंथ की रचना की थी, जिसमें ज्योतिषशास्त्र के अनेक सिद्धांतों का प्रतिपादन भी है। इसी ग्रंथ में उन्होंने अपना जन्म-स्थान कुसुमपुर और जन्म काल शक संवत् 398 लिखा हुआ है। बिहार वर्तमान पटना का प्राचीन नाम कुसुमपुर था, आर्यभट्ट का कुसुमपुर दक्षिण में था, यह लगभग सिद्ध हो चुका है।

कुछ मान्यता के अनुसार आर्यभट्ट का जन्म महाराष्ट्र के अश्मक देश में हुआ था। ईन्होंने लम्बी यात्रा करके आधुनिक पटना के पास कुसुमपुर में स्थित होकर राजसान्निध्य में अपनी रचनाएँ पूर्ण की।

जन्म           दिसम्बर 476 अश्मक, महाराष्ट्र, भारत

मृत्यु           दिसम्बर 550 (उम्र 74)

आवास       भारत

राष्ट्रीयता      भारतीय

क्षेत्र             ज्योतिष्विद प्राचीन गणितज्ञ, , खगोलज्ञ

संस्थान        नालंदा विश्वविद्यालय

प्रसिद्धि       आर्यभट्ट सिद्धांत,आर्यभटीय,  π का अन्वेषण

जीवन परिचय

आर्यभट्ट का जन्म वर्ष का आर्यभटीय में दिया हुआ है उनके जन्म के वास्तविक स्थान के  बारे में विवाद है उनका जन्म नर्मदा और गोदावरी  के मध्य के क्षेत्र पैदा हुए मानते है जिसे अश्मक के नाम से जाना जाता था,मध्यभारत में महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश शामिल है। कुसुमपुर के पहचान पटली पुत्र के रूप में की गई है।

ताजा अध्ययन के अनुसार आर्यभट्ट , केरल के चाम्रवत्तम ( 10उत्तर51, 75पूर्व45) के निवासी थे। अध्ययन के अनुसार अस्मका एक जैन प्रदेश भी था जो कि, श्रवणबेलगोल के चारों तरफ फैला हुआ था ,और यहाँ के पत्थरो के खम्बों की वजह से इसका नाम अस्मका पड़ा। चाम्रवत्तम भी इसी जैन बस्ती का हिस्सा था, इसका प्रमाण भारतापुझा नदी जिसका नाम जैनों के पौराणिक राजा भारता के नाम पर रखा गया है, आर्यभट्ट ने भी युगों को परिभाषित करते वक्त राजा भारता का जिक्र भी  किया है- दसगीतिका के पांचवें छंद में राजा भारत के समय तक बीत चुके काल का वर्णन आता भी है। उन दिनों में कुसुमपुरा में एक प्रसिद्ध विश्वविद्यालय था, जहाँ जैनों का निर्णायक का  प्रभाव था और आर्यभट्ट का काम इस प्रकार कुसुमपुरा पहुँच सका और उन्हें भी पसंद भी किया गया।

उच्च शिक्षा के लिए आर्यभट्ट कुसुमपुर गए और कुछ समय तक  वहां अध्ययन किया। गुप्त साम्राज्य के अंतिम समय में आर्यभट्ट रहे जिसे भारत का स्वर्णिम युग के रूप में जाना जाता है।

आर्यभट्ट की कृतियाँ

आर्यभट्ट द्वारा तीन ग्रंथ रचित है जिनकी जानकारी आज भी उपलब्ध है। 
आर्यभट्ट के तीन ग्रंथ
1.दशगीतिका, 
2.आर्यभटीय और 
3.तंत्र

उनके द्वारा एक  और ग्रंथ लिखा था- 'आर्यभट सिद्धांत'। उसके केवल ३४ श्लोक ही उपलब्ध है। उन्होंने आर्यभटीय नामक महत्वपूर्ण ज्योतिष ग्रन्थ लिखा, जिसमें वर्गमूल, घनमूल, समान्तर श्रेणी तथा विभिन्न प्रकार के समीकरणों का भी वर्णन किया हुआ है। आर्यभट ने अपने इस छोटे से ग्रन्थ में अपने से पूर्ववर्ती तथा पश्चाद्वर्ती देश के तथा विदेश के सिद्धान्तों के लिये भी क्रान्तिकारी अवधारणाएँ उपस्थित कराई गई है

आर्यभट्ट का तीसरा ग्रन्थ जो अरबी अनुवाद के रूप में अस्तित्व में है, अलन्त्फ़ या अलनन्फ़ है, आर्यभट के एक अनुवाद के रूप में दावा प्रस्तुत करता है, परन्तु इसका संस्कृत नाम पता नहीं  है। संभवतः 9 वी सदी के अभिलेखन में, यह फारसी के विद्वान और भारतीय इतिहासकार अबू रेहान अल-बिरूनी द्वारा उल्लेखित किया गया है।

विरासत

भारतीय के खगोलीय परम्परा में आर्यभट्ट के कार्य का बड़ा योगदान था और अनुवाद के माध्यम से इन्होंने कई पड़ोसी संस्कृतियों को प आकर्षित किया। इस्लामी स्वर्ण काल  इसका अरबी अनुवाद विशेष प्रभावशाली सिद्ध हुआ था। उनके कुछ परिणामों को अल-ख्वारिज्मी द्वारा उद्धृत भी किया गया है और 10वीं सदी के अरबी विद्वान अल-बिरूनी द्वारा उन्हें सन्दर्भित किया गया है, जिन्होंने अपने वर्णन में लिखा है कि आर्यभट्ट के अनुसरण करने वाले मानते थे कि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है।

आर्यभट्ट की खगोलीय गणना की विधियां भी बहुत अधिक प्रभावशाली थी। त्रिकोणमितिक तालिकाओं के साथ, वे इस्लामी दुनिया में व्यापक रूप से उपयोग की जाती थी। और अनेक अरबी खगोलीय तालिकाओं  की गणना के लिए उपयोग की जाती थी। विशेष रूप से, 11वीं सदी के अरबी स्पेन वैज्ञानिक अल-झर्काली  के कार्यों में पाई जाने वाली खगोलीय तालिकाओं का लैटिन में तोलेडो की तालिकाओं के रूप में 12 वीं सदी अनुवाद किया गया और ये यूरोप में सदियों तक सर्वाधिक सूक्ष्म पंचांग के रूप में इस्तेमाल में रही।

आर्यभट्ट का योगदान

गुप्त काल को भारत का स्वर्णिम युग कहा जाता था और उसी समय भारत ने साहित्य, कला और विज्ञान क्षेत्रों में प्रगति की ।
उस समय मगध में  स्थित नालन्दा विश्वविद्यालय ज्ञानदान का  देश विदेश प्रसिद्ध केन्द्र था।नालन्दा विश्वविद्यालय में देश विदेश के विद्यार्थी अध्ययन करने के लिए भारत में भी आते थे।
आर्यभट्ट ने यहां भी घोषित किया कि पृथ्वी स्वयं अपनी धुरी पर घूमती है उन्होंन पाई के मान को भीे निरूपित किया जो पूर्व में  आर्किमिडीज़ ने दिया था वह पूर्ण रूप से सही नहीं था।

प्रश्नोत्तरी

1. आर्यभट्ट का जन्म कहां हुआ था?
उत्तर कुसुमपुर

2. आर्यभट्ट का जन्म कब हुआ था?
उत्तर दिसंबर 476

3. आर्यभट्ट की मृत्यु कब हुई थी?
उत्तर  दिसम्बर 550 (उम्र 74)

4. आर्यभट्ट कौन थे ?
उत्तर प्राचीन भारत के  महान  गणितज्ञ और  ज्योतिषविद् थे।

5. किस काल को भारत का स्वर्ण युग कहा जाता था?
उत्तर  गुप्त काल को

6.महान गणितज्ञ आर्यभट्ट की जयंती कब मनाई जाती है?
उत्तर 14 अप्रैल 

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महादेवी वर्मा जीवन परिचय ।Biography of Mahadevi Verma

