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प्रणब मुखर्जी का जीवन परिचय।Biography of Pranab Mukherjee

प्रणब मुखर्जी का जीवन परिचय।Biography of Pranab Mukherjee


प्रणव कुमार मुखर्जी ( जन्म: 11 दिसम्बर 1935, पश्चिम बंगाल-मृत्यु 31 अगस्त 2020 दिल्ली) भारत के तेरहवें राष्ट्रपति रह चुके हैं। 26 जनवरी 2019 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी द्वारा प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न से सम्मानित किया गया है! वमुखर्जी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे हैं।भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन ने उन्हें अपना उम्मीदवार घोषित किया। प्रणब जी भारत के आर्थिक मामलों, संसदीय कार्यों, बुनियादी सुविधाएँ व सुरक्षा समिति में वरिष्ठ नेता रहे है। सीधे मुकाबले में उन्होंने अपने प्रतिपक्षी प्रत्याशी पी.ए. संगमा को हराया। प्रणब मुखर्जी ने  'द कोलिएशन ईयर्स: 1996-2012' नामक किताब लिखी है। मुखर्जी ने 25 जुलाई 2012 को भारत के तेरहवें राष्ट्रपति के रूप में पद  शपथ ली थी।

जन्म                      11 दिसम्बर 1935 (आयु 84)ग्राम मिराती, बीरभूम  जिला, ब्रिटिश भारत

मृत्यु                      31 अगस्त 2020 दिल्ली

जन्म का नाम        प्रणव कुमार मुखर्जी

धर्म                       हिंदू

राष्ट्रीयता               भारतीय

राजनीतिक दल     भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
 
अन्य राजनीतिक 
संबद्धताऐं             राष्ट्रीय समाजवादी काँग्रेस 
                           (1986 से 1989तक)    

पत्नी                सुव्रा मुखर्जी (विवाह 1957; निधन 2015)

बच्चे                    शर्मिष्ठा (बेटी)
                          अभिजीत (बेटा)
                          इन्द्रजीत (बेटा)
                  
शिक्षण संस्थान   कलकत्ता विश्वविद्यालय

सम्मान              भारत रत्न (2019) पद्म विभूषण (2008)


प्रारंभिक जीवन

प्रणव मुखर्जी का जन्म पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले में किरनाहर शहर के निकट स्थित मिराती नामक गाँव के एक ब्राह्मण परिवार में कामदा किंकर मुखर्जी और राजलक्ष्मी मुखर्जी के यहाँ हुआ था। उनके पिता 1920 के कांग्रेस पार्टी में सक्रिय होने के साथ पश्चिम बंगाल विधान परिषद में 1952 से 64 तक सदस्य और वीरभूम  जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रह चुके थे। प्रणव मुखर्जी के पिता एक सम्मानित स्वतन्त्रता सेनानी थे, जिन्होंने ब्रिटिश शासन की खिलाफत के आंदोलन के स्वरूप 10 वर्षो से अधिक जेल की सजा भी काटी थी। प्रणव मुखर्जी ने वीरभूम के सूरी विद्यासागर कॉलेज में शिक्षा प्राप्त की जो उस समय कलकत्ता विश्वविद्यालय से संबंधित था। कलकत्ता विश्वविद्यालय से उन्होंने इतिहास और राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर के साथ साथ कानून की डिग्री भी हासिल की है। वे एक वकील और कॉलेज प्राध्यापक पद पर कार्य कर चुके हैं। उन्हें मानद डी.लिट उपाधि भी प्राप्त की । उन्होंने पहले एक कॉलेज प्राध्यापक के रूप में और बाद में एक पत्रकार के रूप में अपना कैरियर शुरू किया था । वे बाँग्ला प्रकाशन संस्थान देशेर डाक मातृभूमि की पुकार में भी काम कर चुके हैं। प्रणव मुखर्जी बंगीय साहित्य परिषद के ट्रस्टी एवं अखिल भारत बंग साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष भी रहे।

वैवाहिक जीवन

बंगाल भारत में वीरभूम जिले के मिराती नामक गाँव में 11 दिसम्बर 1935 को कामदा किंकर मुखर्जी और राजलक्ष्मी मुखर्जी के घर जन्मे प्रणव का विवाह 22 वर्ष की आयु में 13 जुलाई 1957 को सुव्रा मुखर्जी के साथ हुआ था। उनके कुल 3 बच्चे, दो बेटे और एक बेटी हैं। उनके तीन व्यक्तिगत शौक  पढ़ना, बागवानी करना और संगीत सुनना थे।

राजनीतिक कैरियर

मुखर्जी संसदीय कैरियर करीब पाँच दशक पुराना है, जो 1969 में कांग्रेस पार्टी के उच्च सदन यानी राज्यसभा सदस्य के रूप में से शुरू हुआ था। सन्1973 में वे औद्योगिक विकास विभाग के केंद्रीय उप मन्त्री के रूप में मन्त्रिमण्डल में  भी शामिल हुए। मुखर्जी सन 1984 में भारत के वित्त मंत्री बने। यूरोप पत्रिका के सर्वे के अनुसार उनका नाम सबसे अच्छे मंत्री के रूप में गिना जाता है। प्रणव वित्त मंत्री के कार्यकाल के दौरान के रूप में  डॉ॰ मनमोहन सिंह भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर थे।