 महादेवी वर्मा जीवन परिचय ।Biography of  Mahadevi Verma

महादेवी वर्मा (24 मार्च 1904 - 11 सितंबर 1949) हिन्दी की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से हैं। वे हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक मानी जाती हैं।आधुनिक हिन्दी की सबसे सशक्त कवयित्रियों में से एक होने के कारण उन्हें आधुनिक मीरा के नाम से भी जाना जाता है।कवि निराला ने उन्हें “हिन्दी के विशाल मन्दिर की सरस्वती” भी कहा है।महादेवी ने स्वतंत्रता के पहले का भारत भी देखा और उसके बाद का भी। वे उन कवियों में से एक हैं जिन्होंने व्यापक समाज में काम करते हुए भारत के भीतर विद्यमान हाहाकार, रुदन को देखा, परखा और करुण होकर अन्धकार को दूर करने वाली दृष्टि देने की कोशिश की।न केवल उनका काव्य बल्कि उनके सामाजसुधार के कार्य और महिलाओं के प्रति चेतना भावना जागृत की। उन्होंने अपने मन की पीड़ा को इतने स्नेह और शृंगार से सजाया कि दीपशिखा में वह जन-जन की पीड़ा के रूप में स्थापित हुई और उसने केवल पाठकों को ही नहीं समीक्षकों को भी गहराई तक प्रभावित अध्ययन किया है। संस्मरण महादेवी वर्मा के संस्मरणों का संग्रह है। इसका प्रकाशन 1983 में हुआ। इसमें पथ के साथी से लिए गए 11 संस्मरण हैं।

जन्म                         26 मार्च 1907 फ़र्रुख़ाबाद, संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध, ब्रिटिश राज

मृत्यु                         11 सितम्बर 1987 (उम्र 80)
                                 इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत

व्यवसाय                  उपन्यासकार, कवयित्री, लघुकथा लेखिका

राष्ट्रीयता                   भारतीय

उच्च शिक्षा               संस्कृत, इलाहाबाद विश्वविद्यालय से

उल्लेखनीय कार्य      यम
                                 मेरा परिवार
                                 पथ के साथी

उल्लेखनीय सम्मान     1956 पद्म भूषण 
                                   1982 ज्ञानपीठ पुरस्कार
                                   1988 पद्म विभूषण

जीवनसाथी                 डॉक्टर स्वरूप नारायण वर्मा

महादेवी वर्मा ने खड़ी बोली हिन्दी की कविता में कोमल शब्दावली का विकास किया है। जबकि वह बृजभाषा में ही संभव मानी जाती थी। इलिए उन्होंने अपने समय के अनुकूल संस्कृत और बांग्ला के कोमल-कोमल शब्दों को चुनकर-चुनकर हिन्दी का रंग जमाया। संगीत की जानकार होने के साथ उनके गीतों का नाद-सौंदर्य और पैनी उक्तियों की व्यंजना शैली अन्यत्र दुर्लभ है। उन्होंने अध्यापन से अपने कार्यजीवन की शुरूआत की और अन्तिम समय तक वे प्रयाग महिला विद्यापीठ की प्रधानाचार्या बनी रहीं। उनका बाल-विवाह हुआ परन्तु उन्होंने अविवाहित की भांति जीवन-यापन किया। प्रतिभावान कवयित्री और गद्य लेखिका महादेवी वर्मा साहित्य और संगीत में निपुण होने के साथ-साथ कुशल चित्रकार और सृजनात्मक अनुवादक भी थीं। उन्हें हिन्दी साहित्य के सभी महत्त्वपूर्ण पुरस्कार प्राप्त करने का गौरव प्राप्त है। महादेवी वर्मा का नाम भारत के साहित्य आकाश में  तारे की भांति ज्योतिर्मय है। गत शताब्दी की सर्वाधिक लोकप्रिय महिला साहित्यकार के रूप में वे जीवन भर पूज्यनीय बनी रहीं। वर्ष 2007उनकी जन्म शताब्दी के रूप में मनाया गया। भारतीय साहित्य में अतुलनीय योगदान के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार से इन्हें 27 अप्रैल 1982 को सम्मानित किया गया था।

आखिर कौन है? कालीन भैया

जीवन परिचय

जन्म एवं परिवार

महादेवी का जन्म फ़र्रुख़ाबाद उत्तर प्रदेश,26 मार्च 1907 को भारत में हुआ। लगभग 200 वर्षों या सात पीढ़ियों के बाद पहली बार उनके परिवार में पुत्री का जन्म हुआ था। उनके बाबा बाबू बाँके विहारी जी ख़ुशी से झूम उठे और महादेवी को घर की देवी मानते हुए पुत्री का नाम महादेवी रखा। उनके पिता श्री गोविंद प्रसाद वर्मा भागलपुर के एक कॉलेज में प्राध्यापक थे। उनकी माता का नाम हेमरानी देवी था। हेमरानी देवी बड़ी धार्मिक, कर्मनिष्ठ, भावुक एवं शाकाहारी स्त्री थीं। विवाह के समय अपने साथ सिंहासनासीन भगवान की मूर्ति भी लायी थीं वे प्रतिदिन कई घंटे तक पूजा-पाठ तथा गीता ,रामायण एवं विनय पत्रिका का पारायण करती रहती थीं और साथ ही संगीत में भी उनकी अधिक रुचि थी। इसके बिल्कुल विपरीत उनके पिता गोविन्द प्रसाद वर्मा सुन्दर, संगीत प्रेमी, नास्तिक,विद्वान, शिकार करने एवं घूमने के शौकीन, मांसाहारी तथा हँसमुख प्रवृत्ति के व्यक्ति थे।

शिक्षा

महादेवी जी प्रारम्भिक शिक्षा इंदौर में मिशन स्कूल से प्रारम्भ हुई साथ ही संस्कृत, अंग्रेज़ी, संगीत तथा चित्रकला की शिक्षा अध्यापकों द्वारा घर पर ही दी जाती रही। बीच में विवाह जैसी बाधा पड़ जाने के कारण कुछ दिन शिक्षा स्थगित रही। विवाहोपरान्त महादेवी जी ने 1919 में क्रास्थवेट कॉलेज इलाहाबाद में प्रवेश लिया और कॉलेज के छात्रावास में रहने लगीं। 1921 में महादेवी जी ने आठवीं कक्षा में प्रान्त भर में प्रथम स्थान प्राप्त किया। यहीं पर उन्होंने अपने काव्य जीवन की शुरुआत की। वे सात वर्ष की अवस्था से ही कविता लिखने लगी थीं और १९२५ तक जब उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की, वे एक सफल कवयित्री के रूप में प्रसिद्ध हो चुकी थीं।  कालेज में सुभद्रा कुमारी चौहान के साथ उनकी घनिष्ठ मित्रता हो गई। 1932में जब उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संस्कृत में एम॰ए॰ पास किया महादेवी की विरह वेदना में परम तत्व की अभिव्यक्ति दिखाई देती है।तब तक उनके दो कविता संग्रह नीहार तथा रश्मि प्रकाशित हो चुके थे।संस्मरण महादेवी वर्मा की रचना है।

विवाहित जीवन

उनके बाबा श्री बाँके विहारी ने इनका विवाह सन्1916 में बरेली के पास नबाव गंज कस्बे के निवासी श्री स्वरूप नारायण वर्मा से कर दिया, जो उस समय दसवीं कक्षा के विद्यार्थी थे। श्री वर्मा इण्टर करके लखनऊ मेडिकल कॉलेज में बोर्डिंग हाउस में रहने लगे। महादेवी जी उस समय क्रास्थवेट कॉलेज इलाहाबाद के छात्रावास में थीं। श्रीमती महादेवी वर्मा को विवाहित जीवन से विरक्ति थी। कारण कुछ भी रहा हो पर श्री स्वरूप नारायण वर्मा से कोई वैमनस्य नहीं था। सामान्य स्त्री-पुरुष के रूप में उनके सम्बंध मधुर ही रहे। दोनों में बीच पत्राचार भी होता था। यदा-कदा श्री वर्मा इलाहाबाद में उनसे मिलने भी आते थे। श्री वर्मा ने महादेवी जी के कहने पर भी दूसरा विवाह नहीं किया। महादेवी जी का जीवन तो एक संन्यासिनी का जीवन था। उन्होंने जीवन भर श्वेत वस्त्र पहना, तख्त पर सोईं और कभी शीशा नहीं देखा। सन् 1966 में पति की मृत्यु के बाद वे स्थाई रूप से इलाहाबाद में रहने लगीं।

प्रश्नोत्तरी

1. महादेवी वर्मा की भाषा शैली कैसी थी? 
उत्तर महादेवी वर्मा ने खड़ी बोली हिन्दी की कविता में कोमल शब्दावली का विकास किया है।

2. महादेवी वर्मा की कहानियां कौन सी है?
उत्तर गिल्लू

3.महादेवी वर्मा के विचार कैसे थे?
उत्तर स्वतंत्र नारी के विषय में अच्छे विचार

4. महादेवी वर्मा का जन्म कब हुआ था?
उत्तर  26 मार्च 1907

5. महादेवी वर्मा की उच्च शिक्षा कहां हुई थी?
उत्तर संस्कृत, इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ।

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स्वामी विवेकानंद जीवन परिचय ।Biography of Swami Vivekananda

स्वामी विवेकानंद  जीवन परिचय । IBiography of  Swami Vivekananda

स्वामी विवेकानन्द (जन्म 12 जनवरी,1863- मृत्यु 4 जुलाई,1902) वेदान्त विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। उनके बचपन का नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था। विवेकानन्द ने अमेरिका स्थित शिकागो में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सन् 1893 में सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था। भारत का आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदान्त दर्शन अमेरिका और यूरोप के हर एक देश में स्वामी विवेकानन्द की वक्तृता के कारण ही पहुँचा। विवेकानन्द ने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की  जो आज भी अपना कार्य कर रहा है। वे रामकृष्ण परमहंस के कुशल शिष्य थे। उन्हें 2 मिनट का समय दिया गया था लेकिन उन्हें प्रमुख रूप से उनके भाषण की शुरुआत "मेरे अमेरिकी बहनों एवं भाइयों" के साथ  संबोधन के इस प्रथम वाक्य ने सबका दिल जीत लिया क्योंकि उन्हें अपना सा लगने लगा था। और इस वाक्य से भी प्रभावित हो गए थे।

जन्म                12 जनवरी 1863 कलकत्ता(कोलकाता)
मृत्यु                4 जुलाई 1902 (उम्र 39)बेलूर मठ, बंगाल रियासत, ब्रिटिश राज
                         ( पश्चिम बंगाल में)
धर्म                    हिन्दू
गुरु                   रामकृष्ण परमहंस
साहित्यिक कार्य   राज योग (पुस्तक)

राष्ट्रीयता             भारतीय

 

कलकत्ता के एक कुलीन बंगाली कायस्थकुटुंब में जन्मे विवेकानंद आध्यात्मिकता की ओर झुके थे। गुरु रामकृष्ण देव से काफी प्रभावित थे उन्होंने सीखा कि सारे जीवो मे स्वयं परमात्मा का ही अस्तित्व हैं; इसलिए मानव जाति अथेअथ जो मनुष्य एक-दूसरे जरूरत मंदो की  करता है या सेवा भाव द्वारा परमात्मा की भी सेवा की जा सकती है। स्वामी विवेकानंद रामकृष्ण परमहंस के प्रिय शिष्य थे।  गुरु रामकृष्ण की मृत्यु के पश्चात विवेकानंद ने बड़े पैमाने पर भारतीय उपमहाद्वीप का दौरा किया और ब्रिटिश भारत में मौजूदा स्थितियों का प्रत्यक्ष ज्ञान हासिल किया। बाद में विश्व धर्म सभा1893 में भारत का प्रतिनिधित्व करने, संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए गए। विवेकानंद ने संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैंड और यूरोप में हिंदू दर्शन के सिद्धांतों का प्रचार-प्रसार किया और कई सार्वजनिक और निजी व्याख्यानों का आयोजन भी किया। विवेकानंद को भारत में  देशभक्त संन्यासी के रूप में माना जाता है और उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। महान व्यक्तित्व के थे स्वामीजी। आदर्श पुरुष भी थे। वे देश-विदेश में एक विशेष छाप छोड़ गए। उनके अवतरण दिवस(जन्मदिन) को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है।

जीवन परिचय 

प्रसिद्ध स्वामी विवेकानन्द यानी बचपन के नरेन्द्र नाथ दत् का जन्म 12 जनवरी सन्1863 को कलकत्ता में एक कायस्थकुटुंब में हुआ था। बचपन में घर का नाम वीरेश्वर रखा था,किन्तु उनका औपचारिक नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था। उनके पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट के एक प्रसिद्ध वकील थे।  नरेंद्र के दादा दुर्गाचरण दत्ता,  संस्कृत और फारसी के विद्वान थे,उन्होंने अपने परिवार को 25 की उम्र में छोड़ दिया और संन्यास लेकर एक साधु बन गए। नरेन्द्रनाथ की माता श्री भुवनेश्वरी देवी धार्मिक विचारों की महिला थीं वे पूजा -पाठ अधिक किया करती थी। इसलिए अधिकांश समय भगवान शिव की पूजा-अर्चना में व्यतीत होता था। नरेंद्र के पिता और उनकी माँ के धार्मिक प्रवती व तर्कसंगत रवैया ने उनकी सोच और व्यक्तित्व को आकार देने में सहायता मिली।नरेन्द्र बचपन से ही  अत्यन्त कुशाग्र बुद्धि के थे ही नटखट भी थे। अपने सहपाठी बच्चों के साथ वे खूब शरारत करते और मौका मिलने पर अपने अध्यापकों के साथ भी शरारत करने से नहीं चूकते थे बहुत शरारती रहती थी।

शिक्षा

प्रारंभिक शिक्षा सन् 1871 में, आठ साल की उम्र में, नरेंद्रनाथ ने ईश्वर चंद्र विद्यासागर के मेट्रोपोलिटन संस्थान में दाखिला लिया । सन्1877 में उनका परिवार रायपुर चला गया। सन्1879 में, कलकत्ता में अपने परिवार की वापसी के बाद, वह एकमात्र छात्र थे जिन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज प्रवेश परीक्षा में प्रथम श्रेणी में अंक प्राप्त किये।

वे दर्शन, धर्म, इतिहास, सामाजिक विज्ञान, कला और साहित्य सहित विषयों के एक उत्साही पाठक थे। उनकी वेद, उपनिषद, भगवद् गीता, रामायण, महाभारत और पुराणों के अतिरिक्त अनेक हिन्दू शास्त्रों में अधिक रूचि थी। नरेंद्र नियमित रूप से शारीरिक व्यायाम में व खेलों में भाग लिया करते थे।

नरेंद्र ने  जॉन स्टुअर्ट मिल इमैनुएल कांट, जोहान गोटलिब फिच, बारूक स्पिनोज़ा, जोर्ज डब्लू एच हेजेल, आर्थर स्कूपइन्हार , ऑगस्ट कॉम्टे,  और चार्ल्स डार्विन, डेविड ह्यूम के कार्य का अध्ययन किया।बंगाली में अनुवाद स्पेंसर की किताब एजुकेशन का  किया। नरेंद्र हर्बर्ट स्पेंसर के विकासवाद से काफी मोहित थे।पश्चिम दार्शनिकों के अध्यन के साथ ही इन्होंने संस्कृत ग्रंथों और बंगाली साहित्य को भी सीखा।विलियम हेस्टी  ने लिखा था - "नरेंद्र वास्तव में एक जीनियस बालक है। मैंने काफी विस्तृत और बड़े इलाकों में यात्रा की है लेकिन उनकी जैसी प्रतिभावन वाला का एक भी बालक कहीं नहीं देखा यहाँ तक की जर्मन विश्वविद्यालयों के दार्शनिक छात्रों में भी ऐसा बालक नहीं हैं।इन्हें श्रुतिधर भी कहा गया है।