प्रणव सन् 1985 के बाद से वह कांग्रेस की पश्चिम बंगाल राज्य के भी अध्यक्ष हैं। सन 2004 में, जब कांग्रेस ने गठबन्धन सरकार  की तो कांग्रेस के प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह एक राज्यसभा सांसद थे। इसलिए जंगीपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से पहली बार लोकसभा चुनाव जीतने वाले प्रणव मुखर्जी को लोकसभा में सदन का नेता बनाया गया था। उन्हें वित्त,रक्षा, , विदेश विषयक मन्त्रालय, राजस्व, नौवहन, परिवहन, उद्योग, आर्थिक मामले, वाणिज्य और ,संचार समेत विभिन्न महत्वपूर्ण मन्त्रालयों के मन्त्री होने का गौरव भी प्राप्त है। वह संसदीय दल कांग्रेस  और कांग्रेस विधायक दल के नेता  भी रह चुके हैं, जिसमें देश के सभी  विधायक और  कांग्रेस सांसद शामिल होते हैं। इसके अलावा  वे उच्च सदन यानी लोकसभा में सदन के नेता, बंगाल प्रदेश कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष, कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की मंत्रिपरिषद में केन्द्रीय वित्त मन्त्री भी रहे। लोकसभा चुनावों से पहले जब प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह ने अपनी बाई-पास सर्जरी कराई, प्रणव दा विदेश मन्त्रालय में केन्द्रीय मंत्री होने के बावजूद राजनैतिक मामलों की कैबिनेट समिति के अध्यक्ष और वित्त मन्त्रालय में केन्द्रीय मन्त्री का अतिरिक्त प्रभार लेकर मन्त्रिमण्डल के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे।सन 1991 से 1996 तक वे योजना आयोग के उपाध्यक्ष पद पर रहे।प्रणब मुखर्जी मनमोहन की दूसरी सरकार में वित्त मंत्री बने थे।प्रणब मुखर्जी भारत के 13वें राष्ट्रपति के रूप में 2012 से 2017 तक पद पर रह चुके थे।

अन्तर्राष्ट्रीय भूमिका

2008अक्टूबर10  को मुखर्जी और अमेरिकी विदेश सचिव कोंडोलीजा राइस ने धारा 123 समझौते पर भी हस्ताक्षर के
किया। वे अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (international monetary fund)के विश्व बैंक,( World Bank),एशियाई विकास बैंक (Asian development Bank),और अफ्रीकी विकास बैंक (African development Bank),के प्रशासक बोर्ड के सदस्य भी थे।

सन 1984 में उन्होंने आईएमएफ और विश्व बैंक से जुड़े ग्रुप-24 की बैठक की अध्यक्षता की। मई और नवम्बर 1995 के बीच उन्होंने दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क ) मन्त्रिपरिषद सम्मेलन की अध्यक्षता की।

सम्मान और विशिष्टता

1.न्यूयॉर्क से प्रकाशित पत्रिका, यूरोमनी के एक सर्वेक्षण के अनुसार, वर्ष 1984 में दुनिया के पाँच सर्वोत्तम वित्त मन्त्रियों में से एक प्रणव मुखर्जी भी शामिल थे।

2.उन्हें सन् 1997 में सर्वश्रेष्ठ सांसद का अवार्ड मिला।

3. उनके नेत़त्व में ही भारत ने अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के ऋण की 1.1 अरब अमेरिकी डॉलर की अन्तिम किस्त नहीं लेने का गौरव अर्जित किया। उन्हें प्रथम दर्जे का मन्त्री माना जाता है और सन 1980-1985 के दौरान प्रधानमन्त्री की अनुपस्थिति में उन्होंने केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल की बैठकों की अध्यक्षता भी की।

4.उन्हें वर्ष 2008 के दौरान सार्वजनिक मामलों में उनके योगदान के लिए भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से नवाजा गया था।

5.प्रणव मुखर्जी को 26 जनवरी 2019 में सबसे बड़े सम्मान भारत  रत्न से सम्मानित किया गया।

निधन

10 अगस्त को दोपहर गंभीर स्थिति में प्रणब मुखर्जी को  आर्मी अस्पताल में भर्ती कराया गया था और उसी दिन उनके मस्तिष्क में जमे खून को हटाने के लिए उनकी सर्जरी की गई थी। मुखर्जी को बाद में फेफड़े में संक्रमण भी हो गया। सर्जरी से पहले उनकी कोरोना जांच भी कराई गई थी, जिसकी रिपोर्ट सकारात्मक आई थी। उनका निधन 31 अगस्त 2020 को दिल्ली के अस्पताल में हुआ। 31अगस्त से 6 सितंबर तक पूरे भारत में शौक मनाया जाएगा।

प्रश्नोत्तरी

1. प्रणब मुखर्जी की एज क्या थी
उत्तर- 84 वर्ष

2. प्रणब मुखर्जी की मृत्यु कब हुई?
उत्तर- 21 अगस्त 2020

3. प्रणब मुखर्जी की पत्नी का नाम क्या था?
उत्तर- सुव्रा मुखर्जी

4.प्रणब मुखर्जी के कितने बच्चे थे?
उत्तर- 3 बच्चे

5.प्रणब मुखर्जी के कितने बेटे थे?
उत्तर- दो बेटे

6.प्रणब मुखर्जी कौन थे?
उत्तर- देश के पूर्व राष्ट्रपति एवं कांग्रेस पार्टी के नेता ।

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