स्वामी विवेकानंद के अनमोल वचन

1.उठो जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त नहीं हो जाता।

2.हर आत्मा ईश्वर से जुड़ी है, करना ये है कि हम इसकी दिव्यता को पहचाने अपने आप को अंदर या बाहर से सुधारकर। कर्म, पूजा, अंतर मन या जीवन दर्शन इनमें से किसी एक या सब से ऐसा किया जा सकता है और फिर अपने आपको खोल दें। यही सभी धर्मो का सारांश है। मंदिर, परंपराएं , किताबें या पढ़ाई ये सब इससे कम महत्वपूर्ण है।
एक विचार लें और इसे ही अपनी जिंदगी का एकमात्र विचार बना लें। इसी विचार के बारे में सोचे, सपना देखे और इसी विचार पर जिएं। आपके मस्तिष्क , दिमाग और रगों में यही एक विचार भर जाए। यही सफलता का रास्ता है। इसी तरह से बड़े बड़े आध्यात्मिक धर्म पुरुष बनते हैं।

3.एक समय में एक काम करो और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दो और बाकि सब कुछ भूल जाओ

4.पहले हर अच्छी बात का मजाक बनता है फिर विरोध होता है और फिर उसे स्वीकार लिया जाता है।

5.एक अच्छे चरित्र का निर्माण हजारो बार ठोकर खाने के बाद ही होता है।

विवेकानंद जी संन्यासी कब बने?

स्वामी विवेकानंद 25 साल की उम्र में  संन्यासी बन गए थे। संन्यास के बाद इनका नाम विवेकानंद रखा गया।

गुरु रामकृष्ण परमहंस विवेकानंद की मुलाकात 1881 कोलकाता के दक्षिणेश्वर काली मंदिर में हुई थी। परमहंस ने उन्हें मंत्र दिया सारी मानवता में निहित ईश्वर की सचेतन आराधना ही सेवा है।

 स्वामी विवेकानंद जब रामकृष्ण परमहंस से मिले तो उन्होंने सबसे अहम सवाल किया 'क्या आपने ईश्वर को देखा है?' इस पर परमहंस ने जवाब दिया- 'हां मैंने देखा है, मैं भगवान को उतना ही साफ देख रहा हूं, जितना कि तुम्हें देख सकता हूं, फर्क सिर्फ इतना है कि मैं उन्हें तुमसे ज्यादा गहराई से महसूस कर सकता हूं'।

 शिकागो धर्म संसद में जब स्वामी विवेकानंद ने 'अमेरिका के भाइयों और बहनों' कहकर भाषण शुरू किया तो दो मिनट तक सभागार में तालियां बजती रहीं। 11 सितंबर 1893 का यह दिन हमेशा-हमेशा के लिए इतिहास में दर्ज हो गया।

स्वामी विवेकानंद ने 1 मई 1897 में कोलकाता में रामकृष्ण मिशन और 9 दिसंबर 1898 को गंगा नदी के किनारे बेलूर में रामकृष्ण मठ की स्थापना की।

 विवेकानंद के जन्म दिन यानी 12 जनवरी को भारत में हर साल राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है। यह शुरुआत 1985 से हुई।

स्वामी विवेकानंद को दमा और शुगर की बीमारी थी। यह पता चलने पर उन्होंने कह दिया था- 'ये बीमारियां मुझे 40 साल भी पार नहीं करने देंगी।' उनकी यह भविष्यवाणी सच साबित हुई और उन्होंने 39 बरस में 4 जुलाई 1902 को बेलूर स्थित रामकृष्ण मठ में ध्यानमग्न अवस्था में ही महासमाधि धारण कर ली।

उनका अंतिम संस्कार बेलूर में गंगा तट पर किया गया। इसी तट के दूसरी ओर रामकृष्ण परमहंस का अंतिम संस्कार हुआ था।

प्रश्नोत्तरी

1. स्वामी विवेकानंद की पत्नी का नाम क्या था?
उत्तर उनकी कोई पत्नी नहीं थी नवंबर 1895 में, उनकी मुलाकात मार्गरेट एलिजाबेथ नोबल से एक     आयरिश               महिला से हुई जो सिस्टर निवेदिता बन गईं।  निवेदिता उनके विचारों से प्रभावित थी।

2. स्वामी विवेकानंद की मृत्यु कब हुई थी?
उत्तर   4 जुलाई 1902 (उम्र 39)

3.स्वामी विवेकानंद का शिकागो भाषण कैसा था?
उत्तर अमरीकी भाइयो और बहनो प्रभावित करने वाला   उनके मन को छूने वाला।

4. विवेकानंद के गुरु का नाम क्या था?
उत्तर रामकृष्ण परमहंस

5. स्वामी विवेकानंद के बचपन का नाम क्या था
उत्तर नरेंद्रनाथ दत्त

6. स्वामी विवेकानंद कौन थे?
उत्तर भारतीय आध्यात्मिक गुरु

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अल्बर्ट आइंस्टीन जीवन परिचय। Biography of Albert Einstein

अल्बर्ट आइंस्टीन के बारे में जानकारी।Information about albert einstein


आइंस्टीन जर्मन के(जर्मन,14 मार्च1879-18अप्रैल1955) एक महान विश्वप्रसिद्ध भौतिक विद्वान थे जो सापेक्ष के सिद्धांत एवं द्रव्यमान-ऊर्जा समीकरण के लिए जाने जाते हैं। आइंस्टीन सैद्धांतिक भौतिकी, खासकर प्रकाश-विद्युत ऊत्सर्जन की खोज के लिए1921में "नोबेल" पुरस्कार प्रदान किया गया था। 

आइंसटाइन ने विशेष सापेक्षिकता (1905) और सामान्य आपेक्षिकता के सिद्धांत (1916) सहित कई योगदान दिए। उनके अन्य योगदानों में- सापेक्ष ब्रह्मांड, केशिकीय गति, क्रांतिक उपच्छाया, सांख्यिक मैकेनिक्स की समस्याऍ, अणुओं का ब्राउनियन गति, अणुओं की उत्परिवर्त्तन संभाव्यता, एक अणु वाले गैस का क्वांटम सिद्धांत, कम विकिरण घनत्व वाले प्रकाश के ऊष्मीय गुण, विकिरण के सिद्धांत, एकीकृत क्षेत्र सिद्धांत और भौतिकी का ज्यामितीकरण शामिल है। आइंस्टीन ने पचास से अधिक शोध-पत्र और विज्ञान से अलग किताबें लिखीं। 1999 में टाइम पत्रिका ने शताब्दी-पुरूष घोषित किया। एक सर्वेक्षण के अनुसार वे सार्वकालिक महानतम वैज्ञानिक माने गए।


जन्म                                 14 मार्च 1879

                                        उल्म, वुर्ट्टनबर्ग, जर्मन साम्राज्य
                                     

मृत्यु                                   18 अप्रैल 1955 (उम्र 76)
                                         प्रिंस्टन, न्यू जर्सी, संयुक्त राज्य

आवास                              जर्मनी, इटली, स्विट्जरलैंड, 

                                        ऑस्ट्रिया
                                        बेल्जियम, संयुक्त राज्य

नागरिकता                        वुर्ट्टनबर्ग/जर्मनी 
                                        राज्यविहीन 
                                        स्विट्जरलैंड 
                                        ऑस्ट्रिया 
                                        जर्मनी
                                        संयुक्त राज्य अमेरिका

क्षेत्र                                  भौतिकी, दर्शन                

जातियता                          यहूदी 
          
संस्थान                             स्विस पेटेंट कार्यालय (बर्न)
                                       ज़्यूरिख़ विश्वविद्यालय
                                       चार्ल्स विश्वविद्यालय, प्राग
                                       ईटीएच ज्यूरिख
                                       पर्सियन साइंस अकेडमी
                                       कैसर विल्हेम संस्थान
                                       लीदेन विश्वविद्यालय
                                       इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी

शिक्षा                               ईटीएच ज्यूरिख
                                       ज्यूरिख विश्वविद्यालय
                                     
प्रसिद्धि                        सापेक्षता और विशिष्ट आपेक्षिकता
                                      प्रकाश वैद्युत प्रभाव
                                      द्रव्यमान-ऊर्जा-समतुल्यता
                                      ब्राउनियन गति

उल्लेखनीय सम्मान       भौतिकी का नोबेल पुरस्कार 
                                     मेट्यूक्सी पदक 
                                     कोप्ले पदक 
                                     मैक्स प्लैंक पदक 

आइंस्टीन ने 300 से अधिक वैज्ञानिक शोध-पत्रों का प्रकाशन किया। 5 दिसंबर 2014 को विश्वविद्यालयों और अभिलेखागारो ने आइंस्टीन के 30,000 से अधिक अद्वितीय दस्तावेज एवं पत्र की प्रदर्शन की घोषणा भी की हैं। आइंस्टीन के बौद्धिक उपलब्धियों और अपूर्वता ने "आइंस्टीन" शब्द को "बुद्धिमान" का पर्याय बना दिया है।

आइंस्टीन ने विशेष सापेक्षिकता एवं सामान्य आपेक्षिकता के सिद्धांत सहित कई योगदान दिए। उनके अन्य योगदानों में- सापेक्ष ब्रह्मांड, केशिकीय गति, क्रांतिक उपच्छाया, सांख्यिक मैकेनिक्स की समस्याऍ, अणुओं का ब्राउनियन गति, अणुओं की उत्परिवर्त्तन संभाव्यता, एक अणु वाले गैस का क्वांटम सिद्धांत, कम विकिरण घनत्व वाले प्रकाश के ऊष्मीय गुण, विकिरण के सिद्धांत, एकीकृत क्षेत्र सिद्धांत और भौतिकी का ज्यामितीकरण शामिल है। आइंस्टीन ने पचास से अधिक शोध-पत्र और विज्ञान से अलग किताबें लिखीं। टाइम पत्रिका ने शताब्दी-पुरूष घोषित किया। एक सर्वे के अनुसार वे सार्वकालिक महान वैज्ञानिक माने गए।

आखिर कौन है? कालीन भैया

जीवन परिचय

अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म जर्मनी में वुटेमबर्ग के एक यहूदी परिवार में हुआ। उनके पिता एक इंजीनियर और सेल्समैन थे। उनकी माँ पौलीन आइंस्टीन थी। हालाँकि आइंस्टीन को शुरू-शुरू में बोलने में कठिनाई होती थी, लेकिन वे पढाई में ज्यादा अच्छे नही थे। उनकी मातृभाषा जर्मन थी और बाद में उन्होंने इतालवी और अंग्रेजी भी सीखी।

1880 में उनका परिवार म्यूनिख शहर चला गया, जहाँ उनके पिता और चाचा ने मिलकर "इलेक्ट्राटेक्निक फ्रैबिक जे आइंस्टीन एंड सी" नाम की कम्पनी खोली, जोकि बिजली के उपकरण बनाती थी। और इसने म्यूनिख के Oktoberfest मेले में पहली बार रोशनी का प्रबन्ध भी किया था। उनका परिवार यहूदी धार्मिक परम्पराओं को नहीं मानता था, और इसी वजह से आइंस्टीन कैथोलिक विद्यालय में पढने जा सके। अपनी माँ के कहने पर उन्होंने सारन्गी बजाना सीखा। उन्हें ये पसन्द नहीं था और बाद मे इसे छोड़ भी दिया, लेकिन बाद मे उन्हे मोजार्ट के सारन्गी संगीत मे बहुत आनन्द आता था।

वैवाहिक जीवन

आइंस्टीन और मारीक के बीच शुरुआती पत्राचार को 1987 में खोजा और प्रकाशित किया गया था, जिसमें पता चला था कि इस दंपति की एक बेटी "लिसेर्ल" है, जिसका जन्म 1902 की शुरुआत में नोवी सैड में हुआ था, जहां मारीक अपने माता-पिता के साथ रह रही थी। मारीच बच्चे के बिना स्विट्जरलैंड लौट आया, जिसका असली नाम और भाग्य अज्ञात है। सितंबर 1903 में आइंस्टीन के पत्र की सामग्री बताती है कि लड़की को या तो गोद लेने के लिए छोड़ दिया गया था या बचपन में स्कार्लेट ज्वर से मर गया था।

आइंस्टीन और मारीक ने जनवरी 1903 में शादी की। मई 1904 में, उनके बेटे हंस अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म बर्न, स्विट्जरलैंड में हुआ था। उनके बेटे एडुअर्ड का जन्म जुलाई 1910 में ज़्यूरिख़ में हुआ था। दंपति अप्रैल 1914 में बर्लिन चले गए, लेकिन आइंस्टीन का मुख्य रोमांटिक आकर्षण उनका पहला और दूसरा चचेरा बहन एलसा था,यह जानने के बाद कि मारीक अपने बेटों के साथ ज़्यूरिख लौट आए। उन्होंने 14 फरवरी 1919 को तलाक दे दिया, पांच साल तक अलग रहे। 20 वर्ष की आयु में एडुअर्ड का टूटना हुआ और सिज़ोफ्रेनिया का निदान किया गया। उसकी माँ ने उसकी देखभाल की और वह कई समय तक शरण के लिए भी प्रतिबद्ध रही, आखिरकार उसकी मृत्यु के बाद स्थायी रूप से प्रतिबद्ध हो गई।

2015 में सामने आए पत्रों में, आइंस्टीन ने अपने शुरुआती प्रेम मैरी विंटेलर को अपनी शादी और उसके लिए अपनी मजबूत भावनाओं के बारे में लिखा था। उन्होंने 1910 में लिखा था, जबकि उनकी पत्नी अपने दूसरे बच्चे के साथ गर्भवती थी: "मुझे लगता है कि आप हर खाली मिनट में दिल से प्यार करते हैं और इतना दुखी हूं जितना कि एक आदमी ही हो सकता है।" उन्होंने मैरी के प्रति अपने प्यार के बारे में एक "गुमराह प्यार" और एक "याद जीवन" के बारे में बात की।

1912 के बाद से उनके साथ संबंध बनाने के बाद आइंस्टीन ने 1919 में एल्सा लोवेनथल से शादी की, वह पहले चचेरे बहन थी और दूसरे चचेरे बहन। वे 1933 में संयुक्त राज्य अमेरिका में आ गए। 1935 में एलसा को हृदय और गुर्दे की समस्याओं का पता चला और दिसंबर 1936 में उनकी मृत्यु हो गई। 1923 में, आइंस्टीन को बेट्टी न्यूमैन नामक एक सचिव से प्यार हो गया, जो एक करीबी दोस्त, हंस मुशाम की भतीजी थी।2006 में येरुशलम का इब्रानी विश्वविद्यालय द्वारा जारी पत्रों में,आइंस्टीन ने छह महिलाओं के बारे में वर्णन किया, जिनमें शामिल हैं- मार्गरेट लेबाच , एस्टेला काटजेनबेलोजेन टोनी मेंडल (यहूदी विधवा) और एथेल माइनोव्स्की  जिनके साथ उन्होंने समय बिताया और जिनसे उन्हें एल्सा से शादी करते हुए उपहार मिले। बाद में, अपनी दूसरी पत्नी एल्सा की मृत्यु के बाद, आइंस्टीन मार्गरिटा कोन्नेकोवा के साथ संक्षिप्त रिश्ते में थे, वह एक विवाहित रूसी महिला जो एक रूसी जासूस भी थी जिसने विख्यात रूसी मूर्तिकार सर्गेई कोनेनकोव से शादी की, जिसने आइंस्टीन के कांस्य अर्ध-प्रतिमा का प्रिंसटन में निर्माण किया।

वैज्ञानिक कार्यकाल

आइंस्टीन ने अपने पूरे जीवनकाल में, सैकड़ों किताबें और लेख प्रकाशित किये। आइंस्टीन 300 से अधिक वैज्ञानिक और 150 गैर-वैज्ञानिक शोध-पत्र प्रकाशित किये। 1965 के अपने व्याख्यान में , ओप्पेन्हेइमर ने उल्लेख किया कि आइंस्टीन के प्रारंभिक लेखन में कई त्रुटियाँ होती थीं, जिसके कारण उनके प्रकाशन में लगभग दस वर्षों की देरी हो चुकी थी: " एक आदमी जिसका त्रुटियों को ही सही करने में एक लंबा समय लगे, कितना महान होगा"वे खुद के काम के अलावा दूसरे वैज्ञानिकों के साथ भी सहयोग किया करते थे, जिनमे बोस आइंस्टीन के आँकड़े, आइंस्टीन रेफ्रिजरेटर और अन्य कई इत्यादि शामिल हैं।

प्रश्नोत्तरी


1. आइंस्टीन का जन्म कहां हुआ था?

उत्तर जर्मनी में वुटेमबर्ग 

2. आइंस्टाइन की पत्नी का नाम क्या था?

उत्तर मारीक

3. आइंस्टाइन को किस खोज के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया था? 

उत्तर सैद्धांतिक भौतिकी,प्रकाश-विद्युत ऊत्सर्जन की खोज के लिए1921में "नोबेल" पुरस्कार प्रदान किया गया था।  

4. आइंस्टाइन की कितने बेटे थे?   

उत्तर उनके दो बेटे थे एक का नाम हंस अल्बर्ट आइंस्टीन और दूसरे का नाम एडुअर्ड था।

5. आइंस्टाइन का क्षेत्र कौन सा ?

उत्तर भौतिकी, दर्शन   

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शनिवार, 29 अगस्त 2020

डॉ.भीमराव अंबेडकर जीवन परिचय । Biography of Dr. Bhimrao Ambedkar

भीमराव रामजी आम्बेडकर (14 अप्रैल,1891 – 6 दिसंबर,1956), डॉ॰ बाबा साहेब आम्बेडकर नाम से लोकप्रिय, भारतीय बहुज्ञ, अर्थशास्त्री,विधिवेत्ता, राजनीतिज्ञ, और समाजसुधारक थे। डॉ. भीमराव आंबेडकर एक महान योद्धा, नायक, विद्वान और समाजसेवी थे।उन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और (अछूतों) दलितों से सामाजिक भेदभाव की गंदगी के विरुद्ध अभियान चलाया था। श्रमिकों, किसानों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन भी किया था। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम विधि एवं न्याय मंत्री, भारतीय संविधान के जनक एवं भारत गणराज्य के निर्माता थे। भारत की संविधान निर्माता के रूप में प्रमुख स्थान था।

जन्म              14 अप्रैल 1891
                     महू, मध्य प्रांत, ब्रिटिश भारत
                     (वर्तमान में डॉ॰ आम्बेडकर नगर, मध्य प्रदेश, भारत में)

मृत्यु                 6 दिसम्बर 1956 (उम्र 65)
                      डॉ॰ आम्बेडकर राष्ट्रीय स्मारक, नयी दिल्ली, भारत

समाधि स्थल     चैत्य भूमि, मुंबई, महाराष्ट्र

जन्म का नाम   भिवा, भीम, भीमराव 
अन्य नाम        बाबासाहब आम्बेडकर

राष्ट्रीयता          भारतीय

राजनीतिक दल       • शेड्युल्ड कास्ट फेडरेशन
                              • स्वतंत्र लेबर पार्टी
                              • भारतीय रिपब्लिकन पार्टी


शैक्षिक संघठन :     • डिप्रेस्ड क्लासेस एज्युकेशन सोसायटी
                              • द बाँबे शेड्युल्ड कास्ट्स इम्प्रुव्हमेंट ट्रस्ट
                              • पिपल्स एज्युकेशन सोसायटी

धार्मिक संघठन :     • भारतीय बौद्ध महासभा

जीवन संगी             • रमाबाई आम्बेडकर
                             (विवाह 1906 - निधन 1935)

                             • डॉ॰ सविता आम्बेडकर
                            (विवाह 1948 - निधन 2003)

बच्चे                      यशवंत आम्बेडकर

निवास                  • राजगृह, मुम्बई
                            • 26अलिपूर रोड, डॉ॰ आम्बेडकर राष्ट्रीय स्मारक, दिल्ली

शैक्षिक सम्बद्धता   • मुंबई विश्वविद्यालय (बी॰ए॰)
                            • कोलंबिया विश्वविद्यालय (एम॰ए॰, पीएच॰डी॰, एलएल॰डी॰)
                            • लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स (एमएस॰सी॰, डीएस॰सी॰)
                            • ग्रेज इन (बैरिस्टर-एट-लॉ)

व्यवसाय                 प्रोफेसर,वकील व राजनीतिज्ञ

पेशा                       विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री,
                             राजनीतिज्ञ, शिक्षाविद्
                             दार्शनिक, लेखक
                             पत्रकार, समाजशास्त्री,
                             मानवविज्ञानी, शिक्षाविद्,
                             धर्मशास्त्री, इतिहासविद्
                             प्रोफेसर, सम्पादक 

धर्म                        बौद्ध धम्म

पुरस्कार/सम्मान     • बोधिसत्व (1956)
                             • भारत रत्न (1990)
                             • पहले कोलंबियन अहेड ऑफ देअर टाईम (2004)
                             • द ग्रेटेस्ट इंडियन (2012)

विपुल प्रतिभा के छात्र आम्बेडकर थे। कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स दोनों ही विश्वविद्यालयों से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधियाँ प्राप्त कीं तथा विधि, अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान में शोध कार्य भी किये। व्यावसायिक जीवन के आरम्भिक भाग में ये अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे एवं वकालत भी की तथा बाद का जीवन राजनीतिक गतिविधियों में अधिक बीता। तब आम्बेडकर भारत की स्वतन्त्रता के लिए प्रचार और चर्चाओं में अपना योगदान दिया और पत्रिकाओं को प्रकाशित करने, राजनीतिक अधिकारों की वकालत करने और दलितों के लिए सामाजिक स्वतंत्रता की वकालत और भारत के सविधान निर्माण में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा।

बौद्ध धर्म 1956 में उन्होंने अपना लिया। 1990 में, उन्हें भारत रत्न, भारत के उच्चतम नागरिक सम्मान से मरणोपरांत सम्मानित किया गया था। 14 अप्रैल को उनका जन्म दिवस आम्बेडकर जयंती एक त्यौहार के रूप में भारत समेत दुनिया भर में भी मनाया जाता है। आम्बेडकर की विरासत में लोकप्रिय संस्कृति में कई स्मारक और चित्रण शामिल हैं। उन्होंने दलित वर्गों के लिए अनेक कार्य किये।

जीवन परिचय


आरम्भिक जीवन 


डॉ॰ भीमराव रामजी आंबेडकर जी का जन्म ब्रिटिशों द्वारा केन्द्रीय प्रांत (वर्तमान में मध्य प्रदेश में) में स्थापित नगर व सैन्य छावनी महू में हुआ था। वे रामजी मालोजी सकपाल और भीमाबाई की 14वीं व अंतिम संतान थे। उनका परिवार महाराष्ट्रीयन था और वो आंबडवे नामक गांव के निवासी थे जो आधुनिक महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में है, से संबंधित था। वे हिंदू महार जाति से संबंध रखते थे, जो अछूत कहे जाते थे और उनके साथ सामाजिक और आर्थिक रूप से गहरा भेदभाव किया जाता था।उनके समाज के साथ छुआछूत का व्यवहार किया जाता था।

आम्बेडकर के दादा का नाम मालोजी सकपाल था, तथा पिता का नाम रामजी सकपाल और माता का नाम भीमाबाई था। 1906 में आम्बेडकर जब पाँच वर्ष के थे तब उनकी माँ की मृत्यु हुई थी। बुआ मीराबाई ने संभाला था, जो उनके पिता की बडी बहन थी। बुआ मीराबाई के कहने पर रामजी ने जीजाबाई से पुनर्विवाह किया, ताकि पुत्र  भीमराव को माँ का प्यार मिल सके। भीमराव जब पाँचवी  कक्षा पढ रहे थे, तब उनकी विवाह रमाबाई से हुई।  भीमराव और रमाबाई को पाँच बच्चे भी हुए - जिनमें चार पुत्र: यशवंत, रमेश, गंगाधर, राजरत्न और एक पुत्री: इन्दु थी। किंतु 'यशवंत' को छोड़कर सभी बच्चे की बचपन में ही मृत्यु हो गई थीं। आम्बेडकर की संतान प्रकाश, रमाबाई, आनंदराज तथा भीमराव यह चारो यशवंत थी।

डॉ.आंबेडकर के पूर्वज लंबे समय तक ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में कार्यरत थे और उनके पिता, भारतीय सेना की मऊ छावनी में कार्यरत थे और यहां कार्य करते हुये वो सूबेदार के पद तक पहुँचे थे। उनकी मराठी और अंग्रेजी में औपचारिक शिक्षा की डिग्री प्राप्त की थी। उन्होने अपने बच्चों को स्कूल में पढने और कड़ी मेहनत करने के लिये हमेशा प्रोत्साहित किया।

  रामजी आंबेडकर ने सन 1898 मे पुनर्विवाह कर लिया और परिवार के साथ बंबई (वर्तमान में मुंबई)चले आये। यहाँ डॉ॰ भीमराव आंबेडकर एल्फिंस्टोन रोड पर स्थित गवर्न्मेंट हाई स्कूल के पहले अछूत छात्र बने। पढा़ई में अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन के बावजूद, छात्र भीमराव आंबेडकर लगातार अपने विरुद्ध हो रहे इस अलगाव और, भेदभाव से चिंतित रहते थे। मैट्रिक परीक्षा सन1907 में पास करने के बाद भीमराव आंबेडकर ने मुंबई विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया और इस तरह वो भारतीय महाविद्यालय में प्रवेश लेने वाले पहले अछूत(अस्पृश्य)बन गये। 

  बडी सफलता मैट्रिक परीक्षा पास की थी क्योंकि उनके पूरे समाज मे एक खुशी की लहर दौड़ गयी, क्योंकि उस समय में मैट्रिक परीक्षा पास होना बहुत बडी बात थी,और अछूत का मैट्रिक परीक्षा पास होना तो आश्चर्यजनक एवं बडी बात थी।इसलिए मैट्रिक परीक्षा पास होने पर उनका एक सार्वजनिक समारोह में सम्मान किया गया और इसी समारोह में उनके एक शिक्षक कृष्णाजी अर्जुन केलूसकर ने उन्हें अपनी द्वारा लिखी हुई पुस्तक गौतम बुद्ध की जीवनी भेंट की,। श्री केलूसकर एक मराठा जाति के विद्वान थे। भीमराव बुद्ध चरित्र को पढकर पहिली बार बुद्ध की शिक्षाओं से ज्ञान पाकर बुद्ध से बहुत प्रभावी हुए। बुद्ध चरित्र को पढ़कर उन्हें एक नया मार्ग मिल गया था।

राजनीतिक जीवन 


आम्बेडकर ने दलितों और अन्य धार्मिक समुदायों के लिये पृथक निर्वाचिका और आरक्षण देने की वकालत की। 31 जनवरी 1920 को बंबई से। एक साप्ताहिक अख़बार “मूकनायक” शुरू किया और यह जल्दी ही लोकप्रिय हो गया। बाबासाहेब ने सन् 1924 में दलितों को समाज में अन्य वर्गों के बराबर स्थान दिलाने के लिए  बहिष्कृत हितकारिणी सभा की स्थापना की। सन् 1932 को  गांधीजी और डॉ. अम्बेडकर के बीच एक संधि हुई  जो  ‘पूना संधि’ के नाम से जानी  जाती है। अगस्त 1936 में “स्वतंत्र लेबर पार्टी ‘की स्थापना की। 1937 में डॉ. अम्बेडकर ने कोंकण क्षेत्र में पट्टेदारी को ख़त्म करने के लिए  विधेयक पास करवाया l भारत के आज़ाद होने पर डॉ. अम्बेडकर को संविधान की रचना का काम सौंपा गया |


धर्म परिवर्तन


10-12 वर्ष हिंदू धर्म के साथ रहने पर भी हिंदू धर्म और हिंदू समाज में समानता का अधिकार प्राप्त करने के लिए निरंतर संघर्ष करते रहे लेकिन, फिर भी उन्हें सफलता हासिल नहीं हुई । आम्बेडकर ने धर्म परिवर्तन की घोषणा की उन्होंने 13 अक्टूबर 1935 को नासिक के निकट येवला में एक सम्मेलन में की थी।

"हालांकि मैं एक अछूत हिन्दू के रूप में पैदा हुआ हूँ, लेकिन मैं एक हिन्दू के रूप में हरगिज नहीं मरूँगा!"

उन्हें समाज में सम्मान न मिलने के कारण उन्हें धर्म परिवर्तन करने का निर्णय लिया था। इसलिए उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया।


संविधान निर्माण


अम्बेडकर को फरवरी 1948 में संविधान का प्रारूप प्रस्तुत किया और जिसे 26 जनबरी 1949 को लागू किया गया। 26 जनवरी 1950 को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं। 1951 में डॉ. अम्बेडकर  ने कानून मंत्री के पद से त्याग पत्र दे दिया| हिन्दी सहित सभी क्षेत्रीय भाषाओं में डॉ बी आर अम्बेडकर के कामों के व्याख्यान को उपलब्ध करा रहें हैं। डॉ अंबेडकर के जीवन के मिशन के साथ ही विभिन्न सम्मेलनों, कार्यशालाओं, प्रदर्शनियों, व्याख्यान, सेमिनार, संगोष्ठी और मेलों का आयोजन। समाज के कमजोर वर्ग के लिए डॉ अंबेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार और सामाजिक परिवर्तन के लिए डॉ. भीमराव अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार किया गया था।

प्रत्येक वर्ष डॉ.की अम्बेडकर की 14 अप्रैल को जन्म त्योहार के रूप में और 6 दिसंबर पर पुण्यतिथि का आयोजन। अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के मेधावी छात्रों के बीच में पुरस्कार वितरित करने के लिए डॉ. अम्बेडकर नेशनल मेरिट अवार्ड योजनाएं शुरू करना। हिन्दी भाषा में सामाजिक न्याय संदेश की एक मासिक पत्रिका का प्रकाशन। अनुसूचित जाति से संबंधित हिंसा के पीड़ितों के लिए डॉ अंबेडकर राष्ट्रीय राहत देना।

प्रश्नोत्तरी


1.अंबेडकर की मृत्यु कैसे हुई?
उत्तर मधुमेह की बीमारी से पीड़ित ,दृष्टि ग्रस्त और राजनीतिक मुद्दों से परेशान होकर उनकी मृत्यु हुई।

2.रमाबाई अंबेडकर कौन थी?
उत्तर भीमराव अंबेडकर की पहली पत्नी।

3. भीमराव अंबेडकर की शिक्षा कहा कहा हुई?
उत्तर मुंबई विश्वविद्यालय (बी॰ए॰)
• कोलंबिया विश्वविद्यालय (एम॰ए॰, पीएच॰डी॰, एलएल॰डी॰)
• लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स (एमएस॰सी॰, डीएस॰सी॰)
• ग्रेज इन (बैरिस्टर-एट-लॉ)

4. सविता अंबेडकर कौन थी?
उत्तर बाबासाहेब अंबेडकर की दूसरी पत्नी।

5.अंबेडकर की मृत्यु कब हुई?
उत्तर 6 दिसंबर 1956 (उम्र65)

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शुक्रवार, 28 अगस्त 2020

थॉमस ऐल्वा एडीसन जीवन परिचय । IBiography of Thomas Alva Edison

थॉमस ऐल्वा एडीसन के बारे में जानकारी । Information about Thomas Alva Edison

थॉमस एल्वा एडिसन (11 फ़रवरी 1847- 18 अक्टूबर 1931) हान अमरीकी आविष्कारक एवं वीध्वांत व्यक्ति थे।फोनोग्राफ एवं विद्युत बल्ब सहित अनेकों युक्तियाँ विकसित कीं जिनसे संसार भर में लोगों के जीवन में भारी बदलाव आये। "मेन्लो पार्क के जादूगर" के नाम से प्रख्यात, भारी मात्रा में उत्पादन के सिद्धान्त एवं विशाल टीम को लगाकर अन्वेषण-कार्य को आजमाने वाले वे पहले अनुसंधानकर्ता थे। इसलिये एडिसन को ही प्रथम औद्योगिक प्रयोगशाला स्थापित करने का श्रेय दिया जाता है। अमेरिका में अकेले 1093 पेटेन्ट कराने वाले एडिसन विश्व के सबसे महान आविष्कारकों में गिने जाते हैं। एडीसन बचपन से ही जिज्ञासु प्रवृत्ति  के एवं कुशाग्र बुद्धि के थे।

जन्म                         11 फ़रवरी 1847 मिलान, ओहायो,
                                  संयुक्त राज्य अमेरिका (U.S.A)

मृत्यु                          अक्टूबर 18, 1931 (उम्र 84)वेस्ट
                                 ऑरेंज न्यू जर्सी,संयुक्त राज्य  
                                 अमेरिका

राष्ट्रीयता                   अमेरिकी

शिक्षा                        स्कूल छोड़ दिया

व्यवसाय                   आविष्कारक, व्यापारी

धार्मिक मान्यता         देववादी

जीवनसाथी               मैरी स्टिलवेल (वि॰ 1871–84)
                                 मीना मिलर (वि॰ 1886–1931)

बच्चे                         मैरियन एस्टेल एडीसन
                                (1873–1965)
                                थॉमस अल्वा एडीसन जूनियर 
                                (1876–1935)
                                विलियम लेस्ली एडीसन
                                (1878–1937)
                                मेडेलीन एडीसन(1888–1979)
                                चार्ल्स एडीसन (1890–1969)
                                थिओडर मिलर एडीसन 
                                (1898–1992)

माता-पिता               सामुएल ओगडेन एडीसन जूनियर
                               (1804–1896)
                               नैन्सी मैथ्यू इलियट 
                               (1810–1871)

जीवन परिचय

थॉमस ऐल्वा एडिसन महान् आविष्कारक का जन्म ओहायो राज्य के मिलैन नगर में 11 फ़रवरी 1847 ई. को हुआ। एडिसन बचपन से ही  ने कुशाग्रता, जिज्ञासु प्रवृत्ति और अध्यवसाय का परिचय दिया। उनकी माता ने घर पर छह वर्ष तक ही पढ़ाया , सार्वजनिक विद्यालय में उनकी शिक्षा केवल तीन मास तक हुई। तो भी एडिसन ने ह्यूम, सीअर, बर्टन, तथा गिबन के महान ग्रंथों एवं डिक्शनरी ऑव साइंसेज़ का अध्ययन 10वें जन्मदिन तक पूर्ण कर लिया था।

एडिसन 12 वर्ष की आयु में फलों और समाचारपत्रों के विक्रय का धंधा करके परिवार को प्रति दिन एक डालर की सहायता देने लगे। वे रेल में पत्र छापते और वैज्ञानिक प्रयोग करते। तार प्रेषण में निपुणता प्राप्त कर 20 वर्ष की आयु तक, एडिसन ने तार कर्मचारी के रूप में नौकरी की। जीविकोपार्जन से बचे समय को एडिसन प्रयोग और परीक्षण में लगाते थे।

अनुसंधानओं का आरम्भ समय

1869 ई. में एडिसन ने अपने सर्वप्रथम आविष्कार "विद्युत मतदानगणक"(Electoral Voter) को पेटेंट कराया। नौकरी छोड़कर प्रयोगशाला में आविष्कार करने का निश्चय कर निर्धन एडिसन ने अदम्य आत्मविश्वास का परिचय दिया। 1870-76 ई. के बीच एडिसन ने अनेक आविष्कार किए। एक ही तार पर चार, छह, संदेश अलग अलग भेजने की विधि खोजी, स्टॉक एक्सचेंज के लिए तार छापने की स्वचालित मशीन(automatic machine) को सुधारा, तथा बेल टेलीफोन यंत्र का विकास किया। उन्होंने 1875 ई. में "सायंटिफ़िक अमेरिकन" में "ईथरीय बल" पर खोजपूर्ण लेख प्रकाशित किया; 1878 ई. में फोनोग्राफ मशीन पेटेंट कराई जिसकी 2010 ई. में अनेक सुधारों के बाद वर्तमान रूप मिला।

21 अक्टूबर 1879 ई. को थॉमस ने 40 घंटे से अधिक समय तक बिजली से जलनेवाला निर्वात बल्ब विश्व को भेंट किया। 1883 ई. में "एडिसन प्रभाव" की खोज की, जो कालांतर में वर्तमान रेडियो वाल्व का जन्मदाता सिद्ध हुआ। अगले दस वर्षो में एडिसन ने प्रकाश, उष्मा और शक्ति के लिए विद्युत के उत्पादन और त्रितारी वितरण प्रणाली के साधनों और विधियों पर प्रयोग किए; भूमि के नीचे केबुल के लिए विद्युत के तार को रबड़ और कपड़े में लपेटने की पद्धति ढूँढी; डायनेमो और मोटर में सुधार किए; यात्रियों और माल ढोने के लिए विद्युत रेलगाड़ी तथा चलते जहाज से संदेश भेजने और प्राप्त करने की विधि का आविष्कार किया। एडिसन ने क्षार संचायक बैटरी भी तैयार की; लौह अयस्क को चुंबकीय विधि से गहन करने का प्रयोग किए, 1891 ई. में चलचित्र कैमरा(motion-picture camera) पेटेंट कराया एवं इन चित्रों को प्रदर्शित करने के लिए किनैटोस्कोप का आविष्कार किया।

थॉमस ने प्रथम विश्वयुद्ध में जल सेना सलाहकार बोर्ड का अध्यक्ष बनकर 40 युद्धोपयोगी आविष्कार किए। पनामा पैसिफ़िक प्रदर्शनी ने 21 अक्टूबर 1915 ई. को एडिसन दिवस का आयोजन करके विश्वकल्याण के लिए सबसे अधिक अविष्कारों के इस उपजाता को संमानित किया। 1927 ई. में एडिसन नैशनल ऐकैडमी ऑव साइंसेज़ के सदस्य निर्वाचित हुए। 21 अक्टूबर 1929 को राष्ट्रपति दूसरे ने अपने विशिष्ट अतिथि के रूप में एडिसन का अभिवादन किया।                              

आखरी समय

एडिसन मेनलोपार्क और वेस्ट ऑरेंज के कारखानों में 50 वर्ष के परिश्रम से 1,093 आविष्कारों को पेटेंट कराया। अनवरत कर्णशूल से पीड़ित रहने पर भी अल्प मनोरंजन, निरंतर परिश्रम, आश्चर्यजनक स्मरण शक्ति,  धैर्य और दृढ़ कल्पना शक्ति द्वारा एडिसन ने इतनी सफलता पाई।  वे अपने जीवन के बहुत सफल व्यक्ति थे।मृत्यु को भी उन्होंने गुरुतर प्रयोगों के लिए दूसरी प्रयोगशाला में पदार्पण समझा। ""मैंने अपना जीवनकार्य पूर्ण किया। अब मैं दूसरे प्रयोग के लिए तैयार हूँ"", इस भावना के साथ विश्व की इस महान उपकारक विभूति ने 18 अक्टूबर 1931 को संसार से विदा ली। उनका जीवन प्रेरणादायक है।


प्रश्नोत्तरी


1.बल्ब का आविष्कार किसने किया?

उत्तर थॉमस ऐल्वा एडीसन ने 


 2.थॉमस की शिक्षा कहां तक हुई?

 उत्तर  सरकारी स्कूल में 3 महीने तक।


3.थॉमस की पत्नी का नाम क्या था?

उत्तर मैरी स्टिलवेल


 4.थॉमस का जन्म कब हुआ था?

 उत्तर 11 फ़रवरी 1847 ई.


5.थॉमस की मृत्यु कैसे  हुई?

उत्तर अब मैं दूसरे प्रयोग के लिए तैयार हूँ"", इस भावना के साथ विश्व की इस महान उपकारक विभूति ने 18 अक्टूबर 1931 को संसार से विदा ली। उनका जीवन प्रेरणादायक है।


6.थॉमस ऐल्वा एडीसन कौन थे?

उत्तर आविष्कारक, व्यापारी



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